मेरे स्वाभिमान की कमाई  – रोनिता कुंडु 

सुनिए जी..! आज रवि का बोर्ड का रिजल्ट आया है… और वह बहुत अच्छे नंबरों से पास हुआ है…. आशिमा ने ऑफिस से लौटे अपने पति कपिल से अपने भाई रवि के बारे में कहा..

कपिल:  हम्म….अच्छा…. कहकर बाथरूम में घुस गया…

जब कपिल बाथरूम से बाहर निकलता है…

आशिमा:   वह मैंने उससे कहा था, उसके अच्छे नंबर आने पर, उसे एक मोबाइल ले कर दूंगी… तो क्या आप…?

इससे पहले वह आगे कुछ और कहती, कपिल उसे बीच में ही कहता है…

कपिल:   क्या मोबाइल…? पैसे क्या पेड़ पर उगते हैं…? जो जब चाहे तोड़ लिया और जिसको जो चाहे खरीद दिया… और तुम किसी को कुछ बोलने से पहले, मुझसे पूछ लिया करो…. कमाता मैं हूं, तुम नहीं..!

आशिमा और कुछ नहीं बोली.. वह अपने कामों में लग गई… आशिमा की शादी को अभी थोड़ा ही वक्त हुआ था, पर उसने अपने ससुराल वालों को अच्छे से समझ लिया था… कभी-कभी वह इसलिए भी किसी से कुछ नहीं कहती थी, क्योंकि विदाई के वक्त उसकी मां ने कहा था…बेटा अबसे वही घर तुम्हारा अपना है….तुम्हें वहां अडजस्ट करके रहना है… कितनी भी मुश्किलें हो अपने परिवार का साथ देना…. पर मां ने यह नहीं कहा था कि, अपने आत्मसम्मान को कभी कुचलने मत देना….

ये कहानी भी पढ़ें :

बाबुल की दहलीज – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

खैर आगे बढ़ते हैं…. 1 दिन आशिमा, कपिल से कहती है…

आशिमा:   सुनिए जी…! लगता है, मेरे पापा को किसी बड़े अस्पताल में भर्ती कराना होगा…. यहां उनकी तबीयत में कोई सुधार ही नहीं हो रहा है…

कपिल:   तो तुम यह सब मुझसे क्यों कह रही हो…? तुम्हारे घर वालों को जो अच्छा लगेगा वह करेंगे…

आशिमा:   आपको तो पता ही है, पिछले 15 दिनों से पापा इस अस्पताल में भर्ती है…. उनका काफी खर्चा हो गया है, और अभी कुछ महीने पहले ही मेरी शादी में इतना खर्चा किया… कि अब उनके पास पैसे ही नहीं है…. नहीं तो वह अभी तक इसी अस्पताल में ना पड़े होते…वो कभी कहेंगे नहीं, पर मुझे पता है मैं तो उनकी बेटी हूं ना…! क्या आप थोड़ी मदद कर सकते हैं..? कपिल:   क्या तुम भी हर वक्त पैसे ही मांगती रहती हो…? तुम्हारा परिवार क्या इतना गरीब है..? या फिर यह कोई नया तरीका है पैसे मांगने का..!

आशिमा यह सुनकर गुस्से से जलने लगी, पर उसने कुछ ठाना और कपिल के इस बात का, वह जल्द ही जवाब देने वाली थी….

आशिमा ने अपनी एक सोने की चेन बेच कर उन पैसों को अपने मां को दिया…. और कहा यह आपके जमाई ने दिया है…, वह बाद में आएंगे, पहले पापा को किसी बड़े अस्पताल में ले चलते हैं…

फिर कुछ दिनों बाद आशिमा के पापा स्वस्थ होकर घर आ जाते हैं…

ये कहानी भी पढ़ें :

अनमोल – भगवती : Moral Stories in Hindi

1 दिन आशिमा की सास कहती है…. सुनो आशिमा कल मेरी बहन उसका बेटा और बहू आ रहे हैं…. हम मेरी बहन की बेटे की शादी में जा नहीं पाए थे… इसलिए वह हमसे मिलने आ रहे हैं… तुम थोड़ा तैयारी देख लेना…

आशिमा:   ठीक है मम्मी जी…!

जब सब आ जाते हैं, कपिल और उसकी मां दिल खोलकर पैसा उड़ाकर मेहमानों का सत्कार कर रहे थे… जो चीज जरूरी नहीं वह भी हो रही थी… और इधर आशिमा खून के घूंट पी रही थी… जब सभी मेहमान जाने लगे तो उन्हें महंगे, महंगे तोहफे, मिठाइयां दी जा रही थीं…

जब सब मेहमान चले गए, आशिमा सबके सामने कहती है….

