मायके जैसा ससुराल – नील सिंघल

अमन बहुत खुश था आज फिर प्रीति ने मायके जाने का नाम लिया था, प्रीति के मायके जाने के नाम पर अमन हमेशा खुशी से नाचता था क्यूंकि वो खुद हर बार साथ जाता और मन मर्जी मेहमान नवाजी करवाता था, 

प्रीति की अपनी माँ से बात करने की इच्छा मन मे रह जाती थी पर मिलने की ललक से प्रीति हर बार चल देती थी। 

अमन को खुश होता देखकर प्रीति को इस बार गुस्सा आ गया और बोलने लगी “ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है तुम नहीं चल रहे मेरे साथ “

“पर क्यूँ प्रीति ” अमन बोला 

“तुम गए तो मैं नहीं जाऊँगी “

 

मायके जाने की ललक और अमन की बेजा जिद ने प्रीति को मायूस कर दिया तभी उसकी सासु माँ का फोन आया और प्रीति की भारी आवाज से वो समझ गयी कि प्रीति परेशान है। 

नीरजा जी ने प्रीति से पूछा “क्या हुआ ? क्यूँ परेशान हो बेटा “

इतना सुनते ही प्रीति रो पड़ी और सारी बात नीरजा जी को बता दीं

नीरजा जी सब जानकर खामोश हो गयी क्यूंकि इतिहास खुद को दोहरा रहा था, अमन के पापा का भी यही हाल था पर उन्हें शक होता था कि नीरजा  उनके और उनके परिवार की बातेँ अपने मायके ना बताएं इसीलिए हमेशा साथ रहते थे और अपने खुद के घर से 15-15 दिन गायब रहते थे। पर नीरजा ने अब अमन को समझाने की जिम्मेदारी ले ली। 



 

नीरजा ने प्रीति को धीरे धीरे कुछ समझाया जिसे सुनकर प्रीति के चेहरे की खोयी मुस्कान वापस आ रही थी ।

 

प्रीति ने पर्स उठाया ओए जाने को मुड़ी तभी अमन बोला मैं भी चलूंगा ,प्रीति मुस्कराई पर खामोशी से पलट कर बोली 

“ठीक है आओ, गाड़ी मैं चलाऊंगी “

 

दोनों गाड़ी मे बैठे और गाड़ी चल दी,  अमन चहक रहा था पर प्रीति मे खामोशी ओढ़ रखी थी। 

गाड़ी जब राज चौराहे से बायीं ओर मुड़ी तो अमन चौंका उसने प्रीति से कहा “ये तुम्हारे घर का रास्ता नहीं है “

प्रीति खामोशी से गाड़ी चलाती रही और एक झटके से गाड़ी रुकी “ममता निवास “के आगे। 

अमन भौचक्का रह गया और प्रीति कार से उतर कर गाड़ी बंद करते हुए बोली, 

“मैंने कब कहा मैं मेरे मायके जा रही हूं? मैं तो तुम्हारे मायके आयी हूं “

 

नीरजा जी बाहर आयी और प्रीति को अंदर ले गयी अमन चुपचाप उनके पीछे चलता हुआ अंदर आया। 



नीरजा जी प्रीति से खूब बाते कर रही थी और तरह तरह के खाने के आयटम सामने रखे थे ,

अमन ने कहा ” माँ ये सब क्या है “

“क्या हुआ अमन तुम्हें अटपटा क्यूँ लग रहा है”

 

“माँ तुमने इतनी मेहनत क्यूँ की प्रीति खुद आकर बना लेती “

“अमन विवाह एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है जिसे प्रीति ने बड़े प्यार से निभाया है पर तुम चूक गए बेटा “

 

“क्या मतलब माँ “

 

“बेटा विवाह के बाद लड़की का रिश्ता अपने माता-पिता से खत्म नहीं हो जाता पर खत्म किया जा सकता है अगर पति पत्नि को मायके अकेला ना छोड़े तो “

 

अमन को सब समझ आ गया। 

उसने प्रीति को sorry बोला 

 

प्रीति को ससुराल मे ही मायका मिल गया और नीरजा जी जैसी माँ भी। ।

 

इतिश्री 

 

शुभांगी 

 

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