शिवानी की शादी बड़े धूम-धाम से उसी के ही गांव में हुई थी। शिवानी नौकरी करती थी,पर उसके पति राजेश अभी पढ़ाई कर रहे थे।दोनों अलग-अलग शहरों में रहते थे।
सब कुछ बहुत ही बढ़िया चल रहा था। शिवानी की सास चाहती थी कि वो जल्दी से पोते को अपनी गोद में खिलाये,। राजेश उनका इकलौता बेटा था। पर राजेश अभी बच्चे की ज़िम्मेदारी नहीं उठाना चाहता था।
दो साल बीत जाने पर शिवानी की सास हमेशा शिवानी को जली कटी सुनाती रहती। जैसे इन सबमें शिवानी का ही दोष है।
एक बार शिवानी से मिलने उसके पति राजेश उसके शहर आये, अक्सर बीच बीच में उससे मिलने आते रहते थे।
शिवानी के माता-पिता गांव में ही रहते थे। ससुराल,मायका थोड़ी ही दूरी पर था।
शिवानी ने अपनी मां के लिए कुछ सामान भेजा, और मिल्क पाउडर के डिब्बे में एक पत्र मां के लिए लिखा, क्यों कि चाय बनाने के लिए मां ही सबसे पहले डिब्बा खोलती। परंतु राजेश ने वो डिब्बा खोला, उसमें रखे पत्र को चुपचाप पढ़ने लगा। मां, मेरी तबियत ठीक नहीं रहती, मुझे उल्टियां आती है,खाना खाने में जी मिचलाता है। पता नहीं मुझे क्या हो गया है।
राजेश ने वो पत्र छुपा लिया और कुछ दिनों में वापस शिवानी के पास आ गया।
उसने शिवानी को कहा,चलो डाक्टर के पास चलते हैं, तुम्हारे पेट में अक्सर दर्द होता है।दिखा दें। दोनों डाक्टर के पास गए। उसे बेहोश कर दिया गया,जब होश आया तो तेज दर्द हो रहा था। शिवानी उठने लगी तो डाक्टर ने कहा, नहीं,उठो मत,लेटी रहो। वैसे तुम लोगों ने अच्छा नहीं किया,जानती हो, लड़का था।जिसको तुम लोगों ने अबॉर्शन करवा दिया। क्या? शिवानी यह सुनकर स्तब्ध रह गई। तो उसके पति ने उसके साथ छल किया। वह वहां कुछ कहकर उन्हें अपमानित नहीं करना चाहती थी।
इस कहानी को भी पढ़ें:
घर आकर रोते हुए बोली, आपने मेरे साथ इतना बड़ा धोखा क्यों किया? राजेश ने कहा, तुम्हारे भाई की शादी होने वाली है। मैं नहीं चाहता कि भाई की शादी में तुम शरीक ना हो सको । इसके अलावा अभी मेरी नौकरी नहीं लगी है, तो हम एक और जिम्मेदारी कैसे ले सकते हैं ,और तुमसे एक बात कहता हूं, तुम्हें मेरी कसम है जो मेरी मां को बताया।
इस राज को अपने सीने में दफ़न कर लेना।
अब कई साल बीत गए, शिवानी जब भी ससुराल जाती,सबके सामने उसकी सास उसे ताने मारती। अरे, इसके तो कभी बच्चा नहीं होगा।यह तो बांझ है।
निपूती कहीं की। मेरे बेटे के गले की फांस बन गई है।इसका जब देखो तब पेट ही दुखता रहता है।
शिवानी इस तरह सबके सामने अपनी उपेक्षा होते हुए देखकर कातर निगाहों से अपने पति को देखती, शायद वो उस राज को अपनी मां से बता दें,कम से कम उसका जीना तो मुहाल हो जाए।पर राजेश अपनी मां के गुस्से को जानते थे, उनसे बहुत डरते थे।उनकी हिम्मत नहीं पड़ी और शिवानी को अपशब्दों की मार झेलनी पड़ी। अपनी उपेक्षा का दंश सहते हुए आठ साल बाद उसके बेटी हुई,पर सास को तो वारिस चाहिए था। वो कैसे बताती कि आपके वारिस को तो आपके बेटे ने ही नष्ट करवा दिया।
करनी किसकी और भुगतना किसको पड़ रहा था। शिवानी की सास अब उसी के सामने अपने बेटे की दूसरी शादी के लिए लोगों को बुलाती। लड़की वालों से कहती, अरे, ये तो बांझ है, इसलिए मैं अपने बेटे की दूसरी शादी कर रहीं हूं। ओह, इतना बड़ा अपमान, इतनी उपेक्षा, चिल्ला पड़ी, मां जी, मैं बांझ नहीं हूं, मेरी एक बेटी है। हां तो लड़की ही तो है, लड़कियां तो माटी की होती हैं।
राजेश अचानक ही बाहर से आकर सब सुन लेते हैं, तुरंत अपनी बेटी और पत्नी को लेकर चल देते हैं, मां,अब मैं इसकी और उपेक्षा सहन नहीं कर सकता, मैं जा रहा हूं हमेशा के लिए।पर अब भी उनके मुंह से वो राज की बात नहीं निकली। ताजिंदगी वो राज,राज ही रह गया। पर शिवानी को अब भी दुःख होता है कि राजेश की एक ग़लती के कारण उसे “नारी जाति की सबसे बड़ी गाली “सुनने को मिली।
सुषमा यादव प्रतापगढ़ उ प्र
छठवां बेटियां जन्मोत्सव।
चतुर्थ प्रस्तुति।