मेरे अपने… –  प्रीता जैन

Post View 2,971 वही रोज़ का बुदबुदाना जारी था मिताली का, सुबह से ही घर के बिखरे काम देख झुंझलाने लगती धीरे-धीरे काम फिर क्रमबद्ध होते ही जाते किन्तु कुछ अधिक सफाई प्रिय होने की वजह से सब अस्त-व्यस्त देख परेशान ज़रूर हो जाती| हालाँकि रोज़ की ही बात है जानती-समझती है फिर भी लगातार … Continue reading मेरे अपने… –  प्रीता जैन