मर भी जा –   बालेश्वर गुप्ता

Post Views: 12 अरे हतभागी तू मरती भी तो नहीं, मर जाये तभी तो मैं भी मरूं।कैसे तुझे अकेला छोड़कर,मरूं? कहते कहते इंदर सिसक पड़ा, आंखों से आंसू थमने का नाम ही नही ले रहे थे।         सन 1966 की घटना आज भी मेरे मन मष्तिष्क में ज्यूँ की त्युं अंकित है। मैंने  मेरठ में स्नातक … Continue reading मर भी जा –   बालेश्वर गुप्ता