न भी न ! मैं ‘मैं’ ही ठीक हूं ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

  ‘अमिता, मेरी नीली कमीज प्रेस नहीं की? कल सुबह तुम्हें बोलकर घर से निकला था। आज मेरी प्रेजेन्टेशन है।मुझे वही कमीज पहननी थी।पता नहीं तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है?’    ओह सॉरी,भुवन! दरअसल कल कपड़े प्रेस करने के लिए समय ही नहीं मिल पाया। मैं अभी प्रेस कर देती हूँ।    ‘समय नहीं मिल पाया ?? बाई- … Continue reading न भी न ! मैं ‘मैं’ ही ठीक हूं ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi