Post View 565 कल बाजार जाना हुआ तो सोचा अपनी पूरानी सखी से भी मेल-मुलाकात कर लूँ|अरसा हो गया था उससे मिले |कई बार उलहाने दे चुकी थी,सोचा आज जाकर उसे चौंका दूँ| घर गयी तो नौकर ने दरवाजा खोला|अंदर अच्छी-खासी रौनक जमी थी|शायद कोई पार्टी चल रही थी|१०-१५ महिलाएं जुटी थी|पहनावे से रईसी झलकती| … Continue reading मुखौटा – अंजू निगम
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