मेरे हमसफ़र – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi
Post View 10,662 तपती दोपहरी में घर से निकलना अपनेआप को लू-लहर के चपेटे में झोंक देना है। मुग्धा ने दुपट्टा खींचकर मुँह कान ढंकने का असफल प्रयास किया। न एक रिक्शा न कोई सवारी…। वह लगभग दौड़ती हुई आगे बढी़। घर यहाँ से डेढ-दो किलोमीटर ही है लेकिन… भीषण गर्मी से सड़कें वीरान है। … Continue reading मेरे हमसफ़र – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi
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