निमिषा बहुत ही सुन्दर हँसमुख एवं खिलंदड़ स्वभाव की थी। वह अपने में ही मस्त रहती एवं किसी भी काम की चिन्ता नहीं पालती। जब उसे करना होता तभी करती। हमेशा हँसती मुस्कराती रहती और दूसरों को भी हँसाती रहती। अपने दोस्तों की बीच वह सबकी चहेती थी। सबको हंसाती, बातें करने में कोई उसका मुकाबला ही नहीं था।
बोलना शुरू करती तो चुप होने का नाम ही नहीं लेती। जोकस सुनाती और कहती क्या रोनी सूरत बना के रखते हो चार दिन की जिन्दगी है उसे हँसकर जिओ क्या चिन्ता करनी, हो जायेगा सब जब होना होगा।
उसका यहि स्वभाव उसकी मम्मी की चिन्ता का कारण था । बचपन में तो ठीक, किन्तु अब वह बड़ी हो रही है कुछ तो जीवन में गम्भीर हो। आगे उसे दूसरे घर जाना है ऐसा स्वभाव वहाँ कैसे चलेगा । अगर कहीं एडजस्ट न कर पाई तो क्या होगा।उसकी जिन्दगी कहीं बिखर न जाए । अपनी यही चिन्ता नैना जी कभी कभी अपने पति नितेशजी के सामने रखती।
वे बड़े हत्के से लेते कहते क्यों चिन्ता कर रही हो सिर पर पडेगी सब समझ जायेगी अपनी निमिषा काफी समझदार है।
समय अपनी गति से दौड रहा था और देखते ही देखते निमिषा बाइस वर्ष की हो गई। उस का पोस्ट ग्रेजुएशन हो गया। अब उसकी शादी की तैयारी शुरू हुई। मम्मी-पापा ने लड़के देखने शुरू कर दिए। किन्तु निमिषा अभी शादी नहीं करना चाहती थी वह पहले कुछ दिन नौकरी करके जीवन को अपने हिसाब से जीना चाहती थी
ये क्या मम्मा अभी तो पढ़ाई पूरी हुई और
आप मुझे ये शादी के बंधन में बाँध देना चाहती हैं।अभी मुझे आजादी से जीने दो। जीवन को एवं दुनियादारी को समझने का मौका तो दो। क्या आपको अपनी बेटी पर विश्वास नहीं है। मैं ऐसा कोई काम नहीं करूंगी जिससे आपका सिर झुके ।उसने कई जगह अप्लाई किया था किन्तु बैंक में उसकी नौकरी लग गई।
अभी उसे नौकरी करते एक ही बर्ष बीता था कि एक बुर्जुग कस्टमर जो अक्सर बैंक आते थे और वह उनकी मदद कर देती थी। उनसे बडे ही सम्मान से बात करती। कभी कहती अंकल आप इस उम्र में क्यों परेशान होते हैं किसी और को परिवार से भेज दिजियेगा।
वे हंस कर कहते किसे भेजूं बेटी हम अकेले रहते हैं।
अंकल आपके बच्चे आपके साथ नहीं रहते है।
बाहर अपनी अपनी नौकरी पर हैं।
ओह कहकर चुप हो जाती।
वे बुजुर्ग एक रिटायर्ड जज थे। उन्हें निमिषा छोटे बेटे के लिए पसन्द आ गई। उसका हंसमुख स्वभाव उसे दूसरों से अलग करता था सो वह उसके इसी गुण पर फिदा हो गए।
एक दिन बैंक आए उन्हें देखते ही निमिषा बोली अंकल अभी तो पेंशन आने में देर है फिर आप आज कैसे।
बेटा आज मैं एक निजी काम से आया हूं। कहिये अंकल।
यदि तुम बुरा न मानो तो मैं तुम्हारे पेरेन्टस से मिलना चाहता हूं। क्या तुम अपना पता दोगी।
नेकी और पूछ-पूछ अरे अंकल में बुरा क्यों मानूगी’ आप आइये न हमारे घर पापा का समय भी थोड़ा आपके साथ बीतेगा उन्हें आपसे मिलकर अच्छा लगेगा कहते हुए उसने कागज पर पता लिख कर समझा दिया।