आशिमा:   मम्मी जी, पापा जी और आप…! सभी से मैं कुछ कहना चाहती हूं…

कपिल:   फिर से पैसों की ही बात होगी…!

सास:   आशिमा, तुझे एक बात कितनी बार बतानी पड़ती है…?

आशिमा:   अरे, मुझे मेरी बात तो कहने दीजिए…! और आप (कपिल की ओर देखकर) हां पैसों की ही बात है… लेकिन मेरे पैसों की…

कपिल:   साफ-साफ कहो इतना टाइम नहीं है कि, तुम्हारी पहेलियां सुलझाऊं…

आशिमा:   मुझे एक जगह नौकरी मिल गई है, और मैं अगले हफ्ते से वहां जाऊंगी…

कपिल:   नौकरी..? तुम्हें पता भी है मेरी हैसियत, मेरी कमाई का…?

सास:   बेटा..! इसके पूरे खानदान ने नहीं देखी होगी, इतनी शानो शौकत… तो इसे कहां से मालूम होगा…?

मेरे बेटे ने कौन सी कमी रखी है तुझे…? जो तुझे नौकरी करनी है…?

ये कहानी भी पढ़ें :

स्वाभिमान – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

आशिमा:   जी मम्मी जी…! मेरे परिवार ने नहीं देखी ऐसी हैसियत और आज उसी परिवार के लिए मैं नौकरी करना चाहती हूं…

आप लोगों के ऐशो आराम के लिए तो आपका बेटा है, पर मेरे परिवार के जरूरत की चीजों के लिए भी कोई नहीं है..,,इतना सब कुछ होने के बावजूद, शादी में आपको मेरे पापा से पैसे तो लेने पड़े ना…. तो बताइए किसकी हैसियत ज्यादा हुई.,….?

 

अबसे मैं भी कमाऊंगी… उनके ऐसो आराम के लिए ना सही पर जरूरत के समय तो काम आऊंगी…., मैं कोई भिखारी नहीं जो, इस तरह हर बार आपकी दुत्कार सुनू….मम्मी जी..! भले ही मेरी  कमाई आपके बेटे से कम होगी, पर वह मेरी स्वाभिमान की कमाई होगी…  

सब बूत बने आशिमा की बातें सुन रहे थे…, इतने में कपिल का फोन बजता है…. आशिमा की मां का फोन था….

कपिल:   हेलो…!

आशिमा की मां:    हेलो बेटा…! यह लीजिए आपके पापा कुछ बात करना चाहते हैं…

आशिमा के पापा:   हेलो बेटा…! मैंने सुना…, आज आपकी वजह से मेरा इलाज हो पाया है…. शुक्रिया बेटा…! दामाद भी बेटा बन सकता है, आप उसकी मिसाल हो….

बेटा…! समय मिले तो हमसे मिलने जरूर आइएगा, बोल कर फोन रख देते हैं…

आशिमा समझ जाती है कि क्या बात हुई होगी…

कपिल:   मुझे माफ कर दो आशिमा…! मैंने हर वक्त तुम्हारी हर बात को नजरअंदाज किया, पर फिर भी तुम मेरी तरफ से अपना फर्ज निभाती गई…. आज के बाद मैं तुमसे कभी पैसों के लिए कुछ नहीं बोलूंगा… और तुम्हारे पापा का बेटा भी बनूंगा….

आशिमा:   पर इससे मेरी समस्या खत्म नहीं होती…!

कपिल:  मतलब…?

आशिमा:  मतलब यह कि नौकरी तो मुझे फिर भी करनी है…… ताकि मेरे परिवार को भी मुझ पर गर्व हो, जैसे आपके परिवार को आप पर है…. कभी मुसीबत के समय मुझे अपने गहने ना बेचने पड़े….. और मेरे स्वाभिमान को कोई ठेस ना पहुंचे…

कपिल:   ठीक है, कर लो नौकरी….! पर कहीं फिर मुझे तुमसे समय की भीख ना मांगनी पड़े….

आशिमा:  हंसते हुए… हां तो…! समय क्या पेड़ पर उगते हैं, जिसको जब चाहे तोड़ कर दे दिया…?

फिर गंभीर माहौल थोड़ा खुशनुमा बन जाता है…..

धन्यवाद 🙏

रोनिता कुंडु 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!