पूर्वा यहां बॉलकोनी में क्यों बैठी हो? और सारे घर में अंधेरा कर रखा है, मम्मी कहां पर है? मानव ने ऑफिस से आकर पूछा तो पूर्वा कुछ नहीं बोली और बॉलकोनी से एकटक नीचे देखती रही।
तब तक मानव कपड़े बदलकर आ चुका था, वो पूर्वा को बांहों में भरते हुए बोला, क्या हुआ? इस तरह से उदास क्यों हो? कोई बात हुई है क्या? मुझे बहुत तेज से भूख लग रही है, मन कर रहा है बस खाना मिल जाएं, तुम खाना लगाओ, मै मम्मी को उनके कमरे से बुलाकर लाता हूं, आज मम्मी क्या बिना खाना खाए सो गई और मानव उपासना जी के कमरे में जाने लगा तो पूर्वा बोली, मम्मी जी घर पर नहीं है, वो नीचे बगीचे की बेंच पर बैठी है।
अच्छा, मम्मी ने खाना खा लिया क्या?
तुम्हें सिर्फ अपनी मम्मी की परवाह है? उन्होंने खाना खाया या नहीं, दवाई ली या नहीं? मेरी तो तनिक भी चिंता नहीं है, मै भी भूखी बैठी हूं, एक बार भी नहीं पूछा, सारी फ्रिक और चिंताएं मम्मी की करनी थी तो मुझसे शादी क्यों की? मेरी जिंदगी बर्बाद क्यों की ?
और उसने गुस्से में दरवाजा बंद कर लिया, मानव हक्का-बक्का रह गया, ये अचानक पूर्वा को क्या हो जाता है, वो मम्मी से इतना जी चिढ़ती है? मम्मी तो इतनी अच्छी है, कभी उसे कुछ नहीं कहती हैं।
मानव नीचे बगीचे में गया तो देखा उपासना जी गुमसुम सी बैठी थी, उन्होंने जैसे ही मानव को अपनी ओर आते देखा तो उनके होंठों पर हंसी बिखर गई, मेरा बेटा आ गया? दिन कैसा रहा? तूने खाना खाया या नहीं? चल मै तेरा खाना लगा देती हूं और वो बिना कुछ सुने बेंच से उठकर चल दी, मानव पीछे-पीछे चला गया।
उपासना जी ने खाना लगा दिया और पूर्वा को आवाज लगाई, पूर्वा खाना खाने आ जाओ।
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आज तुम्हारे पसंद की हर चीज बनाई है, और वो प्लेट लगाने लगी, पर पूर्वा नहीं आई।
मानव खाना खाने लगा तो उन्होंने टोक दिया, कैसा पति है? पत्नी भूखी बैठी है और तू खाना खा रहा है? जा पहले उसे बुलाकर ला।
मानव उसे बुलाकर लाया, खाना खाते वक्त केवल उपासना जी ही बोलती रही, पूर्वा ने खाना खाया और अपने कमरे में चली गई, उसने ना तो रसोई समेटी और ना ही अपने जूठे बर्तन सिंक में रखना जरूरी समझा।
उपासना जी रसोई का काम निपटा रही थी तो मानव अंदर जाकर बोला, ये क्या तरीका है? मम्मी अकेले काम कर रही है, तुम जाकर मदद नहीं करा सकती हो?
इस उम्र में आकर वो खाना भी बनाये और बाद का भी सारा काम करें, फिर तुम घर में किसलिए हो?
ये सुनकर पूर्वा भड़क गई, अच्छा तो क्या मैं घर के काम के लिए आई हूं, मुझसे ये काम नहीं होते हैं, कितनी बार कहा है कि एक खाना बनाने वाली रख लेते हैं, पांच हजार रुपए महीने ही तो लेगी, ये रोज-रोज की किटकिट खत्म हो जायेगी।
खाना भी बनाओ और फिर सब्जियां भी साफ करो, ये सब काम तुम्हारी मम्मी करती होगी, मुझे ये सब करना पसंद नहीं है।
पूर्वा घर में हम केवल तीन लोग हैं, पहले से ही झाड़ू-पोछा और बर्तन वाली आती है, कपड़े धोने के लिए ऑटोमैटिक वाशिंग मशीन है, फिर तीन लोगों का कितना सा खाना बनता है ! उसके लिए खाना बनाने वाली रखने की क्या जरूरत है? और पांच हजार रुपए कम नहीं होते हैं। मम्मी जब खाना बना लेती है तो तुम भी बना सकती हो, मम्मी इस उम्र में इतना कर लेती है तो क्या तुम नहीं कर सकती हो?
