“नवाब” – ललिता विम्मी : Moral Stories in Hindi

Post Views: 2 मैं नहीं जानती, तुम कहाँ हो ,कैसे हो जिन्दा भी हो या मर गए। मेरे लिए तो तुम ज़िन्दा और मरे बराबर ही हो।मैं तुम्हें लिखना तो नहीं चाहती थी,पर मुझ अनपढ़ के हाथ में ये हुनर आया है तो अब लिखे बिना रहा भी नहीं जाता।  शुक्र गुज़ार हूँ,मैं मेरी जरीना … Continue reading “नवाब” – ललिता विम्मी : Moral Stories in Hindi