किशनलाल को बैंक में चपरासी की नौकरी करते हुए 14 साल बीत चुके थे बैंक का ताला खोलना और लगाना उसी का काम था लेकिन आज उसका मन बहुत घबरा रहा था अभी तक तो सब ठीक चल रहा था अब न जाने क्या होगा आगे
वह कुर्सी पर बैठे-बैठे एक गहरी सोच में डूबा हुआ था और अपने आप ही अपने आप से बातें कर रहा था उसे मालूम था आज एक नया मैनेजर आने वाला है ,, बैंक का पुराना मैनेजर कल शाम को ही रिटायर हुआ है ,, मेरी छोटी-मोटी गलतियों को वह नजर अंदाज कर दिया करता था लेकिन अब जो नया मैनेजर आएगा मैंने इसके बारे में सुना है इसका दिल बहुत कठोर है ,, छोटी सी गलती होने पर भी ,, यह किसी को माफ नहीं करता मुझे तो लगता है अब मेरी नौकरी खतरे में है
किशन लाल ने आज बैंक को समय से दस मिनट पहले ही खोल दिया था और अपने साफ सफाई का सारा काम निपटा दिया था वह बार-बार चारों तरफ कुर्सियों को देखता कहीं धूल तो नहीं जमीं जब उसे तसल्ली हो जाती सब काम ठीक तरीके से हुआ है तो थोड़ी सी सांस ले लेता था
तभी बैंक के सामने एक सफेद रंग की कार आकर रूकी किशन लाल को गाड़ी का नंबर पहले से ही बता दिया गया था ,, उसी नंबर की गाड़ी देखकर किशन लाल के चेहरे पर पसीने की बूंदे झिलमिलाने लगी
कार का ढक्कन खुला और लगभग एक 35 साल की उम्र का नौजवान कार से नीचे उतरा ,, माथे पर लाल रंग का टीका काली पैंट के साथ व्हाइट शर्ट पहने हुए एकदम फिल्मी हीरों दिखाई दे रहा था
किशन लाल आपका ही नाम है ,, नए मैनेजर ने किशन लाल को देखते हुए पूछा ,,
जी मेरा ही नाम किशनलाल है ,, किशन लाल ने दोनों हाथ जोड़कर उन्हें नमस्ते किया
इस कहानी को भी पढ़ें:
उन नए मैनेजर ने अपना परिचय देते हुए कहा ,, मैं यहां का नया मैनेजर हूं
आपको खबर तो मिल गई होगी ,,
जी खबर मिल गई थी किशन लाल ने अपने नए मैनेजर को एक संतुष्टी भरा जवाब दिया,,
बैंक के बाकी का स्टाफ कितने बजे आता है नए मैनेजर ने पूछा
किशन लाल ने बताया 10:00 बजे बैंक खुलता है अभी 10:00 बजने में 5 मिनट बाकी है सभी लोग आते ही होंगे ,,
नए मैनेजर ने कहा मुझे मेरा कमरा दिखा दीजिए
किशन लाल सीढ़ियों के रास्ते से नए मैनेजर को प्रथम मंजिल में उनके कमरे के पास ले गया
नए मैनेजर ने कहा जब तक मैं ना बुलाऊं कोई मेरे कमरे में नहीं आएगा
नए मैनेजर की बात सुनकर किशन लाल उस कमरे से निकल गया
दोपहर हुई फिर शाम हुई लेकिन नए मैनेजर ने किशन लाल को ना बुलाया
बैंक का स्टाफ कहने लगा शायद नए मैनेजर खाना नहीं खाते या उन्हें भूख नहीं लगती क्या आज उनका व्रत है तरह-तरह की बातें हो रही थी
उन्होंने तो एक कप चाय भी नहीं मांगी ,, ना किसी स्टाफ से बातचीत की ना किसी का नाम पूछा और ना यहां के काम के बारे में कोई जानकारी ली
शाम के छः बज चुके थे ,, किशन लाल नए मैनेजर के कमरे में पहुंचा
इस कहानी को भी पढ़ें:
और कहने लगा साहब छुट्टी हो गई सब स्टाफ जा चुका है क्या आपको घर नहीं जाना
नए मैनेजर ने किशन लाल से कहा ,, मुझे एक जरूरी काम से शॉपिंग के लिए जाना है बैंक का ताला लगाकर तुम भी मेरे साथ चलोगे
किशन लाल मन ही मन क्रोधित होते हुए अपने आप से ही सवाल करने लगा ,, मैं जानता था यह मैनेजर ठीक नहीं है ,, दिन भर तो कुछ काम नहीं बताया ,, अब जब मेरी छुट्टी हो गई तो मुझे काम बताया जा रहा है काम तो करना ही पड़ेगा वरना मुझे नौकरी से निकाल देगा,, आज इनका पहला दिन है इसलिए
इस नए मैनेजर की बात भी नहीं काट सकता हूं
बैंक का ताला लगाकर किशन लाल नए मैनेजर की गाड़ी में बैठ गया
गाड़ी सड़क पर दौड़ने लगी ,, एक बड़े से मॉल के सामने गाड़ी रुकी
