माता-पिता ने भरोसा तोड़ा (हास्य रचना) – गीता वाधवानी

सब्जी नगर का ठेला सब्जियों से खचाखच भरा हुआ था। चारों तरफ सब्जियों का कोलाहल मचा हुआ था। तराजू को सिंहासन बनाकर उसमें काले-काले बैंगन राजा आसीन थे। उनका हरा ताज दूर से ही चमक रहा था। सभी सब्जियां नारे लगा रही थी।”बैंगन राजा की जय”, बैंगन राजा की जय”।”बैंगन राजा इंसाफ करो, मेरे माता पिता ने मेरा भरोसा तोड़ दिया, इंसाफ करो”, एक कोने से भिंडी की आवाज गूंजी। 

तभी मंत्री चुकंदर लाल की आवाज गूंजी,”शांति शांति, कृपया सभी शांत हो जाए। भिंडी बेटी, आगे आओ और बताओ कि क्या बात है और तुम्हारे माता-पिता ने तुम्हारा भरोसा कैसे तोड़ा?” 

सभी सब्जियां शांत हो चुकी थी और भिंडी की बात सुन रही थी। पतली दुबली छोटी सी सुंदर भिंडी ने साथ बैठी दो भिंडियों की तरफ इशारा करते हुए कहा,”मंत्री जी, यह मेरे माता-पिता है। मैंने इन पर भरोसा करके अपना रिश्ता तय करने की इनको इजाजत दे दी थी लेकिन इन्होंने मेरा रिश्ता प्याज लाल के साथ तय कर दिया और मेरे भरोसे को तोड़ दिया। मुझे लगा था कि यह मेरा रिश्ता मेरे मनपसंद आलूचंद्र के साथ तय करेंगे। मैं प्याज लाल के साथ विवाह करना नहीं चाहती क्योंकि सभी को पता है कि वह सब को रुलाता है और बदबूदार भी है।” 

बैंगन राजा-“अच्छा तो भिंडी बेटी, तुम आलू चंद्र के साथ विवाह करना चाहती हो।” 

भिंडी-“हां महाराज।” 




भिंडी के माता-पिता-“बैंगन महाराज, यह तो नासमझ है। इसे पता नहीं है कि आलू कितना बेढंगा और टेढ़ा मेढ़ा है। सबके साथ जोड़ियां बना लेता है। कभी आलू गोभी, तो कभी आलू मटर, आलू सेम, आलू पनीर और यहां तक कि कभी आलू बैंगन, क्षमा करें महाराज क्षमा करें।” 

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बैंगन राजा”कुछ सोचते हुए, हं, बात तो आपकी सही है।” 

बैंगन राजा-“क्यों आलू चंद्र, क्या तुम भी भिंडी से विवाह करना चाहते हो?” 

आलू कुछ जवाब देता उससे पहले ही सब्जी नगर के ठेले की सब्जियां दो पक्षों में बंट गई। पालक, मेथी, सेम, मटर, टमाटर और शिमला मिर्च आलू के पक्ष में बोलने लगे और मूली, करेला, कद्दू, तोरी, घिया और कटहल आलू के विरोध में बोलने लगे। 

बेचारी भिंडी और उसका परिवार सोच में पड़ गया था कि यह क्या हो रहा है। आलू चंद्र अपना जवाब अभी सोच ही रहा था कि तभी अचानक जोरदार बारिश शुरू हो गई और सब्जी नगर के ठेले को सब्जी वाले ने कवर से ढक दिया और आधे घंटे बाद जब बारिश बंद हुई तब एक औरत आकर भिंडी प्याज खरीद कर ले गई और दूसरी औरत ने बैंगन राजा को खरीद लिया, उसका भरथा बनाने के लिए। 

अब फैसला कौन करता इसीलिए तबसे भिंडी, प्याज की होकर रह गई और आलू सबके साथ जोड़ियां बनाता रहा। 

(सिर्फ हंसने और मनोरंजन के लिए, इसे किसी घटना या राजनीति से ना जोड़ें)

गीता वाधवानी दिल्ली

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