hindi stories with moral : राशि जब से शादी कर के आई ….ससुराल में इतना सारा बिना काम का सामान देख कर आश्चर्य करती ….पर नई बहू कहे भी तो क्या…. महीने भर बाद वो पति निकुंज के साथ नौकरी वाली जगह रहने चली गई ।
कुछ समय बाद दिवाली आने वाली थी पहली दिवाली निकुंज परिवार वालों के साथ मनाने की सोच अपने घर आने की तैयारी करने लगा।
ससुराल आ कर राशि ने देखा पूरे घर की हालत बिगड़ी हुई है…. राशि अपनी जेठानी के कमरे में गई तो देखी उनके कमरे का पलंग टूट गया था पता चला बच्चे कूद कूद कर उसका पाया तोड़ दिए उसके मरम्मत का काम किया जा रहा हैं ।
राशि के लिए कोई अलग कमरा नहीं था…. शादी के बाद कुछ दिन ही रहना था तो गेस्ट रूम में व्यवस्था कर दी गई थी….इस बार भी उसी कमरे को रहने के लिए तैयार किया गया…
“ भाभी ये सब पुराने फ़र्नीचर को हटा कर नया क्यों नहीं ले आते…और ये आदम जमाने के बक्सों से पूरा स्टोर भरा पड़ा है इनमें क्या रखा हुआ है..?” राशि जेठानी जी से पूछी
“ धीरे बोलो राशि माँ जी ने सुन लिया तो तुम बिना वजह कोप का भाजन बन जाओगी…।” जेठानी तनु ने कहा
“ पता भाभी अभी हमने नई गृहस्थी शुरू की है…. बहुत कुछ तो मेरी माँ ने दिया है पर बहुत कुछ हमने ख़रीदा… नए जमाने का सब देख मन खुश हो जाता है … यहाँ तो बेकार सामान भी स्टोर में पड़ा दिखता वो क्यों नहीं हटाते हैं?” राशि ने पूछा
“ अब क्या कहा जाए…. माँ पता नहीं कौन से जमाने में जी रही है…. दोनों बेटे भी कह कर थक चुके हैं उनसे ‘ पता नहीं कौन से जमाने में जी रही हो तुम’ पर उनपर कोई असर ही नहीं होता…. मेरी शादी के बाद घर में जगह नहीं थी तो कोई फ़र्नीचर नहीं लिया गया… उसके बदले माता-पिता ने पैसे दे दिए…. मेरा भी बड़ा मन करता था कुछ तो नए जमाने का स्टाइलिश ले लूँ पर जब भी माँ जी से हिम्मत करके कहती वो बस एक ही बात बोलती…… अभी ये सब है ना…
इस कहानी को भी पढ़ें:
हैसियत – सविता गोयल
कितने चाव से ख़रीदा था हमने इस घर के लिए तब….तुम्हें सब फेंकने की पड़ी है….और मुँह फुलाकर बैठ जाती…फिर मैं हिम्मत ही नहीं कर पाई उन्हें कुछ बोलूँ… तुम्हें पता है छोटू नोनू( तनु के बच्चे) के पहले के छोटे हुए कपड़े भी स्टोर में रखे बक्सों में भरे पड़े हैं… किसी को देने ही नहीं देती…. जो भी हो कहती घर में साफ़ सफ़ाई के काम में ले आओ पर देना नहीं किसी को…. मैं खुद उनकी इस आदत से परेशान हो गई हूँ पर हम करें भी तो क्या… तुम्हारे जेठ का बिज़नेस है नहीं
तो हम भी देवर जी की तरह कभी बाहर रहने चल देते…देखो ना पलंग दो बार टूट चुका है पर हटाने ही नहीं देती…. पिछले महीने मिक्सर ख़राब हो गया अब तो उस दुकान वाले ने भी हाथ जोड़ लिए कि अब इसके पुर्ज़े नहीं मिलते हमसे नहीं बनेगा… एक बार तुम्हारे जेठ जी माँ से नया पलंग लाने बोले जिसमें बॉक्स रहता है पर माँ ने डपट दिया फिर वो भी चुप हो गए…. ससुर जी कहते भी हैं…. अरे कब तक इनको सीने से लगा कर रखोगी… तुम्हारी तरह बच्चों को भी अपने मन का लेने दो कुछ…
