मंज़िल – सुनीता मिश्रा

Post Views: 8 मै नहीं जानती थी की मैं कहाँ जा रही हूँ । रात का समय, बारिश की झड़ी लगी थी। बिजली और बादलों की गड़गड़ाहट में होड़ लगी थी। मैं पूरी तरह भीग गई थी। तरबतर थे कपड़े। होश नहीं था मुझे। आखिर मेंरा कसूर क्या था। इतना ही न मैंने आज उस … Continue reading मंज़िल – सुनीता मिश्रा