नाराज – क़े कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मेरे पति के साथ मेरा कोल्ड वार चल रहा था पूछिए क्यों ? दो महीने पहले मेरे ससुर की मृत्यु हृदयाघात से हो गई थी। वे गाँव के सरकारी स्कूल में गणित के शिक्षक थे। वहीं गाँव में ही उन्होंने दोमंजिला घर बनवाया था और आराम से रह रहे थे।

उनके दो बेटे थे। मेरे पति विजय बडे बेटे हैं। हम हैदराबाद में रहते हैं। हमारी दो बेटियाँ हैं रंजना और शैलजा दोनों ही हाई स्कूल में पड़ती हैं। मेरे पति बैंक में काम करते हैं। मेरा देवर संजय पूने में चार्टड एकाउंटेंट हैं उनकी पत्नी प्रभा साफ्टवेयर इंजिनीयर है। उनका एक ही बेटा है जो अभी छोटी कक्षा में पड़ता है। यह है मेरा परिवार अब बात यहीं पर पूरी नहीं हो जाती है। मैंने आप लोगों को यह बताया था कि मेरे पति मुझसे नाराज हैं ससुर जी की मृत्यु के बाद वे सासुमाँ को हमारे पास रखना चाहते थे।

जब मेरे पति माँ से कह रहे थे कि माँ मेरे साथ चलो मेरा दिल धक से रह गया मैं नहीं चाहती थी कि वे मेरे घर में आकर मुझ पर राज करें। उसी समय सासु मां ने कहा कि यहाँ मुझे सब जानते हैं तुम्हारे पिताजी का अच्छा नाम है तो जरूरत पर सब मदद कर देंगे इसलिए मैं कुछ दिन यहीं रह जाऊँगी तुम्हारे पास फिर कभी आ जाऊँगी। यह सुनकर मुझे मेरी सासु माँ पर प्यार आ गया था। मैंने सोचा चलो उन्होंने खुद आने से साफ मना कर दिया है। हम सब वापस आ गए थे। अभी मैं सुकून की साँस भी नहीं ली थी

कि गाँव से खबर आई कि माँ थोडी सी बीमार है बस उस दिन से इन्होंने रट लगा रखी कि माँ को घर ले आएँगे। मैं सासु माँ को यहाँ लाने के खिलाफ थी। मैं कहती कि घर छोटा है उन्हें कहाँ रखेंगे। यह सुनकर कहने लगे कि चार कमरों का नया घर ले लेंगे परंतु माँ यहाँ जरूर आएगी। उसी बात को लेकर हम दोनों के बीच अनबन हो गई और वे मुझसे रूठ गए हैं।. मेरी सहेली का फोन आया तो बात करने लगी। उसी ने मुझे सलाह दिया था कि सास को अपने साथ मत रखो बाद में तुम्हें भुगतना पड़ेगा।

मेरे पति ने भी ऐसे ही सास को लाने की जिद की थी तो मैंने हंगामा कर दिया तब जाकर पति ने मेरी बात मानी थी। उसकी बातों को सुनकर मैं और भी उदास हो गई थी। सोचा बाद में इसके बारे में सोचती हूं अभी अपनी उदासी को दूर करने के लिए शापिंग के लिए निकल जाती हूँ।मैं ऐसी हूँ कि शापिंग के लिए भी किसी को नहीं लेकर जाती हूँ। मुझे अकेले सुकून से घूमना पसंद है। मैं तैयार होकर निकलने वाली ही  थी कि पति देव का फोन आया सोचा कि अभी मुझपर मेहरबान क्यों हो रहे हैं?

कहीं ऐसा तो नहीं कि अपनी माँ को ला रहे हों हे भगवान अब मैं क्या करूँ? फोन उठाऊँ तो मालूम नहीं कौन सी खबर सुऩने को मिलेगी ना उठाऊं तो उनका मुँह और फुल जाएगा। जो होगा देखा जाएगा सोचकर फोन उठाकर हेलो कहा वहाँ से पति देव ने कहा कि देखो शालू मेरे ख्याल से तुम शापिंग को जाने वाली हो पैसे तुम्हारे पर्स में रखा दिए हैं और बीच में रोड वाइडनिंग की वजह से ट्राफिक का रास्ता बदल दिया गया है । इसलिए मैं ड्राइवर को भेज रहा हूं तुम केब में मत जाना।

उनकी बातें सुनते ही मुझे उन पर प्यार आ गया था । एक बार को लगा कि उनकी बात मान लूँ क्या? परंतु दिल ने कहा अरे! ऐसी भूल मत करना । मैंने भी ठीक है थैंक्यू कहते हुए फोन रख दिया । मैं तैयार हुई भी कि नहीं ड्राइवर रतनलाल ने बाहर से आवाज दी जल्दी से मैंने डोर लॉक किया आकर कार में बैठ गर्ई। मैं दो तीन दुकानों में घूमी और आगे थोड़ी दूर हम पहुँचे ही थे कि हमारी कार खराब हो गई थी ।

