*मिलना याद रखना* – *नम्रता सरन “सोना”*

Post Views: 4 अक्षर अक्षर तुमको पढना… कितना तसल्ली देता है, जितना समझती जाती हूँ तुमको  उतनी ही अबूझ पहेली तुम… मेघ सदृश बरसते हो बूंद बूंद समा जाते हो रूह मे… . थाम लेते हो क्षण में जीवन सागर का झंझावात, बाजू मेरे थामें नही पर महसूस होते हो तुम ही इर्द गिर्द…. कितने … Continue reading *मिलना याद रखना* – *नम्रता सरन “सोना”*