“नहीं भूलेगी बरसात की वो रात” – कविता भड़ाना

बारिश को भी अभी आज ही आना था, सोचते हुए सिया ने अपना बैग पैक किया और सभी बच्चों को विदा करके ” ट्यूशन इंस्टिट्यूशन “से बाहर निकली,

तब तक बरसात बहुत तेज होने लगी। सिया एक मध्यम वर्गीय परिवार की तीन भाई बहनों में सबसे छोटी बेटी है,जिसने अभी-अभी m.Ed की परीक्षा पास की है

और नेट के एग्जाम के बाद फ्री टाइम में नॉलेज और पॉकेट मनी के लिए 10वीं 12वीं के बच्चों को मैथ और इकोनॉमिक्स  पढ़ाती है,

बच्चों की परीक्षाओं के कारण आज एक्स्ट्रा क्लास ली है,जिससे 7 की बजाय आज रात के 8:00 बज गए, और ऊपर से तेज बारिश।।

उसने फोन करके अपनी मम्मी को इन्फॉर्म कर दिया था कि आज आने में थोड़ी देर हो जाएगी तो वह चिंता ना करें। पर सिया की मम्मी अनीता जी

का चिंता करना लाजमी था क्योंकि उनके पति यानी सिया के पापा “अमित जी”और भाई “मानव” काम के सिलसिले में शहर से बाहर गए हुए थे।

सिया की बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और वह भी दूसरे शहर में रहती है। अब अनीता जी बस भगवान से यही प्रार्थना कर रही थी कि उनकी बेटी सही सलामत घर आ जाए

तो वह चैन की सांस ले। इधर सिया को कोई भी ऑटो कैब नहीं मिल पा रही।उसके साथ के सभी टीचर्स भी जा चुके थे और रात भी गहराती जा रही है।

 देश की राजधानी दिल्ली भी आजकल कितनी असुरक्षित है यह तो सभी जानते हैं, और अब तक की सबसे “जघन्य” घटना “निर्भया कांड”के बाद तो, रात में तो छोड़ो,दिन में भी अकेले सफर करने में डर लगता है।

  सिया को भी अब घबराहट होने लगी और  मन ही मन जल्दी से घर पहुंचने की प्रार्थना करने लगी की तभी सिया को अपनी बस आती दिखाई दी

और वो लपक कर बस में चढ़ गई, पर जैसे ही उसने बस में नजर डाली तो वह घबरा गई, क्योंकि आमतौर पर भरी रहने वाली बस आज खाली थी।

बस के ड्राइवर और कंडक्टर को छोड़कर,सिर्फ दो सवारी थी एक बुजुर्ग, और एक सिया की ही उम्र का लड़का, इतने में बस चल पड़ी, कोई और चारा ना देख कर सिया बिल्कुल आगे वाली सीट पर बैठ गई,

उसका दिल बहुत तेजी से धड़क रहा था और वह मन ही मन अपने आप को कोसने भी लगी कि इस खाली बस में चढ़ी ही क्यों!!… पर अब क्या हो सकता था।

  आगे की सीट पर बैठने के कारण ड्राइवर उसे बार-बार व्यू मिरर में से घूरे ही जा रहा था। उसकी लाल-लाल आंखों से सिया को बहुत घबराहट होने लगी।

कंडक्टर भी,  जो उसके बराबर वाली सीट पर बैठा था, वह भी उसे तिरछी नजरों से घूर रहा था।..पिछली वाली सीट पर भी दो पुरुष सवारी ही है,

बस यही देख और सोच कर सिया का दिल किसी अनहोनी से बैठा जा रहा था। 



   लगभग 25 मिनट बाद उसका स्टॉप आया और आते ही वह दौड़ती हुई बस से उतरी और तेज तेज कदमों से घर की तरफ चल पड़ी।

स्टॉप से दो गलियां छोड़कर सिया का घर था। बरसात की वजह से पूरी गलियां,बस स्टॉप सब सुनसान पड़े थे। कहीं-कहीं इक्का-दुक्का लोग ही नजर आ रहे हैं, जो कि सिया को अजीब निगाहों से घूर रहे थे। 

   अब सिया में असुरक्षा की भावना लगातार बढ़ती ही जा रही थी।वह और भी तेजी से कदम बढ़ाने लगी कि तभी उसका ध्यान पीछे गया तो चौंक गई।

मुड़कर देखा कि बस में सवार दोनों “पुरुष सवारी”उसके पीछे पीछे चल रहे हैं। पहले तो उसे लगा शायद ये लोग यहीं कहीं आस-पास रहते होंगे,

पर जब दोनों लगातार उसके पीछे पीछे चलते रहे तो उसका मन आशंकाओं से घिरने लगा और सिया और भी तेजी से चलने लगी।

जैसे ही उसे अपनी गली नजर आई वह दौड़ती हुई सीधे अपने दरवाजे पर पहुंची और जोर से दरवाजा पीटने लगी।

   अनीता जी ने फटाक से दरवाजा खोला और डरी सहमी हुई बेटी को अपने गले से लगा लिया।इतने में वह दोनों पुरुष भी आ पहुंचे उन्हें देखकर सिया डर गई

और चिल्लाने लगी “मेरा पीछा क्यों कर रहे हो”?…यह सुनकर बुजुर्ग सवारी ने कहा,बेटा हम तुम्हारा पीछा नहीं कर रहे, बल्कि बस में तुम्हें अकेला देखकर हम दोनो ने तुम्हें घर तक छोड़ने का निश्चय किया,

वरना हमारा स्टॉप तो वहीं था जहां से तुम बैठी थी,पर मेरे बेटे को और मुझे तुम्हें बस में अकेले छोड़ना सही नहीं लगा,

इसलिए हम तुम्हारे स्टॉप तक तुम्हारे साथ आए। पर जब देखा स्टॉप भी सुनसान और असुरक्षित है तो तुम्हे घर तक छोड़ने का फैसला किया।

    अब तुम सुरक्षित अपने घर पहुंच गई हो तो हम निश्चिंत होकर अपने घर जा पाएंगे। यह सब सुनकर सिया ने दोनों हाथ जोड़कर अपने गलत व्यवहार के लिए क्षमा मांगी

और उन्हें बहुत-बहुत धन्यवाद दिया। अनीता जी ने भी बुजुर्ग और उनके बेटे का आभार प्रकट करते हुए कहा कि

जब तक आप जैसे लोग इस दुनिया में हैं कोई भी बेटी कहीं भी, कभी भी असुरक्षित नहीं रह सकती और कृतज्ञता से दोनो हाथ जोड़ दिए।

     बाहर बारिश फिर से अपनी चरम सीमा पर थी पर आज की इस घटना के बाद सिया के जेहन में हमेशा रहेगी और वो कभी……. “नहीं भूलेगी बरसात की वो रात”।।।।।

 

कविता भड़ाना

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