Moral stories in hindi : नेहा बहुत खुश थी जब से गगन उसे देख कर गए थे,उन्होंने हां तो नहीं कही थी अभी पर जिस प्यार से वो देख रहे थे नेहा को,जाते जाते अपनी फोटो थमा के गए थे नेहा के भाई अनुज के हाथ में अपनी,सबको लग रहा था कि रिश्ता पक्का ही हो गया अब।
अगले ही हफ्ते,वो लोग,,नेहा की चूड़ी का नाप लेने के बहाने आ गए थे उनके घर और आगे के सारे प्रोग्राम तय कर गए थे।
उनकी बस एक ही शर्त थी कि नेहा ,शादी के बाद जॉब नहीं करेगी जो नेहा ने मन मारके ही सही मंजूर कर लिया था।
नेहा जी क्लास वन सरकारी जॉब थी,छोड़ते हुए दुख तो होना ही था पर गगन का हंसता हुआ नूरानी चेहरा उसके दिल में ऐसा बसा कि उसे भुला पाना उसके लिए मुश्किल हो रहा था।गगन उसका पहला प्यार बन चुके थे और वो दिल से उन्हें स्वीकार करने लगी थी।
जब ससुराल आई नेहा तो गगन और उसके बूढ़े मां बाप ही संग थे।
संस्कारों में बंधी नेहा सोचती थी कि ससुराल में प्यार भरा माहौल मिल जाए तो और क्या चाहिए,नौकरी भी तो वो इसीलिए करना चाहती थी कि आजादी रहे।
शुरू शुरू ने सब सही रहा लेकिन बहुत जल्दी ही आर्थिक तंगी की वजह से घर में लड़ाई झगडे बढ़ने लगे।
एक अकेले गगन की जॉब में घर का खर्चा चलाना मुश्किल होता जा रहा था,सास ससुर की दवाई,मिलना जुलना,राशन पानी सब कुछ बहुत मंहगा होता जा रहा था।
नेहा दबी जुबान गगन से कहती कि मैं भी जॉब कर लेती हूं,कुछ सहूलियत हो जायेगी,कल को हमारी फैमिली भी बढ़नी ही है।
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वो चिढ़ जाता,तुम अम्मा पिताजी का ध्यान रखो,बस..अपने खर्चे कंट्रोल करो, बाकी मै देख लूंगा।
नेहा दुखी हो जाती,मेरे क्या खर्चे हैं?न शॉपिंग करती न होटल खाने जाती,घूमने वैसे कहीं नहीं गए…फिर क्या ।मुझे खाने पर ताना मार कर गया है गगन…
नेहा उदास रहने लगी,गगन रात दिन मेहनत करता पर ज्यादा थकान की वजह से चिड़चिड़ा होता गया,उसकी सारी फ्रस्टेशन उतरती सिर्फ नेहा पर।
नेहा को लगता,उसने जॉब छोड़ने का फैसला कर के अपने पांव पर ही कुल्हाड़ी मारी है,अब क्या करे वो,कुछ समझ न पाती।
एक दिन फेसबुक पर उसे उसकी स्कूल दिनो की फ्रेंड रचना मिली।दोनो ने फोन नंबर शेयर किए,बात की और बहुत खुश हुई।
रचना के हसबैंड किसी नाटक कंपनी से जुड़े थे,वो अपने हसबैंड सहित नेहा से मिलने आई।बातों बातों में पता चला,नेहा भी पहले रेडियो स्टेशन में एंकर का काम करती थी,वो साथ ही वहां की कहानियों की पटकथा लिखने,डायलॉग्स का काम भी करती।उसकी लेखन कला को रचना के पति आवेश ने समझा और उसे ऑफर दिया…
भाभी!आप हमारे नाटकों के लिए लिखना चाहेंगी?”
लेकिन मैं घर छोड़ कर कहीं नहीं जा सकती,मुझे गगन से अनुमति लेनी पड़ेगी। नेहा बोली।
पर आपको घर से बाहर जाना ही कहां पड़ेगा?आप यहीं से काम करना और इसका पेमेंट भी अच्छा और वक्त से मिल जाता है।”
नेहा की आंखों में खुशी के आंसू बह निकले,वो तैयार थी इस नए काम के लिए।
धीरे धीरे,उसकी मेहनत रंग लाने लगी,उसकी लिखी स्क्रिप्ट बहुत मशहूर हो गई और उसपर बड़े ऑफर आने लगे थे।
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एक दिन गगन ने उससे पूछा,ये तुम पर आए दिन रुपए कहां से आते हैं,देख रहा हूं अब तुम मुझसे खर्च के लिए भी पैसे नहीं मांगती,ये माजरा क्या है?
आप नाराज तो नहीं होंगे?वो डर के बोली।
ओके…बशर्ते तुमने कहीं डाका न डाला होगा तो,वो हंसते हुए बोला।
नेहा ने उसे सारी बात सिलसिलेवार सुनाई।
तो फेमस स्क्रिप्ट राइटर शिवानी मनचंदा तुम्ही हो?”गगन ने भौंचक्के होकर कहा।
“हम्मम…वो लजाते हुए बोली।
“तो तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया, आय एम प्राउड ऑफ यू डार्लिंग!”
मुझे डर था,आप कहीं रोक न दो और गुस्सा हो गए तो मेरा क्या होगा?”नेहा भोलेपन से बोली।
ओह!मेरी भोली रानी!गगन ने उसे बाहों में भर लिया,तुम हीरा हो और तुम्हारी पहचान मुझे ही नहीं हुई,सॉरी!आज से तुम स्वतंत्र हो,जो चाहे काम करो,मुझे तुम्हारा टेलेंट दबाना नहीं चाहिए था। प्लीज!मुझे माफ कर दो।
नेहा बोली,एक और बात बतानी है आपको?”
अब क्या?वो उत्सुकता से बोला।
“आप पापा बनने वाले हैं।”नेहा ने अपना चेहरा गगन के सीने में छिपा लिया।
गगन उसे सीने से लगाए सोच रहा था,भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ के देता है,आज मुझे एहसास हो रहा है,मेरे पास खरा सोना था जिसे मैं ही वैल्यू नहीं कर रहा था पर अब मेरी आंख खुल गई है,तभी तो कहा गया है,”जब जागो तभी सवेरा है”,नेहा की जिंदगी जा नया सवेरा दस्तक दे रहा था।
समाप्त
डॉ संगीता अग्रवाल
#घर-आंगन