“ मेरी बहु लाखों में एक है” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे भाभी… तबीयत कैसे खराब कर ली? लगता है शादी की भाग दौड़ में ज्यादा थकान हो गई है पर अब तो शादी हुए भी एक महीना हो गया लगता है बैठे-बैठे खाने की आदत हजम नहीं हो रही, भई तुम ठहरी इतनी कामकाजी अब बहू के हाथों की गरमा गरम रोटियां और आराम सेवा तुम को  कहां पचेगी,

वह तो कल भैया से बात हुई थी तब बता रहे थे तेरी भाभी की आजकल तबीयत सही नहीं रहती सर में दर्द रहने लगा है, मुझे तो सुन के आश्चर्य हुआ,! बहू के आने के बाद तो बल्कि सास की तबीयत सही हो जाती है यहां तुम्हारी खराब हो रही है उलटी गंगा कैसे  बह गई, वह तो मैं लोकल में थी इसलिए सोचा चलो एक बार हाल-चाल मालूम करके आती हूं,

चलो अब बताओ मुझे क्या हुआ है? शीला की बात सुनकर उसकी भाभी रमा ने कहां …क्या बताऊं जीजी.. मैंने तो कितने अरमानों से घरेलू बहू का सपना देखा था मुझे लगता था नौकरी वाली बहू आएगी तो वह हमें औरबेटे को  क्या करके देगी ऊपर से उसके भाव होंगे सो अलग ,मुझे क्या पता था यहां तो बिना नौकरी वाली लड़की भी ऐसी आएगी बल्कि उससे भी दो-चार कदम आगे है,

क्या बताऊं जीजी ..सुबह 9:00 बजे से पहले तो उठती ही नहीं है मैं सारा काम करती रहती हूं , आकर देखती रहती है पर मदद के लिए आगे से कुछ नहीं कहती थोड़ा बहुत अगर मैं कुछ कह देती हूं तभी करती है पर अपने मन से कुछ नहीं सोचती, सभी ने कितना समझाया   था की इंजीनियर बेटा है इतनी अच्छी-अच्छी लड़कियों के संबंध आ रहे हैं पर  मुझ पर तो बिना नौकरी वाली लड़की का भूत सवार था

मैं अब  तक यही समझती थी बिना नौकरी वाली लड़की आएगी हमारी सेवा करेगी घर में सभी खुश रहेंगे, मुझे क्या पता यह ऐसी निकलेगी? अरे हमारी तो छोड़ो सुबह बेटे को भी चाय नाश्ता नहीं बना कर देती  और शाम को बेटे के ऑफिस से आने के बाद भी गरम खाना में ही बनाती हूं ,मेरे तो कर्म फूट गए अपना दुखड़ा किसी से कह भी तो नहीं सकती, अपने पैरों पर कुल्हाड़ी जो मार ली! उधर सुधाकर भैया की बहू को देखो

सुबह 9:00 बजे नौकरी पर निकल जाती है पर उससे पहले सारे घर का काम करती है हंसती रहती है काम भी फुर्ती से करती है यहां तो हमारी बहू कामुंह पता नहीं किस बात सूजा  रहता है तंग आ गई मैं तो उसको देख देख के, मेरे तो सर में दर्द होने लगा है पहले में तीन जनों का काम करती थी अब चार जनों का कर रही हूं,

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क्या करूं जीजी.. कुछ समझ ही नहीं आता कैसे बहू को लाइन पर लाऊं! अरे भाभी… काहे को चिंता करती हो अब बहू आ गई है तो यह सोचो कि अगर तुम्हारी बेटी होती उसके लिए भी तो तुम कर करके  हाथों में देती अब वही सब  बहू के लिए कर दो! जीजी… कहना बहुत आसान है करना नहीं! वैसे भाभी…

एक बात कहूं बुरा मत मानना, क्या तुमने कभी अपनी सास को गरम-गरम रोटियां बनाकर खिलाई हैं? तुम्हें याद है एक बार मां ने दांतों का ऑपरेशन करवाया था और डॉक्टर ने उन्हें सिर्फ दलिया और खिचड़ी खाने को कहा था लेकिन तुमसे तो वह भी नहीं बना था बेचारी मां ने दूध में एक रोटी डालकर जैसे

तैसे करके खाई थी, क्या कभी तुमने अपनी सास को अपनी मां समझा या कभी तुमने जिस  आदर की वह हकदार थी तुमने दिया.? तो अब क्यों पछता रही हो भगवान तो सब देखता है और यह तो एक दिन होना ही था अब जो हो गया उसे तो छोड़ो, अपनी गलती किसी को याद नहीं रहती किंतु अब तुम मेरी एक बात ध्यान से सुनो..

