दीपावली नजदीक आ रही है.. चारो तरफ त्योहार की धूम है.. कितनी जद्दोजहद और जलालत सहने के बाद आज समर के साथ बंधे बेमेल रिश्ते से मुक्ति मिली.. मंजुला सोच रही थी कि मैं इस फैसले से मुक्त होने पर खुशियां मनाऊं या फिर अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर दुःखी हो जाऊं.. मैं अपनी किस्मत से और मेरे अपनों से बहुत #नाराज #हूं.. मेरे अपनों ने और मेरी फूटी किस्मत ने मुझे जिंदगी के इस मोड़ पर ला कर खड़ा कर दिया है..
अपने अतीत में गोते लगाने लगी मंजुला..
तेरह साल की उम्र में लीवर की बीमारी ने मां को छीन लिया.. पिता मां की मौत का मातम मना रहे थे या अपने कर्तव्य से पलायन करने के बहाने ढूंढ रहे थे समझ नही पाई.. शराब पीना और ताश खेलना उनकी दिनचर्या में शामिल हो गया था.. बड़ा भाई बारहवीं में था.. चाचा ने पिता का फर्ज निभाते हुए मंजुला और उसके भाई अनुज का हर जरूरत पूरा कर रहे थे.. चाचा के दोनो बच्चे बोर्डिंग में पढ़ रहे थे.. अनुज के दोस्त जब चाचा और पापा नही रहते थे तब आते अजीब सी निगाहों से घूरते.. जवान होती बेटी के लिए मां कवच कुंडल होती है जो दुनिया की बुरी नजर से बचाती है और दुनियादारी भी सिखाती है.. कभी पानी पीने के बहाने रसोई में भाई का दोस्त आ जाता ग्लास में पानी पकड़ाती तो हाथ पकड़ लेता कभी गाल पर चिकोटी काट लेता.. होली के दिन तो हद हो गई अबीर लगाने के बहाने मंजुला को कस के पकड़ लिया धक्का दे कर मंजुला वहां से भागी.. किससे कहती अपनी व्यथा..
चाची अपने मायके में रहती थी क्योंकि अपने मां बाप की इकलौती संतान थी.. उनकी देखभाल वही करती थी.. मंजुला ने बहुत सोच विचार कर दूर के रिश्ते की संतानहीन विधवा बुआ को कुछ दिन के लिए बुला लिया.. चाचा से कहा अकेले डर लगता है मन भी कभी कभी घबराता है भैया अपने दोस्तों के साथ चला जाता है..
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मंजुला कॉलेज में दाखिला ले लिया .. उसकी दोस्ती राजेश से हुई.. बेहद शांत स्वभाव का गंभीर पढ़ाकू राजेश उसे धीरे धीरे पसंद आने लगा.. उसके दुःख दर्द को बांटने वाला साथी मिल गया था.. ग्रेजुएशन पूरा हो गया था.. मंजुला पीजी में चली गई थी.. राजेश प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने पटना चला गया.. एक रात मंजुला और राजेश की बातचीत मंजुला के पिता के कानों में पड़ गई.. उन्होंने मंजुला पर नजर रखना शुरू कर दिया..
और एक दिन मंजुला का रिश्ता बिना किसी से पूछे समर के साथ तय कर दिया.. समर दो भाई था बड़ा भाई समीर की पत्नी दो साल पहले चल बसी थी बच्चे को जनम देते समय.. संपन्न परिवार था.. मंजुला के सपनों को बेरहमी से तोड़ते हुए उसकी शादी कर दी..