हां, तुम्हारी मम्मी तो महान है, सब कुछ कर लेती है, तुम तो उनके गुणगान करोगे ही, पर कान खोलकर सुन लो, मेरी नजर में खाना बनाना बहुत महान काम नहीं है, मुझे और भी काम होते हैं।
टीवी पर वेबसीरीज और मोबाइल देखने के अलावा तुम और कुछ भी काम करती हो क्या? तुमसे इतना भी नहीं होता कि अपनी सास और पति को खाना बनाकर खिला दो, वो भी मदद ही करनी है, बाकी काम तो मम्मी ही संभाल लेती है, मानव ने कहा।
ये सुनकर पूर्वा गुस्सा हो गई, हां मुझसे कुछ भी नहीं होता है, और ना ही मै करना चाहती हूं, मुझे मेरी आजादी प्यारी है, मै दिन भर तुम्हारी मम्मी की रोक-टोक नहीं सुन सकती हूं, मुझे इनके साथ नहीं रहना है, इनका कहीं और रहने का इंतजाम कर दो, ताकि मैं अपनी मनमर्जी से जी सकूं,
सास के साथ रहना कितना मुश्किल होता है, मैंने अपनी सहेलियों से सुना था पर अब पता चला है कि ये सास लोग बहूओं पर कितनी रोक-टोक लगाती है, ये करो वो मत करो, ऐसे करो वैसे मत करो, मै अपने हिसाब से जी भी नहीं सकती क्या? मुझे तो अलग रहना है और अपना घर चाहिए, मम्मी जी को इस घर से जाना होगा, मै इनके साथ रहकर अपनी जिंदगी में दुख और नहीं बढ़ाना चाहती हूं।
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तुम्हें मेरे साथ रहना है तो अपनी मम्मी से अलग रहना होगा, हम दोनों सास-बहू एक छत के नीचे नहीं रह सकते हैं, पूर्वा ने अपना फैसला सुना दिया।
मानव के लिए अजीब स्थिति हो गई, वो पत्नी का साथ देकर मम्मी को कैसे बुढ़ापे में अकेला छोड़ दें? और मम्मी का साथ देता है तो पत्नी से दूर रहना होगा।
सारी रात मानव ने जागकर काटी वो निर्णय नहीं ले पा रहा था, उसके सामने बस उपासना जी का चेहरा आ रहा था, जिन्होंने बरसों की तपस्या करके उसको पाला था। अपनी मम्मी का इकलौता मानव उन्हें बहुत प्यारा था।
जब मानव दस साल का था तब एक सड़क दुघर्टना में उसने अपने पापा को खो दिया था। उपासना जी ने हिम्मत से उसे संभाला।
ससुराल वालों ने बेटा जाते ही उनसे मुंह फेर लिया था, और मायके वालों ने विधवा बेटी को सहारा नहीं दिया।
वो पढ़ी-लिखी थी तो उन्हें एक बैंक में नौकरी मिल गई, बस फिर उन्होंने एक घर ले लिया, और अपने मानव का पालन पोषण करने लगी, मानव की पढ़ाई और खान-पान में कोई कमी नहीं रखी, सुबह उठते ही वो मानव का चेहरा देखकर अपने दिन की शुरुआत करती थी, खुद पति की मौत के दुख में अकेले दुखी रहती थी
पर उन्होंने अपने बेटे को अपने आंसू कभी नहीं दिखाएं, मानव छोटा था तो कुछ नहीं समझता था, पर जब बड़ा हुआ तो दोस्तों और रिश्तेदारों के बच्चों को उनके पापा के साथ देखता था तो अपने पापा की बहुत कमी महसूस करता था, उपासना जी तब अपने बेटे का अकेलापन समझती थी और उसे दूर करने का प्रयास करती थी।
सब काम निपटाकर वो बैंक जाती थी, बाकी कामों के लिए मेड आती थी पर अपने और मानव के लिए वो खाना खुद बनाती थी, कहती थी मेड के हाथों से बनाएं खाने में मेरे बेटे को मां का प्यार कहां मिलेगा?
