रागिनी के आंसू छलक आए आते भी क्यो ना बात इतनी खुशी की थी और ये आंसू तो खुशी हो या गम छलक ही आते हैं आज उसकी लाडली बहन डॉक्टर बन गई थी उसके त्याग की आज जीत हुई थी। उसके चारु ( अपनी छोटी बहन ) को गले से लगा लिया।
” अरे दीदी रोती क्यों हो अब तो खुशी के दिन है आज आपकी परीक्षा खत्म हुई !” चारु बहन के आंसू पोंछती हुई बोली।
” पगली ये आंसू तो खुशी के हैं मैने थोड़ी तूने परीक्षा दी है वो भी इतनी कठिन !” रागिनी नम आंखों से मुस्कुराते हुए बोली।
” दीदी मैने तो सिर्फ डॉक्टर बनने की परीक्षा दी है आपने तो जिंदगी के हर कदम पर परीक्षा दी है !” चारु बोली।
चलिए दोस्तों इससे पहले की मैं कहानी आगे बढ़ाऊं आपको अपनी कहानी और उसके पात्रों के बारे में बता देती हूं …
रागिनी और चारु दो बहने जिनके माता पिता की मृत्यु एक सड़क हादसे में उस वक्त हो गई थी जब रागिनी का रिश्ता हो चुका था और चारु ग्यारहवीं में थी। उस वक्त दोनो बहनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। वो तो अच्छा था रागिनी बैंक में नौकरी करती थी वरना दोनो बहनों की पढ़ाई और सीमित आमदनी में रागिनी के पिता कुछ बचा भी नही पाए थे जो ऐसे मुश्किल वक्त में काम आता और रही रिश्तेदारों की बात तो जवान बेटियों की जिम्मेदारी कोई नही उठाना चाहता।
” रागिनी तुमने शादी के बाद का क्या सोचा है चारु कहां रहेगी !” रस्म क्रिया में आया रागिनी का मंगेतर तुषार बोला।
” सोचना क्या तुषार वो हमारे साथ रहेगी उसको डॉक्टर बनना है और उसके इस अरमान को मैं पूरा करूंगी!” रागिनी बोली।
” देखो रागिनी मुझपर मेरे भाई बहनों की जिम्मेदारी है जो तुम्हे बांटनी है अगर तुम अपनी बहन को डॉक्टर बनाने में अपनी तनख्वाह फूक दोगी तो तुमसे शादी का लाभ क्या?” तुषार मुद्दे की बात पर आया।
” तुषार रिश्ते लाभ हानि नहीं देखते यदि ऐसी ही बात है तो मैं इस रिश्ते से इंकार करती हूं !” रागिनी थोड़े गुस्से में बोली।
” तुम तो ऐसे कर रही हो जैसे चारु की बड़ी बहन नही मां हो और उसके लिए हर त्याग को तैयार हो !” तुषार व्यंग्य से बोला।
” बड़ी बहन भी मां ही होती है पर तुम नही समझोगे पुरुष जो हो…. मैं तुमसे शादी नही कर सकती तुम अब जा सकते हैं !” रागिनी ने ये कह मुंह घुमा लिया।
तुषार गुस्से में चला गया और रागिनी फूट फूट कर रो दी उस दिन वो आंसू मां बाप से बिछड़ने के गम के थे या तुषार से रिश्ता टूटने के गम के ये रागिनी नही जानती पर आज के आंसू उसे पता है खुशी के हैं।
उस दिन तुषार क्या गया रागिनी ने अपने जीवन का एक मकसद बना लिया बस चारु को डॉक्टर बनाना है। उसने अपनी हर खुशी को ताक पर रख दिया । समय बीतता गया और चारु सफलता की सीढ़ियां चढ़ती गई। इस बीच रागिनी की विवाह की उम्र भी निकलती जा रही थी क्योंकि उसमे और चारु में नौ साल का फासला था। आज चारु डॉक्टर बनी है तो रागिनी शायद इतने सालों में पहली बार इतनी खुश हुई है।
” अच्छा बता तुझे तेरी इस सफलता के बदले में क्या चाहिए ?” अचानक चारु को खुद से अलग करते हुए रागिनी बोली।
” जो मांगूंगी वो दोगी ?” चारु ने जवाब में सवाल किया।
” बिल्कुल आज तक क्या मना किया है तुझे कुछ देने से !” रागिनी हैरानी से बोली।
” ओके तो शाम को तैयार रहना मेरा गिफ्ट देने के लिए अभी मुझे मेल्स चेक करने हैं जो जॉब के सिलसिले में आए होगे !” चारु ये बोल अपने कमरे में भागी पीछे रागिनी हैरान परेशान सोचने लगी ऐसा चारु को क्या चाहिए जो वो शाम को बताएगी।
शाम को …
” हां तो दीदी मेरा गिफ्ट देने को तैयार हो आप ?” शाम को चारु ने पूछा।
” हां बिलकुल बता कहां चलना है गिफ्ट लेने ?” रागिनी पर्स उठाती बोली।
” अरे मेरी प्यारी दीदी गिफ्ट खुद चलकर आ रहा है …!” चारु के इतना कहते ही दरवाजा खुला और सामने रागिनी का सहकर्मी अनुज नजर आता।
” अनुज जी आप यहां क्यों , कैसे ?” रागिनी असमंजस में बोली क्योंकि उसने कभी अनुज को अपना पता भी नही दिया था।
” दीदी उनसे क्या मुझसे पूछिए …दरअसल अनुज जी ही मेरे गिफ्ट हैं !” चारु बोली।
” मतलब … तुम अनुज …अनुज तुम ?” रागिनी लगभग उछल पड़ी ।
” हां दीदी मैं अनुज जी की साली और अनुज जी मेरे जीजू बनना चाहते हैं प्लीज बना दो ना !” चारु हाथ जोड़ बोली।
” ये क्या कह रही हो चारु तुम ?” रागिनी तनिक गुस्से में बोली।
” दीदी मैं जानती हूं अनुज जी आपसे बहुत प्यार करते है उन्होंने आपको परपोज भी किया था पर तब मेरी जिम्मेदारी की वजह से आपने इनकार कर दिया था और अनुज जी भी आपका इंतजार करने लगे …आज उनका इंतजार खत्म कर दो और मुझे भी गिफ्ट में जीजू दे दो क्योंकि मैं भी जानती हूं मन ही मन आप भी अनुज जी से प्यार करती हैं !” चारु रागिनी से बोली।
जवाब में रागिनी ने अनुज की तरफ देखा उसे उसकी आंखो में वही प्यार नजर आया जो आज से चार साल पहले जब रागिनी को परपोज किया था तब था।
” पर चारु अब शादी। नही नही मेरे हिसाब से ठीक नही ।” रागिनी अनुज से नज़रे हटा चारु से बोली।
” रागिनी जी उम्र का क्या वो तो नंबर है जिंदगी तो वही जो खुशी से जी जाए …और मेरी खुशी आप हैं। आपकी खुशी चारु को डॉक्टर बनाने में थी वो आपको मिल गई अब मुझे मेरी खुशी लौटा दो !” अनुज पहली बार बोला और घुटनों के बल बैठ जेब से अंगूठी निकाल ली।
” दीदी प्लीज हां कर दो आपने बोला था जो मांगूंगी मिलेगा तो मुझे गिफ्ट में जीजू चाहिए प्लीज प्लीज !” चारु रागिनी को मानने लगी आखिरकार रागिनी ने अपना हाथ अनुज की तरफ बढ़ा दिया …चारु ताली बजा खुशी से झूम उठी।
आज एक विवाह मंडप साक्षी बन रहा है दो बहनों के प्यार का जहां बड़ी बहन के त्याग का सिला छोटी बहन उसका कन्यादान कर चुका रही है , जहां अपने प्यार रागिनी की खुशी के लिए अनुज ने चार साल इंतजार किया था।
समाप्त ….
आपकी दोस्त
संगीता