*मिलना याद रखना* – *नम्रता सरन “सोना”*

Post View 302 अक्षर अक्षर तुमको पढना… कितना तसल्ली देता है, जितना समझती जाती हूँ तुमको  उतनी ही अबूझ पहेली तुम… मेघ सदृश बरसते हो बूंद बूंद समा जाते हो रूह मे… . थाम लेते हो क्षण में जीवन सागर का झंझावात, बाजू मेरे थामें नही पर महसूस होते हो तुम ही इर्द गिर्द…. कितने … Continue reading *मिलना याद रखना* – *नम्रता सरन “सोना”*