मुक्ति (भाग-6) एवं (अंतिम भाग ) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

Post View 543 ” क्या मतलब ?” “मतलब तो तुम ही जानती हो शायद ! उन सब बातों का मतलब जो तुम्हारे लिये होती हैं। ऐसी बातें सब क्यों करते हैं तुम्हारे लिये ?” सारिका ने मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखते हुए कहा और मैं उस दृष्टि का सामना नही कर पाई। मैं दूसरे कमरे … Continue reading मुक्ति (भाग-6) एवं (अंतिम भाग ) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi