नासमझ अन्याय – सुनीता मिश्रा

Post Views: 28 “माँ, दीदी के लिये इतने सुन्दर झुमके, मैं कब से  अपने लिये छोटे से टॉप्स माँग रहीं हूँ , आपने कभी ध्यान ही नहीं दिया।” “मझली, देख बेटा वो कितने दिन की हैं इस घर में, ब्याह हो जायेगा, चली जायेगी ससुराल। वहाँ कैसे लोग मिलते, उसकी इच्छा पूरी करते की नहीं। … Continue reading नासमझ अन्याय – सुनीता मिश्रा