 रामलाल ने उसे ठीक करने की कोशिश की थी परंतु उससे नहीं हो पाया था तो वह मेरे पास आकर कहने लगा कि मेम साहब मैं मेकेनिक को बुलाकर ठीक करवाता हूँ। आप बुरा न मानें तो मेरा घर पास ही है आप चलकर थोड़ी देर बैठ जाएँ ।

मेरा मूड. शापिंग करने का नहीं था इसलिए सोचा चलो एक बार घूम आती हूँ। इसी बहाने इन लोगों के घर कैसे होते हैं देख हैं । मैंने हामी भरी और उसके साथ उसके घर की तरफ चल पड़ी ।

उनका घर छोटा सा था। घर को सामने एक छोटा सा बरामदा था जहाँ एक बुजुर्ग आदमी बैठकर पेपर पढ़. रहे थे। उसी समय रामलाल को पत्नी अंदर से आई और मुझे अपने साथ अंदर ले गई। मैंने देखा अंदर एक छोटा सा कमरा है वहीं एक कोने में रसोई का सामान रखा हुआ था शायद वह रसोई है कोने में पलंग है पलंग नये पास एक बुजुर्ग महिला चुपचाप बैठी हुई थी औैर पलंग पर तीन लडक़ियाँ बैठ कर पढ़ रही थी। मेरे लिए एक कुर्सी लाकर रामलाल ने मेरे लिए लाकर रखा और कहा मेम साहब बैठिए मैं अभी आता हूँ।

रामलाल की पत्नी सुशीला मेरे पास आई और कहा कि दीदी चाय बनाकर लाती हूँ। मैंने मना किया तो कहा कि दीदी मैं बहुत अच्छी चाय बनाती हूं मना मत कीजिए मैंने कहा ठीक है बना ले। वह चाय बनाने गई तो मैंने लडकियों से बात करना शुरू किया और उनसे पूछने लगी कि बेटे आप लोग इतने छोटे से कमरे में सोते कैसे हैं। उनसे पूछऩे के बाद मुझे लगा कि बच्चों से ऐसे प्रश्न नहीं पूछना चाहिए था।

बडी बेटी ने कहा कि आंटी दादा दादी बाहर बरामदे में सो जाते हैं और हम तीनों पलंग पर माँ पापा जमीन पर सो जाते हैं। हाँ अगर बारिश हो जाती है तो दादा दादी पलंग पर और हम सब जमीन पर सो जाते हैं। इतने में ही सुशीला चाय लेकर आ गई थी। मैंने जैसे ही चारा का एक घूँट पिया और सुशीला से कहा चाय सचमुच ही बहुत ही अच्छी बनी है। हम एक दूसरे से बातें करने लगे ये तब उसऩे बताया था कि राम लाल के दो भाई और हैं लेकिन वे दूसरे शहरों में रहते हैं और वे इन्हें अपने पास नहीं रखना चाहते हैं लेकिन दीदी अपने ही

अपनों के काम नहीं आए तो क्या फायदा है कहिए कल को हमारी तो तीन हैं हमें भी किसी के सहारे की जरूरत पड़ेगी है ना। मैंने तो इनसे कह दिया कि माँ पापा हमारे साथ ही रहेंगे। हमारा घर छोटा है तो क्या हुआ दिल तो बड़ा है ना। मैंने पूछा कि सास बातें नहीं कहती हैं।

उसने हँसते हुए कहा कि जब मैं शादी करके आई थी तब सासु माँ दूसरों के घरों में काम करती थी। मैंने जैसे ही काम करना शुरू किया तो वे घर पर रहकर मेरे बच्चों को संभाल लेती हैं । हाँ कभी कभी बहुत गुस्सा होती हैं हम सबको बातें सुनाती हैं परंतु हम सब उनकी बातें दिल से नहीं लगाते हैं। देखिए ना दीदी जहाँ डाँट होती है वहाँ अपनापन होता है। मैं अभी कुछ कहता रामलाल आ गया कि चलिए मेम साहब गाड़ी ठीक हो गई है।

मैं सीधे घर चली गई थी दिलमें हलचल चल रही थी बार बार सुशीला के कहे हुए शब्द कानों में गूँज रहे थे कि अपने ही तो अपऩों के काम आते हैं ना दीदी।

शाम को पति घर पहुँच तो मैं चाय का प्याला लेकर उनके पास गई और कहा कल हम माँ को लेने चलते हैं। यह सुनते ही मेरे पति आश्चर्य से मुझे देखने लगे और कहा सच? मैंने जैसे ही हाँ में अपना सर हिलाया तो मेरा नाराज पति अपनी नाराजगी को भूल कर मुझे थैंक्यू कहते हुए गले लगा लिया और मुझे अपने निर्णय पर गर्व हुआ।

क़े कामेश्वरी

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