कुछ समय बाद मानव ने उपासना जी को स्वेच्छा से रिटायरमेंट लेने को कहा ताकि वो घर पर आराम कर सकें और व्यर्थ की भागदौड़ ना करें।
अब मानव भी कमाने लगा था, और उसके रिशते की भी बात चलने लगी, अच्छा घर -वर देखा तो
पूर्वा के घरवालों ने रिश्ता तय कर दिया, पूर्वा की शादी को छह महीने भी नहीं हुये थे कि वो उपासना जी से झगड़ने लगी थी। उसे अपनी सास की कही कोई भी बात अच्छी नहीं लगती थी, वो उनसे चिढ़ने लगी थी। ये ही बात मानव को परेशान करने लगी थी।
शादी के कुछ समय तो वो देर तक सोकर उठती थी, तो
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उपासना जी कुछ नहीं कहती थी, कई बार मानव ऑफिस चला जाता तो वो उसके जाने के बाद उठती थी।
एक दिन उन्होंने बोल ही दिया, बहू चाहें रसोई में काम कराने को जल्दी मत उठा कर, पर अपने पति के ऑफिस जाने से पहले उठ जाया कर, उसे भी अच्छा लगेगा।
ये सुनते ही पूर्वा गुस्सा हो गई, मेरी सहेलियां सच कहती थी कि सास कभी बहू को सोने नहीं देती है और वो ही सब हो रहा है। उपासना जी की हर सही और उचित बात का वो गलत मतलब निकालने लगी थी।
मानव ने दो -तीन दिन सोचा और एक दिन उसने अपना और पूर्वा का सामान पैक कर लिया और उसे उठाया।
पूर्वा सामान बांध लिया है और तैयार हो जाओ, हम बाहर जा रहे हैं। ये सुनते ही वो खुश हो गई और तैयार हो गई।
वो सोच रही थी, अच्छा है कुछ दिनों के लिए सास से मुक्ति मिलेगी।
मानव जल्दी से कार निकालो, बाहर खड़े-खड़े गर्मी लग रही है। तभी उधर से ऑटो आता है और वो उसे बैठने को कहता है।
मानव हम और ऑटो में कहां जा रहे हैं? तुमने कार क्यों नहीं निकाली? उसने पूछा
पूर्वा वो कार मेरी नहीं थी, मम्मी ने अपने रिटायरमेन्ट के
रूपयों से ली थी तो मै वो कार इस्तेमाल कैसे करता?
मानव ने अपनी बात भी पूरी नहीं की थी कि ऑटो एक घर के आगे रूक गया, दोनों नीचे उतरे।
पूर्वा आज से हम इसी घर में रहेंगे, तुम्हें नये सिरे से अपना घर बसाना होगा।
क्या कह रहे हो? मै इस छोटे से घर में कैसे रहूंगी? हमारे घर का बाथरूम ही यहां के बेडरूम से बड़ा है।
पूर्वा आश्चर्य से बोली।
हां, लेकिन वो मम्मी का घर है, उन्होंने अपनी कमाई से लिया है, तुम्हें मम्मी के साथ नहीं रहना था इसलिए यहां पर लेकर आ गया, अब हम अपने छोटे से आशियाने में रहेंगे, तुम मम्मी से दूर रहना चाहती थी तो मुझे ये ही उपाय सूझा।
अच्छा तो तुम किसी अच्छी सोसायटी में घर नहीं ले सकते थे, और हम बस कुछ ही कपड़े लेकर आये है, बाकी का सामान कहां से लायेंगे?
सोसायटी में किराया काफी महंगा है, और अब अपने पैसों से सब बसायेंगे, अब मम्मी ने भी तो एक -एक पैसा जोड़कर वो घर बसाया था उसे सजाया था, हम भी कुछ सालों में उससे भी अच्छा घर ले लेंगे, मानव ने समझाया।
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रात भर पूर्वा सो नहीं पाई, मानव यहां तो एसी भी नहीं है, बड़ी मुश्किल से रात कटी तो सुबह पूर्वा की नींद नहीं खुली, मानव ने जगाया, पूर्वा कुछ खाने का इंतजाम कर दो तो पूर्वा टूट गई, ये सब क्या लगा रखा है, मैंने मम्मी जी को घर से निकालने को बोला था तुम तो मुझे ही घर से निकालकर ले आये हो, यहां कुछ सुविधाएं भी नहीं है, घर बसाते हुए तो सालो निकल जायेंगे, वहां तो मम्मी जी हर बात संभाल लेती थी, खाना भी वो बना देती थी, मुझे तो कुछ भी नहीं करना पड़ता था, मुझे वापस घर जाना है।
पूर्वा की बात सुनकर मानव बोला, लेकिन तुम तो एक छत के नीचे मम्मी के साथ रहना नहीं चाहती हो। तुमने कितनी आसानी से कह दिया कि अपनी मम्मी को कहीं भेज दो, जिस मम्मी ने पूरी उम्र घर बसाने में लगा दी, उन्हें ही उनके घर से कैसे निकाल देता, तुम्हारे भी भाभी है वो तुम्हारी मम्मी को घर से निकाल देगी तो उन्हें कैसा लगेगा?
हमारे माता-पिता हमारे सपनों को पूरा करते हैं, हमारे लिए एक -एक करके सारी सुविधाएं जुटाते हैं, हमारे खाने-पीने, रहनें, पढ़ाई तक का ध्यान रखते हैं, और हम है कि उनसे ही अलग होना चाहते हैं, जब हम बच्चे होते हैं नासमझ होते हैं तो वो हमारा पूरा ध्यान रखते हैं, और जब वो अकेले और बीमार होते हैं तो हम उन्हें छोड़कर अपना अलग आशियाना सजा लेते हैं।
पूर्वा मम्मी ने कभी तुम्हे ताना मारा, काम ना करने का उलाहना दिया, कभी तंग किया है, तुम्हारे खाने-पीने पर पाबंदी भी नहीं लगाई, कभी तुम्हारे रहन-सहन पर टोका-टोकी की हो तो बताओं।
नहीं, मानव उन्होंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया, उन्होंने तो मुझे हमेशा अपने हाथों में रखा है, मै ही उनके प्यार और दुलार को समझ नहीं पाई, उन्हें गलत समझती रही।
कुछ सहेलियों ने बताया था कि सास कभी भी मां नहीं बन सकती है तो मैंने सोचा उनसे अलग हो जाती हूं।
वाह!! पूर्वा तुमने कितनी आसानी से सोच लिया कि अलग हो जाती हूं, एक मां को अपने बेटे से दूर कर दिया, तुमने एक घर के दो घर करने चाहें, ये सब कुछ आसान नहीं है, आज मै जो कुछ भी हूं, मम्मी की वजह से ही हूं, मम्मी ने मुझे भी बहुत कुछ सिखाया है, अगर वो तुम्हे कुछ सिखाती है तो इसमें बुरा क्या है?
आखिर तुम्हारी मम्मी भी कभी कुछ सीखाती थी तो कभी डांटती थी तो क्या तुम घर छोड़कर चली जाती थी? रिश्तों में थोड़ी अनबन होती है, विचार नहीं मिलते हैं, पर दोनों पक्षों को समझदारी रखनी होती है, तभी तो घर चलते हैं, बसते हैं।
मानव मुझे माफ कर दो, मुझे समझ आ गया है कि हम मम्मी जी के बिना कुछ नहीं है, मम्मी जी तपस्या और समझौतों को मै भुल ही गई थी, अब मै उन्हें एक बेटी बनकर देखूंगी, और उनसे हर काम सीखूंगी, मैंने रिश्ते की कदर नहीं की और उसे नासमझी में तोड़ना चाहा, लेकिन मैं मम्मी जी से माफी मांगकर वापस ये रिश्ता जोडूंगी, और इस बार रिशते में सिर्फ प्यार और सम्मान होगा, मुझे उनके पास ले चलो पूर्वा ने सिर झुकाकर कहा ।
थोड़ी देर बाद उनके सामने उपासना जी थी, तुम दोनों अचानक यहां इस घर में कैसे चले आयें ? मै अपने बेटे बहू के बिना कैसे रहूंगी? अभी थोड़ी देर पहले मानव ने लाइव लोकेशन भेजी थी तो मै चली आई, ये कहकर उपासना जी ने दोनों को गले लगा लिया।
आज पूर्वा ने अपनी सास में मां का प्यार महसूस किया और उनसे अपने बुरे व्यवहार के लिए माफी मांगी।
उपासना जी दोनों को साथ लेकर घर आ गई, अब पूर्वा सुधर रही थी, वो अपनी सास से गृहस्थी चलाने की शिक्षा लेने लगी और उन पर अमल भी करती थी।
कुछ ही सालों में पूर्वा ने सब कुछ सीख लिया और अब भी वो अपनी सास से सलाह लेना नहीं भुलती, कुछ ही सालों में टूटते हुए रिश्ते फिर से मजबूती से जुड़ गए।
धन्यवाद
लेखिका
अर्चना खंडेलवाल
# टूटते रिश्ते जुड़ने लगे