मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi

Post View 278 मैं आगे बढ़ कर पीछे के रास्ते निकली और पड़ोस का पिछला दरवाजा खटखटाने लगी गाँवों के लिये तो उस समय आधी रात का समय था। एक अधेड़ उम्र की महिला ने दरवाजा खोला। मैने उन्हे देखते ही सारिका को उनके पैरों पर रख दिया। “चाची जिऊ ! एकर जिनगी बचाइ लें।” … Continue reading मुक्ति (भाग-5) – कंचन सिंह चौहान : Moral stories in hindi