मेरे पापा मेरा गुरुर हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

Post Views: 13 “बेटी,बड़ी हो रही है अभी भी आप उसके साथ बच्चों की तरह आंख मिचौनी खेलते रहते हैं।”रमा झल्लाते हुए बोली। “रमा,यही तो समय है जितना अपनी बेटी का साथ लाड लगा सकूं उसके साथ मस्ती कर सकूं।बड़ी होकर तो ये अपने ससुराल चली जाएगी।क्या पता फिर इससे मिलने के लिए भी तरस … Continue reading मेरे पापा मेरा गुरुर हैं – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi