मेरे हिस्से में मां आई…..निधि मितल

एक समय था जब हमारे घर में सात लोग थे मम्मी पापा और हम पांच भाई बहन, फिर पहले बिमारी से पापा चल बसे। और फिर एक एक करके बहनें भी ससुराल की हो गई। धीरे धीरे छोटा घर अपने आप ही बड़ा हो गया।

तीन बहनों की शादी हो गई और फिर घर में मै मम्मी और भाई ही रह गए। मेरे लिए भी रिश्ते आते थे पर कभी कहीं बात नहीं बन पाई कभी कुंडली की वजह से कभी पैसों की वजह से या फिर कभी कोई और बात से….

धीरे धीरे हमारी स्थिति सुधरने लगी क्योंकि मैं भी नौकरी करतीं थीं और हमने अपनी जरूरतें कम करके प्रोपर्टी में इन्वेस्ट करना शुरू कर दिया तो जो भी प्रोपर्टी ली वो भाई और मम्मी के नाम पर। एक २६ गज का फ्लैट जो हमारे पापा ने अपने जाने से पहले मम्मी के नाम पर लिया था।

मम्मी को मेरी शादी की चिंता रहती थी लेकिन, क्योंकि घर की ज्यादातर जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी और मम्मी ज्यादा काम नहीं कर पातीं थी तो उनको लगता था कि इसके जाने के बाद घर कौन संभालेगा।

भाई मुझसे छोटा था उसका अफेयर भी चल रहा था जो एक तलाकशुदा महिला थी और उसका एक दस साल का बेटा भी था लेकिन भाई ने आत्महत्या की धमकी दी तो हमें उसकी शादी करनी पड़ी।

शादी के कुछ महीने बाद ही घरेलू झगड़े होने लगें जो सांस नन्द और बहू वाले झगड़े होते हैं जिसमें मेरा भाई हमेशा बीवी की साइड लेता था मम्मी और मुझे यह देखकर बहुत बुरा लगता था और हम दोनों पुरी पुरी रात रो कर निकाल देते थे।


शादी को दो साल हो गए और मेरा भाई हमसे अलग ही रहता है जितनी भी प्रोपर्टी है सब कुछ बेचने के लिए बोलता है और हमें कुछ भी देने से मना करता है अब मैं और मम्मी पापा के खरीदें हुए फ्लैट में रहते हैं लेकिन अगर ये हमारे पास ना होता तो शायद हमारे पास कहीं सर छुपाने की जगह ना होती।

मेरी मम्मी को डायबिटीज, बी. पी. की प्रोब्लम है और रोज उन्हें इन्सुलिन का इंजेक्शन भी लगता है लेकिन मेरा भाई या फिर किसी बहन ने कभी हमसे संपर्क नहीं किया और न ही कभी ये पुछने की कोशिश की, कि हमने खाना खाया या नहीं या मम्मी ने दवाई ली या नहीं। इसका कारण यह भी है कि मम्मी ने पापा वाली प्रोपर्टी की वसीहत कर दी जो मेरे नाम पर है तो उन सबको लगता है कि मम्मी ने अगर घर इसको दिया है तो अब जिम्मेदारी भी यही उठाएगी।

लेकिन मैं यह पुछना चाहती हुं कि क्या मां ने सिर्फ मुझे ही पैदा किया या मेरी ही जरुरतें पूरी की पढ़ाई लिखाई क्या वो सिर्फ मम्मी का फर्ज था उन सबके लिए उनका कोई फर्ज नहीं है क्या सिर्फ घर प्रोपर्टी जायदाद यह सब मिलेगा तब ही हम मां बाप की सेवा करेंगे।

मेरी मम्मी मुझे बोलती है कि तु शादी कर लें, लेकिन मैं अपनी मां को किसके भरोसे छोड़ दूं वो बोलती है कि उनके बाद मैं अकेली हो जाऊंगी लेकिन क्या मैं भी अपने कल को संवारने के लिए आज उन्हें अकेला छोड़ दूं।

जिस मां ने हमारी जिंदगी संवारने के लिए अपनी पूरी उम्र लगा दी उनके लिए एक नहीं सात जन्म कुर्बान है

बस इसी लिए मां मेरे हिस्से में आई और मुझे इस बात की खुशी है।

निधि मितल

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