दादी ने नितिन को बताया कि तेरे से खेलने के लिये घर में एक छोटी बहन आ गई है, सुनकर वो खुशी-से नाचने लगा।वो दादी से पूछा,” उसका क्या नाम रखेंगे दादी..।” नितिन की जिज्ञासा देखकर दादी मुस्कुरा दी।
छठी के बाद घर के सभी लोग बड़े हाॅल में जमा हुए।बड़े दिनों बाद घर में बेटी का जनम हुआ तो इसका क्या नाम रखा जाये।तभी बच्ची की छोटी बुआ चहकता हुए बोली,” कितनी प्यारी इसकी स्माइल है..’मुस्कान’ रख देते हैं।”
सुनते ही दादी भड़क उठी,” खबरदार जो उ डायन वाला नाम रख ल त..।बाप रे बाप..कइसे अपन मरदवा के मार के…ओकरा…कतर-कतर के…डराम में भर-भर के..राम-राम..अइसन-अइसन के तो मुआ देब के चाही।ओकरा वाला नाम हमरा खानदान में कोई ना रखि…।” कहते हुए दादी ने अँगूठे के पास वाली ऊँगली सबको दिखाई।
सुनकर बड़े-छोटे सोचने लगे, दादी टीवी देखती नहीं हैं लेकिन सुनती ज़रूर हैं।सभी नाम के लिये अपने-अपने दिमाग पर ज़ोर डालने लगे।दादी जो नाम बताती तो बाकी very old कहकर reject कर देते और नई पीढ़ी जो नाम रखना चाहती, दादी उसकी कमी निकाल देतीं।कुछ देर बाद अचानक दादी चिल्लाई,” उ आकास में..जो जा के चल आई है ना बचिया…ओकरे नाम बड़ी नीक(अच्छा) है।का पता..कल के हमार पोती भी…।” दादी की आँखें चमक उठीं।
” कौन अम्मा…सुनीता विलियम्स..।” नितिन के ताऊ जी चहक उठे।
दादी उसी अंदाज़ में बोलीं,” हाँ बेटा..देख तो..कइसे आकास में रहकर भी अपन देस-परिवार का नाम ऊँचा की है..हमर पोती के नाम भी सुनीता ही रख..का पता कल उ भी..।” कहते हुए उनकी आँखें भावी सुनहरे सपने देखने लगी।
विभा गुप्ता
स्वरचित