कही कल को उखड़ गए तो फिर मुझे कुछ ना कहना… तो पता क्या कहतीं है….. अरे मैं ना रहूँगी तब करेंगे ही ना मनमर्ज़ी.. फिर ससुर जी भी चुप हो जाते…अब तुम भी कह कर देख लो….।“सब कहने के बाद मज़ाक़ करती तनु राशि से बोली
राशि पहले तो चुप हो गई पर सोची एक बार सोच समझ कर प्यार से सास से बात कर के देखेंगी…… यहाँ भी उसे वही हाल लगा जो उसकी दादी का हाल था…. इस चक्कर में उसकी माँ और ताई जी की दादी से अक्सर लड़ाई हो जाया करती थी…. पर जीत माँ और ताई जी की होती थी क्योंकि वो जायज़ बातें कहती थी…अब तो उसकी दादी के कमरे में उनकी यादों का जत्था रखा हुआ है जो सही सलामत और उपयोग करने लायक़ है बस वही सब…
बाकी जो पुराने पलंग और सोफे थे उनका प्रयोग नए जमाने के हिसाब से कर दिया गया था जिसमें दोनों खुश थी…. यहाँ तक की कुछ मज़बूत लकड़ी के बक्से रखे थे माँ और ताई जी ने उसे हॉल में दीवान के रूप में सजा दिया था बस थोड़ा दिमाग़ लगाया और पुराने को ही नया रूप रंग दे दिया गया था ।
राशि सास से बोलने से पहले बारीकी से सब सामान का जायज़ा करना चाहती थी और जो बढ़ई काम करने आए थे उनसे सब का हाल पूछना पड़ेगा पर सास के सामने नहीं ।
सब सामान को जाँच परख कर उसे यही समझ आया कि जो पलंग है उनके पाए बार बार टूट जाते है पर लकड़ी अच्छी है उसने काम करने वाले से पूछा,“ इस पलंग को दीवान का रूप दिया जा सकता है… जिसमें सामान भी रखा जा सकें और मज़बूत भी हो जाए?”
“ जी छोटी भाभी… क्यों नहीं… ये लकड़ियाँ बहुत अच्छी क्वालिटी की है… इसलिए माता जी हटाने नहीं देती…।” उसने कहा
इस कहानी को भी पढ़ें:
बेटी क्या औलाद नहीं-Mukesh Kumar
“ आप बस माँ के सामने मेरी हाँ में हाँ करना…. और जितनी तारीफ़ कर सको मेरी बात का वो करना … माँ को आप लोगों पर पूरा भरोसा है… वो ना नहीं कह पाएँगी ।” कह राशि सास को बुला लाई
“ माँ जी ये लोग कह रहे हैं आपके घर के पलंग की बार बार मरम्मत करने से अच्छा है इसे नए जमाने के हिसाब से बना दिया जाए… यही लकड़ियाँ रहेंगी और जो ज़रूरत होगी वो सामान ला कर नया और मज़बूत बन जाएगा ।” राशि सासु माँ से बोली
“ हाँ माँ जी सही है… आप बार बार कितना बनवाती रहेंगी… मैं अभी बहुरानी से यही कह रहा था… हमने बहुत ऐसा बनाया है…आप कहो तो आपके घर के पलंग का भी रूप बदल दे….?” बढ़ई ने कहा
“ नहीं नहीं जो है वही रहने दो… हमारे घर में जो है वही रहेगा…अब तुम आ कर अपना दिमाग़ मत चलाओ…।” सपाट लहजे में सासु माँ ने कह दिया
राशि अपना सा मुँह लेकर रह गई ।
“ मैं कह रही थी ना सासु माँ नहीं सुनेंगी… अब तुम ऐसे चेहरा बना कर रहोगी क्या….. चलो मेरे साथ रसोई में दिवाली के लिए कुछ मिठाई बनाने जा रही थी साथ में बातें भी कर लेंगे ।” जेठानी तनु राशि का उतरा चेहरा देख बोली
दिवाली वाले दिन राशि के मायके से विडियो कॉल पर बातें हो रही थी तभी उसकी दादी ने कहा जरा तेरी सास से बात तो करवा…
राशि फोन लेकर सासु माँ के पास गई…. दोनों बातें कर ही रही थी कि राशि की सासु माँ ने कहा,“ अरे माँ जी आपने अपना पुराना आराम कुर्सी कब बदल लिया…. ये तो बड़ा अच्छा लग रहा है…?”
“ ये तो वही आराम कुर्सी है बेटा… ये तेरी समधिन और बहू है ना बड़ी दिमाग़ वाली…. हमारे घर के जितने पुराने फ़र्नीचर थे सब को नया रूप दे दिया है…. यहाँ तक कि वो मेरे लकड़ी के बड़े बक्से का तो रंगरूप ही बदल दिया…. दिखलाती हूँ तुमको… फिर तारीफ़ करना मेरी पोती की… ये सब उन सब का ही किया धरा है… मैं तो पुराने सामान पर जान छिड़कती रहती थी बदलने ना देती तब सब कहते रहते पता नहीं कौन से जमाने में जी रही हो तुम… फिर एक दिन मैं भी सोची चलो बच्चों की ख़ुशी के लिए कुछ नया करवा कर देखती हूँ फिर क्या था…. मेरा वही सामान नये जमाने का बन गया बच्चे भी खुश और मैं भी ।“ राशि की दादी ने उसकी सास से कहा
इस कहानी को भी पढ़ें:
“आत्मसम्मान” – भावना ठाकर
राशि की सासु माँ को उसकी माँ ने सब लोगों से बात करवाई और घर के सामान भी दिखाए जो उन्हें भी बहुत पसंद आ रहे थे ।
दिवाली के बाद राशि दो दिन और रूकने वाली थी दूसरे दिन सासु माँ दोनों बहुओं को बुला कर बोली,“ अच्छा ये बताओ हमारे घर में क्या क्या सामान ऐसा है जिसको नया रूप दिया जी सकता?“
दोनों अचरज से एक दूसरे का मुँह देखने लगी…
ख़ुशी मन में थी पर चेहरे पर लाने में डर लग रहा था सासु माँ कब डपट दे…
“ माँ वो ऽऽऽऽ मैं तो पलंग की बात कर रही थी…. वैसे रसोई में जो लकड़ी का खुला अलमारी रखा है उसपर भी पल्ला लगा नया रूप दिया जा सकता है और जो स्टोर में पुराने बक्से है जो एक जैसे हैं हम उनको अच्छे से कवर कर
बैठक में रख बैठने के लिए प्रयोग कर सकते हैं….थोड़ी मरम्मत की ज़रूरत होगी वो हम बढ़ई से बात कर के करवा सकते हैं ।” राशि अपनी बात धीरे-धीरे रख रही थी जो उसकी जेठानी से उसने सुना था
दो दिन बाद राशि तो चली गई पर बदलाव की शुरुआत हो चुकी थी जो उसकी जेठानी फ़ोन कर के बताती रहती थी ।
अब सासु माँ को भी ये बदलाव अच्छा लगने लगा था ।
एक दिन वो मंदिर से घूम कर आई तो बड़ी बहू तनु से बोली ,“ बहू वो मंदिर के बाहर किनारों पर कुछ डिब्बे रखे हुए देखे हैं लोग उसमें पुराने कपड़े रख रहे थे … कुछ आदमी औरतों को कहते सुना आपके लिए जो बेकार है वो किसी के काम आ सकते…घर में रखने या फेंकने से बेहतर है ज़रूरतमंद को दे दिया जाए… आप लोग इन बक्सों मे जो भी देंगे वो हम ज़रूरतमंदों को दे देंगे…बहुत लोगों को देते हुए देखा तो सोच रही हूँ हमारे घर में जो कपड़े बक्सों में रखे हुए हैं वो उधर दे आए… तुम क्या कहती हो..?”
“ मैं तो कब से कह रही थी पर आप पता नहीं क्यों देने नहीं देती थी फिर मैं चुप रहने लगी…।”तनु ने कहा
“ अरे बहू हमारे जमाने में कपड़े पूरा घिस कर पहने जाते थे… फिर वो घर में पोंछने के काम में ले लिए जाते थे पर आजकल के बच्चे कहाँ पहनते इतना तुरंत ही बदल लेते अब उन अच्छे कपड़ों को देख मन ही नहीं करता किसी को दे…फिर देती भी तो किसको काम वाली को… उसको कितना दे ये सोच मना करती रही … अच्छा चल अब मुझे वो निकाल कर एक थैले में दे देना कल जाकर दे आऊँगी … तेरे बक्से भी फिर खाली हो जाएँगे ।” सासु माँ ने कहा
तनु भी बिना देरी किए कपडे दे दी.. और जाकर राशि को फ़ोन कर के सब बातें बताते हुए बोली,“ अच्छा हुआ जो तुम्हारे घर को देख हमारी सासु माँ में भी बदलाव आ गया… अब तो लगता है जब तुम अगली बार आओगी… यहाँ भी बहुत कुछ नया देखने को मिलेगा ।” कहते हुए तनु और राशि हँसने लगी
आपको क्या लगता है सच में बहुत मुश्किल होता है अपनी प्रिय चीजों को हटाने की बात सुनना..? बहुत हद तक सही भी है उन चीज़ों से एक ख़ास लगाव हो जाता है…फिर जिन परिस्थितियों में लिया जाता है वो काफ़ी हद तक प्रभावी रहती है ऐसे में उसको हटाकर बदलाव करना मुश्किल हो जाता है पर उन्हीं चीजों पर थोड़ा बदलाव कर दिया जाए तो उनकी चीजें भी सलामत रहती और नया रूप भी ले लेती है और घर में कभी कभी थोड़े परिवर्तन घर को जीवन्त बनाने का काम करते हैं ।
मेरी रचना पसंद आये तो कृपया अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें।
धन्यवाद
रश्मि प्रकाश
#घर
GKK Fb S
Bahut badhiya kahani