अगर तुम चाहती हो कि तुम्हारी बहू तुम्हारे  कामों में मदद करें और तुमसे प्रेम से रहे तो तुम भी  उससे प्रेम से बातें करो और उस पर गुस्सा होने की जगह उसे अपनापन दो क्या पता तुम्हारा प्रेम उसे बदल दे, वैसे कोई भी लड़की बुरी नहीं होती भाभी! अच्छा मैं चलती हूं अपना ध्यान रखिएगा!  रमा को अपनी ननद के तानों को  सुनकर अपनी सास के साथ किया गया व्यवहार याद आने लगा,

उसने भी तो अपनी सास के लिए कभी कुछ नहीं किया बल्कि उन्हें अपना दुश्मन समझती थी बेचारी इस दुनिया से चली गई किंतु उसने कभी उनसे मीठे बोल नहीं बोले तो वह क्यों उम्मीद करती है रमा भी तो अब सास बनकर अपनी सास का दुख महसूस करें, “ये जीवन का सच है”जैसा किया था वही मिल रहा है खैर अब जो होगा देखा जाएगा! कुछ दिन बाद रमा को खतरनाक टाइफाइड हो गया

जिससे उसके शरीर में कमजोरी आ गई ऊपर से बिस्तर पर पड़े पड़े उसे यह चिंता सताने लगी अब घर का क्या होगा, कैसे सब प्रबंध होंगे ,किंतु वह देखकर आश्चर्यचकित रह गई कि उसकी बहू सोनाक्षी ने तो सारा घर अच्छी तरह संभाल लिया था, अपने पति को नाश्ता खाना और अपने सास ससुर की भी पूरे तन मन से सेवा का भार उसने अपने ऊपर ले लिया, सोनाक्षी ने दिन को दिन और रात को रात नहीं समझा

उसकी इतनी अच्छी देखभाल और प्रेम से रमा जल्दी ही स्वस्थ हो गई और उसका नजरिया अपनी बहू के प्रति एकदम बदल गया, उसे अपनी बहू में बेटी की झलक दिखाई देने लगी और उसे पर अत्यधिक प्रेम आने लगा, जब रमा पूर्ण रूप से स्वस्थ हो गई तब एक दिन उन्होंने सोनाक्षी से पूछा…. सोनाक्षी बेटा तुम तो घर के हर काम में माहिर हो फिर इतने दिनों तक तुमने कोई भी काम क्यों नहीं किया?

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मैं तो तुम्हारे बारे में न जाने क्या-क्या राय बना बैठी और मेरी बहू तो लाखों में एक निकली! तब  सोनाक्षी ने कहा… मां जब मैं ससुराल आ रही थी तब मेरी मम्मी ने मुझसे कहा था… बेटा अपने सास ससुर को अपने माता-पिता मानना, वह जो भी कहे उनकी हर आज्ञा का पालन करना, अगर वह गुस्से में तुझे कभी डांट भी दे या कुछ कह भी दे तो कभी बुरा मत मानना किंतु मैं ससुराल के नाम से ही मैं डर जाती थी

और मैं बस इतना ही काम करती थी जितना कि आप मुझसे कहती थी इसलिए आपको लगता था कि मैं कामचोर हूं किंतु जब आप बीमार पड़ गई तब सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर आ गई तब मुझे कुछ उपाय न सूझा और मैंने पूरे दिल से एक बहू होने का फर्ज निभाया मुझे शुरू में आपसे बहुत डर लगता था

किंतु अब मुझे आपसे प्रेम हो गया है, अपने बहू की निस्वार्थ बातें सुनकर रमा का मन भर आया और उन्होंने कहा सच में मेरी बहू तो लाखों में एक है, मैंने ऐसी बहू लाकर कोई भूल नहीं की, मेरी बहू सच में हीरा है और ऐसा कहकर उन्होंने अपनी बहू को गले से लगा लिया!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित.  

    कहानी प्रतियोगिता (ये जीवन का सच है)

.    “ मेरी बहु लाखों में एक है”

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