वे दोनो बुर्जुग पति-पत्नी दो दिन बाद ही निमिषा के घर पहुँच गए और अपना परिचय दे सब बताया कि वे कैसे निमिषा को जानते है। वे उसे अपने बेटे के लिए पंसद करते हैं। बेटा एक मल्टीनेशफल कम्पनी में अच्छे पद पर जाॅब करता है योग्यता में वह मेकेनीकल इंजीनियर है। यदि आपने और कहीं निमिषा का सम्बन्ध न कर रख हो, और यदि हमारा प्रस्ताव आपको पसंद हो तो बतायें हमें तो बिटिया पसन्द है। हम प्रशांत का फोटो भी साथ लाये हैं देख लीजिए यदि पंसद हो तो बात आगे बढ़ायें कहते हुए फोटो निकाल
नितेश जी के हाथ में दे दी। फोटो नितेश जी एवं नैना जी को पंसद आई , परिवार भी अच्छा लग रहा था, फिर भी वे बोले हम एक बार निमिषा की राय जान लें उसके बाद ही आपको जबाब दे सकते हैं। ठीक है हम इन्तजार करेंगें कह वे चले गए।
शाम को निमिषा के आने पर फोटो दिखाई एवं पूरी बात बताई और निमिषा से बोले तुम सोच कर अपनी राय बताओ। और यदि किसीको तुमने पसंद कर रखा हो तो बेझिझक बता देना बेटा यह तुम्हारे जीवन का बहुत अहम फैसला है सो तुम्हारी राय जरुरी है ।
निमिषा को प्रशांत फोटो एवं प्रोफाइल से पसंद आगया। फिर भी उसने एक बार मिलने की बात कही ।प्रशांत से मिलने के बाद वह संतुष्ट थी। प्रशांत को भी वह पसंद आ गई।
अब नैना जी की नींद उड़ गई। जिस बेटी के व्याह की उन्हें इतनी चिन्ता थी वह इतनी जल्दी पराई होने वाली है सोच कर ही कांप जाती । कैसे रहेंगी बेटी के बिना सोच कर ही उन्हें रोना आ जाता रात में जागती रहतीं।
नितेश जी समझाते एक दिन तो बेटी को विदा करना ही था किन्तु सब कुछ इतनी जल्दी हो गया तो धैर्य रख सब तैयारी शुरू करो।
आज नितेश जी का घर दुलहन की तरह सजा था ।मेहमानों की गहमा गहमी, रिश्तेदारों की उपस्थिति निमिषा की सहेलियाँ, साथी, साथ काम करने वाले गूंजती शहनाई, बैण्डवाजों का शोर और इसके साथ ही निमिषा और प्रशांत एक दूसरे के हो गये सदा के लिए।
भात, मेहंदी ,हल्दी,जयमाल, भांवरे होते-होते विदाई की वेला आ गई।
रुंधे गले से नैनाजी बैटी से बोली, बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहाँ की मेहमान है और उसे अपने से भींच कर फूट कर रो पड़ीं।
नितेश जी अपने गले लगाकर रो पड़े बेटा हम तो तुम्हारे मम्मी-पापा हैं ही उस घर में भी सास-ससुर को यही सम्मान देना, उन्हें दूसरा न समझना ,अब वे भी तुम्हारे मम्मी-पापा हैं ।
तभी वातावरण को हल्का करने केअन्दाज में प्रशांत बोला जैसे तुम्हारे मम्मी-पापा अब मेरे भी मम्मी-पापा हैं।
सबको हंसाने बाली निमिषा आज मम्मी-पापा के बिछोह में अनवरत आँसू बहा रही थी।
शिव कुमारी शुक्ला
#बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहाँ की मेहमान है