नया साल का मतलब सिर्फ नंबर बदलना नहीं

किशोर जी इसी साल बैंक मैनेजर के पद से रिटायर हुए थे और उनकी इच्छा थी कि वह इस साल अपना नया साल  अयोध्या में मनाएंगे इसके लिए 31 दिसंबर को ही वे  अपनी पत्नी के साथ  फैजाबाद रेलवे स्टेशन पहुंच चुके थे स्टेशन से जैसे ही बाहर निकले  तभी एक रिक्शेवाले ने उनको देखकर आवाज लगाई, “कहां चलेंगे साहब मैं पहुंचा दूंगा आइए बैठ जाइए।”  किशोर जी रिक्शे में जाना नहीं चाहते थे तो उन्होंने रिक्शेवाले को इग्नोर किया काफी देर ऑटो रिक्शा का इंतजार किया लेकिन कोई भी ऑटो रिक्शा मिला नहीं।  थक हार कर उन्होंने उसी रिक्शेवाले को बुलाया और बोला, 

“मंदिर के पास एक श्रीजी  धर्मशाला है चलोगे क्या?”

 “रिक्शेवाले ने कहा साहब क्यों नहीं चलेंगे यहां पर खड़े इसीलिए तो है।”  

रिक्शेवाले ने उनका बैग पीछे रखा और किशोर जी और उनकी वाइफ को  अपने हाथ के सपोर्ट से रिक्शे पर बैठा दिया। 

 सुबह के 6:00 बज रहे थे और चारों तरफ कोहरा छाया हुआ था। ठंड इतनी ज्यादा थी लग रहा था कि पूरा शरीर जम जाएगा।  लेकिन फिर भी वो रिक्शावाला मात्र एक कॉटन का शर्ट पहना हुआ था वह भी फटा हुआ। 

 ना चाहते हुए भी किशोर जी ने रिक्शेवाले से पूछ ही लिया,

 “अरे यार तुम लोग पत्थर के बने हो क्या तुम्हें ठंड नहीं लगती कम से कम जैकेट नहीं है तो स्वेटर पहन लेते नहीं तो कम से कम शॉल तो ओढ़  ही लेते।” 



रिक्शा चालक उनसे भी कम उम्र का था लेकिन लग रहा था कि वह उनसे भी ज्यादा उम्र का हो उसने किशोर जी से कहा,

” घर से स्वेटर पहन कर आया था साहब”  

 “तो फिर उतार क्यों दिया।” 

रिक्शा चालक ने बताया

 “अब क्या बताएं साहब जैसे ही घर से रिक्शा लेकर आया गेट के बाहर देखा एक भिखारी ठंड से ठिठुर रहा है उसके पास ओढ़ने  के लिए कुछ नहीं था ऐसा लग रहा था वह अब मरेगा कि तब मरेगा मेरे से उसका दुख देखा नहीं गया और मैंने अपना स्वेटर निकाल कर उस भिखारी को दे दिया।” 

 उस गरीब रिक्शा चालक की दर्द भरी दास्तां सुनकर किशोर जी हक्का-बक्का हो गए। 

 रिक्शावाला  कहे जा रहा था,

” साहब स्टेशन आते जाते कई लोग उधर से गुजर रहे थे लेकिन कौन इतना गौर करता है एक भिखारी पर। मैं तो कहता हूं लोगों के पास पुराने  गर्म कपड़े होते हैं कम से कम स्टेशन पर आकर उन्हें दान कर देना चाहिए।  लेकिन वह कूड़े कचरे में फेंक देंगे लेकिन वह किसी को दान नहीं करेंगे।”

 किशोर जी एक गरीब का दूसरे गरीब के प्रति नजरिया और संवेदना देखकर सोचने पर मजबूर हो गए थे।  थोड़ी देर बाद ही रिक्शेवाले ने अपना रिक्शा रोका और बोला लीजिए साहब आपका धर्मशाला आ गया। 

रिक्शा वाले ने किशोर जी का बैग उतार कर जैसे ही चलने को हुआ किशोर जी ने रिक्शेवाले से कहा,



” रुको।” 

 रिक्शेवाले ने कहा,

” क्या हुआ साहब कुछ छूट गया क्या?”

किशोर जी ने अपना  जैकेट निकाला और उस रिक्शेवाले को पहना दिया रिक्शेवाले ने कहा,

” साहब फिर आप क्या पहनेंगे”

 किशोर जी ने कहा,

” मेरे पास यह शॉल है ना जो बहुत गर्म है और अभी 10:00 बजे से दुकान खुलेगा तो मैं नया ले लूंगा।  तुम यह नया साल का गिफ्ट समझकर ले लो।” 

 रिक्शावाला किशोर जी से कह रहा था साहब अगर सब लोग अपने नए साल की शुरुआत ऐसे ही दरियादिली से करें तो लगेगा कि नया साल आया है नया साल हमारे जीवन में नया बदलाव लेकर मानव के प्रति मानव का नजरिया बदले  तब कहलाएगा कि नया साल आया है नहीं तो सिर्फ नंबर बदलने से क्या होगा। 

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