मेरे गुरूर – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

Post Views: 4 “क्या बात है… रोज तो सुबह अलार्म की भी तुझे जरूरत नहीं पड़ती… आज इतनी देर तक कैसे पड़ी है… वंदना उठ… उठ बेटा…!”  मां ने हिलाया तो वंदना चादर को और कसकर पकड़ते हुए जैसे रुंधे गले से बोली…” नहीं मां… नहीं जाना…!” ” नहीं जाना… पर बेटा आज तो तनख्वाह … Continue reading मेरे गुरूर – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi