मोहताज – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi
Post View 976 आज मैं मोहताज नाम की बेड़ियों से मुक्त हो गई हूँ , आज मैं किसी की मोहताज नहीं रही , न ससुराल की मोहताज और न मायके की। आज से मैं आत्मनिर्भर हो रही हूँ। अब कोई मुझे मोहताजगी का ताना नहीं मार पायेगा। यही सब सोच कर मन ही मन ख़ुशी … Continue reading मोहताज – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi
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