नईहर – सारिका चौरसिया

Post View 1,396 बंदरिया के छोटे बच्चे सी सीने में चिपकी बच्ची लिये गले तक लम्बा घूंघट काढ़े वह चुप, ड्योढ़ी पर खड़ी थी,, ठसक गंवई बोली में तेज!तीखी आवाज में बोलती साथ आयी दूसरी औरत, ठिगनी सी…किन्तु तेजतर्रार थी। शीशम की बढ़िया कामदार कशीदा करी चांदी की मुठ जड़ी चौकी पर करमशाही अंदाज में … Continue reading नईहर – सारिका चौरसिया