नए मैनेजर ने किशन लाल को बताया मुझे एक टेबल लैंप चाहिए
और इसे खरीदने में तुम मेरी मदद करो ,,
टेबल लैंप का नाम सुनकर किशन लाल का दिमाग चकरा गया
और सोचने लगा बैंक में तो बिजली सारा दिन आती है और मैनेजर के कमरे में उजाला भी रहता है फिर टेबल लैंप की क्या आवश्यकता है
हो सकता हो यह अपने घर अपने बच्चों के लिए टेबल लैंप ले जाना चाहते हो ,, शायद इनके घर बिजली नहीं आती होगी या फिर बिजली की लाइन बार-बार कट जाती होगी बच्चे अंधेरे में पढ़ नहीं पाते होंगे और बच्चों ने कहा होगा कि पापा टेबल लैंप लेते आना
किशन लाल को पूछने में संकोच हो रहा था यह टेबल लैंप किसके लिए खरीदा जा रहा है वह चुपचाप खामोशी से नए मैनेजर के साथ शॉपिंग मॉल में घुस गया
कई दुकानें देखने के बाद एक बिजली का सामान बेचने वाली दुकान दिखाई दी वहां पर तरह-तरह के टेबल लैंप रखे हुए थे ,,
नए मैनेजर को एक टेबल लैंप पसंद आ गया ,,
दुकानदार ने बताया ,, इसकी कीमत ज्यादा नहीं है केवल ढाई सौ रुपया है 10 मिनट चार्ज करने के बाद यह 24 घंटे रोशनी देता है इसे उठाकर आप कहीं पर भी रख सकते हैं ,,
नए मैनेजर ने टेबल लैंप खरीद लिया और किशन लाल के हाथ में पकड़ा दिया ,,
शॉपिंग मॉल से बाहर निकलने के बाद दोनों गाड़ी में बैठ गए और गाड़ी चल पड़ी ,,
इस कहानी को भी पढ़ें:
कुछ दूर चलने के बाद
गाड़ी एक फुटपाथ के सामने रुकी ,, सड़क के उस पार
6 – 7 सब्जी की दुकानें पटरी पर लगी हुई थी ,,
सूरज की किरणें लगभग खत्म होने की कगार पर थी और अंधेरा धीरे-धीरे चारों तरफ बढ़ता ही जा रहा था ,,
उन्हीं दुकानों के बीच फुटपाथ पर सब्जी की दुकान पर एक लड़की
जिसकी उम्र करीब 12 साल के आसपास होगी एक लाल रंग की फ्रॉक पहने हुए अपने स्कूल की किताब पढ़ रही थी जब ग्राहक आते तो उन्हें सब्जियां भी तोल कर देने लगती थी ,,
शाम ढलते ही चारों तरफ अंधेरा छा गया ,, दूर एक सरकारी खंभे पर एक बल्ब टिमटिमा रहा था जिसकी रोशनी उस लड़की की किताब तक नहीं पहुंच पा रही थी
उस लड़की ने चादर के नीचे से एक छोटी सी मोमबत्ती निकाली,, और अपनी तीन दुकान छोड़कर एक बुजुर्ग से दिखने वाले व्यक्ति को आवाज देते हुए पुकारा,, ताऊ ,, जी ,, मुझे माचिस की जरूरत है ,,, मोमबत्ती जलानी है ,,
उस लड़की की बात सुनकर ,, उस अधेड़ बुजुर्ग से आदमी ने
जेब से माचिस निकालकर उस लड़की की ओर उछाल दी
लड़की ने झट माचिस अपने हाथों में कैच कर ली और माचिस के भीतर से एक तीली निकाल कर जलाई और मोमबत्ती के लगे धागे पर
जलती हुई तीली लगा दी ,, मोमबत्ती जलने लगी
लेकिन एक हवा का झोंका आया और मोमबत्ती बुझ गई लड़की ने फिर मोमबत्ती चलाई ,, कुछ सेकेंड बाद फिर हवा चली और मोमबत्ती बुझ गई ,, लड़की ने फिर मोमबत्ती जला दी यह प्रतिक्रिया कई बार हुई उसका प्रयास निरंतर चलता रहा ,, और अंत में मोमबत्ती जल उठी
नए मैनेजर ने ,, लैंप ,, अपने हाथ में लिया और उस लड़की की दुकान की ओर चल पड़ा साथ में किशनलाल को भी ले लिया
इस कहानी को भी पढ़ें:
कुछ गुनाहों का प्रायश्चित नही होता – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
मैनेजर,, टेबल लैंप ले जाकर उस लड़की के सामने खड़ा हो गया ,,
लड़की अपनी डबडबाई आंखों से उस टेबल लैंप की तरफ देखने लगी
,नए मैनेजर ने उस लड़की से कहा ,, मेरी बेटी भी तुम्हारी उम्र की है
यह लैंप में उसी के लिए खरीद कर लाया हूं ,, मैं देखना चाहता हूं इस लैंप की रोशनी कैसी है क्या इस रोशनी में तुम किताब पढ़ सकती हो
अगर तुम किताब पढ़ सकती हो तो फिर मेरी बेटी भी किताब पढ़ सकती है,,