ससुराल आए उसे पंद्रह दिन हो गए.. पति उससे कटा कटा सा क्यों रहता है ये उसके समझ में नहीं आ रहा था.. समर के बड़े भाई समीर जो रिश्ते में उसका जेठ था उसकी कामुक नजरें अक्सर उसके शरीर को घूरती रहती.. एक रात मंजुला ने लाज शर्म छोड़ कर पति से पूछा आप क्यों मुझसे इतना दूर दूर रहते है? मुझसे कोई गलती हो गई है या मुझमें कोई कमी है.. बोलिए ना.. पति को झिझोड़ती हुई मंजुला लगभग चीख उठी.. हाथ छुड़ाता हुआ समर कमरे से निकल गया.. मंजुला सिसक उठी.. अचानक उसे अपने बेहद करीब शराब की बदबू से भरी सांसों की गरमी महसूस हुई.. मंजुला ने संभलना चाहा पर मजबूत हाथों ने धक्का दे कर उसे बिस्तर पर गिरा दिया.. समर आप कहां हैं मंजुला ने चीखते हुए कहा.. उसके होठों पर अपनी हथेलियों को रखकर समीर ने कहा वो नही आयेगा .. समर नामर्द है. ये शादी समर ने समाज परिवार और नाते रिश्तेदारों के सवालों से बचने के लिए किया है.. मेरे बच्चे की परवरिश भी हो जायेगी और हमारी तुम्हारी शारीरिक जरूरतें भी पूरी हो जाएगी.. किसी को पता भी नही चलेगा . समर को सब पता है..
मंजुला को जैसे बिजली का झटका लगा . किसी तरह समीर से खुद को बचाते दूसरे कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया..
चाचा को फोन कर अगले दिन आने का वादा लिया..
चाचा आए उनसे लिपट कर रो पड़ी मंजुला.. चाचा को लगा मायके की याद आ रही है.. आरजू मिन्नत कर के एक सप्ताह के लिए मंजुला को ले आए चाचा..
कल समर लेने आ रहा है मंजुला तुझे.. पहली बार शादी के बाद आ रहा है दामाद.. स्वागत सत्कार अच्छे से होना चाहिए.. बहुत कशमश में पड़ गई मंजुला.. चाचा को ये बात कैसे बताएं.. बताना हीं पड़ेगा..
कोर्ट के चक्कर वकीलों के अजीबोगरीब सवाल उफ्फ शर्म और अपमान से जड़ हो जाती जैसे. मंजुला.. एक लड़की से ऐसे ऐसे गंदे सवाल. कोर्ट से बाहर आने पर लगता सब की नजरे उसे हीं देख रही है.. जबकि ऐसा नहीं था… चरित्रहीन होने का आरोप फिर घर से कीमती सामान चुराने का झूठा आरोप क्या क्या न सहा.. पर सत्य की विजय हुई..
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इन दो सालों में कितना कुछ सहा मंजुला सोच रही थी..
Veena singh
आज राजेश उसे अरसे बाद बहुत याद आ रहा था..
दीवाली भी आ हीं गई.. मंजुला उदास सी बैठी सोच रही थी अब मैं क्या करूं.. चाचा के पास जाना नही चाहती हूं माहौल बहुत बदल गया है..
किराए का ये कमरा भी अब छोड़ना होगा क्योंकि जिस स्कूल में पढ़ाती थी उससे निकाली जा चुकी हूं मेरे कारण स्कूल की बदनामी हो रही थी.. कल कमरा खाली कर किसी आश्रम में चली जाऊंगी..
Veena singh
शाम हो चुकी है दीयों की जगमग करती रौशनी पटाखों के शोर से पूरा शहर जैसे खुशियां मना रहा है.. कॉलबेल इतनी देर से कौन बजा रहा है..
अरे राजेश तुम… खुशी के आंसू जुदाई के आंसू गम के आंसू एक साथ निकलने लगे ..जैसे कोई अपना दिल के बेहद करीबी को देखकर ..बांध तोड़कर बह चले. आंसू. मंजुला की जिंदगी में अनगिनत दीप प्रज्जवलित हो उठे खुशियों के उम्मीदों के प्रेम के…. इस दीवाली… और उसकी अपनी किस्मत से इतने सालोंकी#नाराजगी #आज दूर हो गई थी…
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Veena singh…
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