नहीं! मुझे बुरा नहीं लगता। – मधू वशिष्ट 

Post Views: 27 “सुनो, आज शाम को सरसों का साग बना कर रखना, थोड़ा सा गाजर गोभी का अचार भी डाल देना। यह रोटी ले जाओ, ठंडी हो गई है गरम फुल्का ले आना।” बिना विरोध किए गंगा विनय की हर बात मुस्कुराकर मानी जा रही थी। शीला ने देखा था रात को जीजा जी … Continue reading नहीं! मुझे बुरा नहीं लगता। – मधू वशिष्ट