मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

Post Views: 8 मैं आगे बढ़ कर पीछे के रास्ते निकली और पड़ोस का पिछला दरवाजा खटखटाने लगी गाँवों के लिये तो उस समय आधी रात का समय था। एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला। मैने उन्हे देखते ही सारिका को उनके पैरों पर रख दिया। “चाची जिऊ ! एकर जिनगी बचाइ लें।” … Continue reading मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi