मेरा गुरूर मेरी सासू मां – माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

यों तो समाचार पत्रों में अधिकतर ऐसी-ऐसी खबरें समय समय पर प्रकाशित होती रहती हैं कि फलां बहिन ने अपने भाई को किडनी देकर उसकी जान बचाई या कभी बेटी ने अपने पिता को किडनी दी।लेकिन आज की खबर इन सब खबरों से एकदम अनूठी थी,खबर ही कुछ ऐसी थी कि जो भी पढ़ता ,दांतों तले उंगली दबा लेता।तो आइए इस खबर का खुलासा कर दिया जाय ताकि लोगों के मन का संशय दूर हो सके।

आज के समाचार पत्र में ऐक खबर प्रकाशित हुई कि एक सास ने अपनी बहू को किडनी देकर उसकी जान बचाई।जी हां जानकीदेबी ने ही अपनी बहू रीना को किडनी देकर उसे नया जीवन दिया है।जबकि सास ,बहू के रिश्ते को अधिकतर खट्टे मीठे अनुभवों के रूप में ही देखा जाता है।लेकिन यहां तो एक मिसाल कायम की गई थी,बहू को किडनी देकर।

जानकी जी के दो बच्चे थे ,एक बेटा नमन व बेटी किरन,पति सरकारी अफसर।कुल मिला कर हैपी फैमिली थी।किरन अपने भाई से दो साल बड़ी थी, साथ ही स्वभाव से मिलनसार व पढ़ने में भी कुशाग्र थी।

ग्रेजुएशन करने के बाद उसने एम बीए किया फिर पेरेंट्स की सहमति से अपने ही साथ पढ़ने वाले सौरभ से शादी करली। ससुराल भी उसी शहर में थी,सो जब तब मायका आना जाना लगा रहता।

रीना जो अब इस परिवार की बहू व धुरी सब कुछ थी।सास ससुर की चहेती रीना के उपर असीम प्यार दुलार लुटाते किरनअपने पेरेंट्स से कहने लगती ,मां आपको तो रीना के अलावा कुछ दिखता ही नहीं है ,बस हर समय रीना के ही गुणगान करती रहती हो।

ऐसा नहीं है बेटा,सबकी अपनी अपनी जगह होती है परिवार में ,जब तक तुम इस घर में थी तो मेरी दिनचर्या तुम्हारे व नवीन की फरमाइशें पूरी करने में ही बीतती थी।लेकिन जबसे रीना ने घर में कदम रखा है,उसने घर को पूरी तरह सम्हाल लिया है ,नौकरी करनेके बाबजूद भी रीना ने कभी भी शिकायत का कोई मौका नहीं दिया।

रीना व नवीन की शादी को तकरीबन दो साल हो चले थे,हरेक सासूमां की तरह उनके मन में भी अपने पोते,पोती को खिलाने की इच्छा सिर उठाने लगी थी।वे जव तव रीना से हंस कर कहदेती, रीना बेटा अब तो परिवार को आगे बढ़ाने के बारे में सोचो,अभी तो मेरी सेहत पूरी तरह दुरुस्त है मैं बड़े आराम से बच्चे को सम्हाल लूंगी ,और तुम अपने जॉव करती रहना।यह सब सुन कर रीना हल्के से मुस्कुरा देती।

सब कुछ एकदम बढ़िया से चल रहा था,सब खुश थे ।लेकिन जिन्दगी कब किस रूप में प्रहार करके चौंका दे यह ,कब,कौन जान सका है।

एक दिन रीना ऑफिस से लौटी तो सीधे अपने रूम में जाकर लेट गई,ऐसा पहले कभी नही हुआ था।जानकी जी रीना के पास गई पूछा क्या हुआ बेटा। इस तरह क्यों लेट गई?

कुछ नहीं मां बस थोड़ी सी थकान महसूस हो रही थी, उल्टी जैसी फीलिग हो रही है, थोड़ी देर आराम करूंगी तो शायद कुछ ठीक लगेगा।

इस बीच जानकी जी। े चाय के लिए पूछा,रीना ने मना कर दिया। नही मां जरा भी मन नहीं है आज चाय पीने का। थोड़ी देर आह करने के बाद रीना को अच्छा महसूस हुआ तो किचिन में आकर जानकी जी की मदद करने लगी।रीना की इसी अदा पर ही तो जानकी जी फिदा थीं।

रीना अपनी जिम्मेदारी निभाने में कभी पीछे नहीं रहती थी।लेकिन दूसरे दिन भी ऑफिस से आकर रीना ने वही थकान। चक्कर व उल्टी की हरकत महसूस की तो,जानकी जी ने मन ही मन भगवान को धन्यवाद किया,उनको लगा शायद रीना मां बनने बाली है तभी इस तरह के लक्षण नजरआरहे हैं।

जानकी जी ने रीना को दूर से दिन छुट्टी लेने को कहा,कि कल जाकर एकबार डॉक्टर से चैकअप करबा लेते हैं कि तुम ऐसा क्यों महसूस कर रही हो।

जब तक डॉक्टर रीना का चैकअप रही थी,जानकी जी सोच रही थी कि अभी डॉक्टर आकर कहेगी कि बधाई हो ,गुड न्यूज है आप दादीबनने बाली हैं,उनकी निगाहें डॉक्टर के रूम के बाहर ही टिकी हुई थी।

जब डॉक्टर चैकअप करके बाहर निकली तो उसका चेहरा देखकर जानकी जी के मन में किसी अनहोनी आशंका के बिचारउठने लगे।

डॉक्टर जी सब ठीक तो है न ,रीना को क्या हुआ है। क्या कोई बड़ी बिमारी हो गईं है, प्लीज़ जल्दी से बातेंबतायेंमेरा दिल बहुत घबरा रहा है।

नही परेशान होने जैसी कोई बात नही है,आजकल यह सब बहुत कॉमन है,रीना को डायबिटीज की शिकायत थी, टैस्ट न कराने से किडनी तक डैमेज होने की शुरुआत होचुकीहै।जैसे ही कोई डोनर मिल जायगा हम रीना की किडनी ट्रांसप्लांट कर देंगे।हां उसके बाद काफी ध्यान रखना होगा कि किसी तरह का कोई इन्फेक्शन न होने पाएं, साथ ही खानपान में भी कुछेक चीजों का सेवन नहीं करना होगा।

घर आकर जब रीना की समस्या के बारे में परिवार के अन्य सदस्यों से बात की तो सभी चिंतित हो उठे।

नबीन ने कहा हम लोग डोनर के लिए पेपर में डाल देते हैं ताकि डोनर जल्दी से जल्दी मिल सके।तभी जानकी जी ने एलान करते हुए कहा कि किसी डोनर की जरूरत नहीं है ,मेरा व रीना का ब्लड ग्रुप एक ही है मैं रीना को अपनी किडनी दूंगी ,ताकि मेरी बच्ची जल्दी से जल्दी ठीक होकर सामान्य जिंदगी जी सके।

जानकी जी को घर में सभी ने समझाया कि उनकी उम्र अब इस काबिल नही है कि वे इस तरह का रिस्क लें।।

जानकी जी ने भी अपना दो टूक फैसला सुनादिया कि रीना को किडनी में देरही हूं मतलव दे रही हूं,बस कल ही जाकर डॉक्टर से बात करके दिन तारीख निश्चित कर। ये है।और मैने तेअभी कुछ दिनों पहले ही सारे टैस्ट करायेहैं मैं पूरी तरह स्वस्थ हूं तो फिर रीना को किसी और डोनरकी क्या जरूरत है।

दिन तारीख निश्चित हो जाने के बाद जानकी जी ने रीना को किडनी देदी कुछ दिन हॉस्पिटल में रहने के बाद सास बहू घर लौट आई हैं।दोनों पूरी तरह स्वस्थ हैं।बस रीना तो तभी से यह कहते हुए नही थकती कि मेरी सासूमां मेरा # गुरूर हैं जिन्होंने अपनीजान की परवाह किसे विना मुझे नया जीवन दिया है।

हांलांकि इस बात को पूरे दो महीने हो चुके थे,अब रीना व उसकी सासूमां दोनों ही पूरी तरह स्वस्थ हो चली थी।

रीना ने अपनी सासूमां को सम्मान देने के लिए घर में एक छोटी सी पूजा व उसके बाद पार्टी का आयोजन रखा और सभी के सामने अपनी सासूमां को महामंडित किया।

सच इस तरह की घटनाएं जीवन को एक नया सबक प्रदान करती हैं।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

# गुरूर शब्द पर आधारित कहानी

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