उस 12 साल की बालिका ने सर हिला कर मैनेजर की बातों का स्वागत किया
लेकिन मुंह से कुछ ना कहा, नए मैनेजर ने फिर कहा,,
दुकान से अभी-अभी खरीदा है और चार्जिंग भी पूरी है
नए मैनेजर ने मोमबत्ती हटाकर उसकी जगह टेबल लैंप रख दिया
टेबल लैंप के जलते ही एक सफेद सी चारों तरफ रोशनी चमक उठी
किताबों के एक-एक अक्षर साफ-साफ दिखाई देने लगे ,,
उस लड़की ने कहा अंकल जी इस लैंप में तो बहुत रोशनी है ऐसे लग रहा है जैसे सवेरा हो गया हो
नए मैनेजर ने कहा ,, मुझे अपनी गाड़ी में पेट्रोल डलवाना है मैं अभी आधे घंटे बाद इस टेबल लैंप को ले जाऊंगा जब तक तुम इसे अपने पास रखो और किताबें पढ़ो
इस कहानी को भी पढ़ें:
नए मैनेजर की बात सुनकर किशन लाल को मन ही मन अपने नए मैनेजर पर गुस्सा आ रही थी,, और अपने नए मैनेजर को मन ही मन कोस भी रहा था यह कहते हुए,, बड़ा कंजूस मैनेजर है , यह लैंप इस लड़की को दे दे अपनी बेटी के लिए दूसरा भी तो खरीद सकता है इसको क्या रूपयों की कमी है सरकारी नौकरी है सैलरी भी ज्यादा मिलती होगी
किशन लाल अभी कुछ और सोचता
नए मैनेजर ने उस लड़की से कहा ठीक है मैं आधे घंटे बाद आऊंगा अपना लैंप ले जाऊंगा
और वह किशन लाल को आवाज लगाते हुए कहने लगा यहां पर नजदीक पेट्रोल पंप कहां पर है,,
किशन लाल गाड़ी में बैठ गया और पेट्रोल पंप का रास्ता भी बता दिया
पेट्रोल भरवाने के बाद ,, नए मैनेजर ने अपनी गाड़ी चलानी आरंभ कर दी 15 मिनट के बाद गाड़ी एक मकान के सामने रूकी
किशन लाल ने देखा यह है तो मेरा घर है
नए मैनेजर ने कहा ,, लो आपका घर आ गया
किशन लाल सामने अपना घर देखकर अपने नए मैनेजर से कहने लगा, मेरा घर आपको कैसे मालूम हुआ
तब मैनेजर ने कहा मैं सबकी खबर रखता हूं
तब किशन लाल ने मैनेजर से कहा गाड़ी में पेट्रोल भरवाने में और यहां तक आने में हमें आधा घंटा हो चुका है उस लड़की से वह टेबल लैंप भी तो वापस लेना है आपको अपने घर अपनी बेटी के लिए ले जाना था
नए मैनेजर ने गाड़ी स्टार्ट की और चलते-चलते किशन लाल से कहा .. मैं तो अभी कुंवारा हूं मेरी शादी नहीं हुई है
वह टेबल लैंप मैंने उसी लड़की के लिए खरीदा था कल शाम को जब मैं इस मोहल्ले का चक्कर लगा रहा था तब मैंने उस लड़की को सब्जी की दुकान पर किताब पढ़ते हुए देखा अंधेरा होते ही उसने मोमबत्ती जला दी मगर बार-बार मोमबत्ती हवा के कारण बुझ रही थी
इस कहानी को भी पढ़ें:
*हत्या एक विश्वास की* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi
उस पढ़ने वाली छोटी लड़की को टेबल लैंप की आवश्यकता थी
लेकिन किन्हीं कारणवश उसके माता-पिता उसे टेबल लैंप दिलाने में असमर्थ थे
मैंने उस लड़की के बारे में आसपास के लोगों से जानकारी ली
पता करने पर मुझे मालूम चला उस लड़की के पिता नहीं है
मां शाम को खाना पकाने के लिए घर चली जाती है तब उसकी बेटी दुकान पर सब्जी बेचने का काम करती है और सब्जी बेचने के साथ-साथ पढ़ती भी है
नए मैनेजर के जाने के बाद किशन लाल खड़े-खड़े सोचने लगा इस मोहल्ले में मुझे 20 साल हो गए उस सब्जी बेचने वाली लड़की का पिता नहीं है यह बात मुझे मालूम ही नहीं है
हम सब समाज के लोग अपने अपने सपनों को पूरा करने में ऐसे उलझ चुके हैं कि हमें इधर-उधर की कोई जानकारी ही नहीं कौन किस तकलीफों में जी रहा है
लेकिन नए मैनेजर का यह कार्य देख मुझे बहुत खुशी मिली
यह नए मैनेजर दयालु प्रकृति के हैं शायद इसलिए इतनी बड़ी पोस्ट पर है
मैं तो धन्य हो गया ऐसे नए मैनेजर को पाकर
लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना