“इस बार फिर से नमन ने 4000 रुपए ही दिए है। इसमें हम दोनों पूरा महीना कैसे निकालेंगे? घर खर्च के अलावा हमारे अपने कुछ खर्चे नहीं है क्या? छोटी छोटी जरूरतों के लिए उसके आगे हाथ फैलाना अच्छा नहीं लगता!” शोभा जी अपने पति महेंद्र जी से कह रही थी।
उनके परिवार में शोभा जी और उनके पति महेंद्र जी, उनका बेटा नमन और उसकी पत्नी नीता और उनके दो बच्चे बेटी यामी और बेटा यश है।
महेंद्र जी को रिटायर हुए 10 बरस हो गए है। पहले तो वो बाहर के काम कर लेते थे,,बैंक के, बच्चो के स्कूल के, सब्जी और फल वगैरा ले आते थे लेकिन अब उम्र हो जाने के कारण थोड़ा भुलने लगे है और कमजोरी की वजह से स्कूटर चलाने में भी दिक्कत होती है इसलिए बाहर के काम अब ज्यादा नहीं करते है, फिर भी शाम को बगीचे में घूमने जाते है तो सब्जी और फल तो ले आते है।
बैंक के काम बंद कर दिए उन्होंने,,atm से पैसे निकालना भी बंद कर दिया है तो बेटा नमन ही atm से पैसे निकाल कर लाता है। कुछ अपनी तनख्वाह और कुछ हिस्सा महेंद्र जी के पेंशन का निकाल कर लाता है जिससे घर का खर्चा चलता है।
लेकिन वो अपने माता पिता के पर्सनल खर्च के लिए 4 महीनों से 4000 रुपए ही निकाल कर दे रहा था।
जिसमें शोभा जी को कभी कपड़े खरीदने हो, कभी महेंद्र जी को जूते खरीदने हो।
उसी 4000 रूपए में से महेंद्र जी घर के लिए सब्जियां और फल भी ले कर आते है।
अब हालात ये हो गए है कि छोटी छोटी जरूरतों के लिए उनको नमन से पैसे मांगने पड़ते है,,,जिस पर कई बार तो नमन दे देता है और कई बार झल्ला पड़ता है उन पर।
“नमन तु हर बार 4000 रुपए ही निकाल कर हमको देता है तो उसमें से मैं सब्जियां और फल ले कर आऊं या मेरे और तेरी मम्मी की जरूरतों को पूरा करूं, थोड़े ज्यादा रुपए दिया कर,,,आखिर तू मेरे ही तो पेंशन में से निकाल कर देता है,, फिर तुझे ज्यादा देने में दिक्कत क्या है?” आखिरकार एक दिन महेंद्र जी ने नमन से कह दिया।
उस पर नमन ढीठ बन कर बोला, “आपको अब इस उम्र में क्या खर्चे है,,फिर भी चाहिए तो मुझसे के लेना!”
“तुझसे मांगते है तो हम पर चिढ़ जाता है। एक काम कर मुझे मेरा atm दे दे,,,अब जितनी जरूरत हो मै निकाल लाया करूंगा।”
“आपको अब नोट गिनते तो बनता नहीं है और ना ही संभाल कर रुपए ला पाते हो,,,सबसे बड़ी चीज कितनी बार atm कार्ड से रुपए निकालना सिखाया लेकिन हर बार तो भुल जाते हो। फिर भी शौक है atm से रुपए निकालने का तो लो ये रखो अपना कार्ड और निकाल लाओ।” नमन ने atm कार्ड उनके सामने पटक दिया। उसे विश्वास था कि महेंद्र जी atm से रुपए नहीं निकाल पाएंगे।
दरअसल जब से महेंद्र जी का atm कार्ड उसके पास आया था उसका और उसकी पत्नी का घूमना, फिरना, पार्टियां करना,,,सब ज्यादा ही बढ़ गया था जो कि महेंद्र जी की पेंशन से ही हो रहा था और इसीलिए वो उनको ज्यादा रुपए निकाल कर नहीं देता था।
शोभा जी अवाक हो कर बेटे की ये हरकत देखती रह गई।
वो कभी जिंदगी में अकेली बैंक नहीं गई थी,,जब भी गई थी तो महेंद्र जी के साथ ही गई थी और atm से रुपए तो कभी निकाले नहीं थे, लेकिन आज अपने बेटे के द्वारा पति का अपमान होते देख कर स्तब्ध रह गई।
उन्होंने वो atm कार्ड उठा लिया।
“तुम क्या करोगी इस कार्ड का,,,कभी atm मशीन चलाई है क्या?”
“चलाई नहीं तो अब चलाना सीख जाऊंगी लेकिन ऐसे पैसों पैसों के लिए बेटे के सामने हम मोहताज नहीं होंगे और फिर सीखने की कोई उम्र नहीं होती है और अब तो टेक्नोलॉजी इतनी एडवांस हो गई है कि हम घर बैठे सब कुछ मोबाइल से सीख सकते है।”
उन्होंने मोबाइल पर यूट्यूब चलाया और “atm से पैसे कैसे निकाले” लिखा, तुरंत एक वीडियो सामने आ गया जिसमें स्टेप बाय स्टेप atm मशीन से पैसे निकालना बताया गया। उससे शोभा जी ने पैसे निकालना सीख लिया।
चूंकि वो पहली बार पैसे निकालने जा रही थी इसलिए मन में थोड़ा डर भी था इसलिए उन्होंने अपनी बहन की बेटी जो उसी शहर में रहती थी उसे फोन लगाया।
“बिंदिया बेटा मुझे तुझसे थोड़ा काम था,,,क्या तुम मेरे साथ atm तक चलोगी,मुझे कुछ पैसे निकालने है?”
“हां मासी क्यों नहीं!”
शोभा जी अपनी बहन की बेटी के साथ जा कर atm से रुपए निकाल लाई और साथ में बैलेंस की पर्ची भी निकाल लाई,,जिससे उन्हें पता चला कि नमन और उसकी पत्नी उनके ही पैसों से पार्टियां कर रहे थे, ऐशो आराम कर रहे थे और नमन उनको उनके ही पैसों के लिए मोहताज कर रहा था।
अब उन्होंने atm कार्ड अपने पास ही रख लिया था, जिससे आशीष उनके पैसों का दुरुपयोग नहीं कर सके और वो स्वयं भी पैसों के मोहताज न हो सके क्योंकि अब शोभा जी भी घर से बाहर निकल कर बैंक के काम करना सीख गई थी।
रेखा जैन