संगीता की शादी को सात साल बीत चुके थे । इस बीच में उसके पति अभय का पांचवी बार ट्रांसफर हुआ था। यूं तो वह बहुत मिलनसार और हंसमुख स्वभाव की थी। सबसे जल्दी ही घुल- मिल जाती थी । लेकिन जहां शादी के बाद वह पहली बार अपने पति के साथ नौकरी पर गई, वहां पड़ोस में रहने वाली रत्ना के साथ उसका ऐसा मन का रिश्ता जुड़ा, जो किसी भी तरह रक्त संबंधों से कम नहीं था।
उसे याद था आज भी वह दिन जब वह पहली बार रत्ना से मिली थी। सांवले रंग की लंबी कद -काठी और चेहरे पर एक आकर्षण, जो बरबस दूसरे को अपनी ओर खींचता था। वह एक स्कूल में टीचर थी ।संगीता उस कॉलोनी में बिल्कुल नई ऊपर से छोटे कस्बे की रहने वाली थी ।
मुंबई जैसे बड़े शहर में अपने आप को खोता हुआ सा महसूस करती। उस दिन वह हड़बड़ाहट में रोड क्रॉस कर रही थी, तभी एक गाड़ी आ गई, वो तो रत्ना ने उसे पकड़कर खींच लिया वरना पता नहीं क्या होता। बातों ही बातों में उसे रत्ना से पता चला कि
वह अपने दो साल के बेटे के साथ अकेली रहती है। जब वह स्कूल जाती है उस टाइम अपने बेटे की देखभाल के लिए एक लड़की को रखा हुआ है। इतना ही रत्ना ने उसे बताया था । संगीता को रत्नाकी निजी जिंदगी के बारे में ज्यादा पूछताछ करना अच्छा नहीं लगा।
संगीता दिनभर अकेली रहती थी वह कभी-कभी रत्ना के बेटे को खिलाने के लिए ले आती। दोनों का एक दूसरे के घर काफी आना-जाना रहने लगा। अब संगीता भी मां बनने वाली थी। उसे तीसरा महीना चल रहा था। रत्ना को वह दीदी कहकर बुलाती थी। उसने उसे भी यह खुशखबरी दी।
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अचानक एक दिन संगीता सीढियों से फिसल गई और उसका गर्भपात हो गया। गिरने के कारण उसको ज्यादा चोट लगी थी। डॉक्टर ने बताया कि वह कभी भी मॉं नहीं बन पाएगी। संगीता का रो-रोकर बुरा हाल था। मां ने बन पाने का गम उसे अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। रत्ना ने उसका उस समय बहुत साथ दिया । वह ज्यादातर अपने बेटे को भी उसके पास छोड़ जाती, जिससे कि संगीता का दुख थोड़ा कम हो।
इस बात को एक साल बीत चुका था। संगीता भी सच्चाई को स्वीकार कर चुकी थी। उसके पति अभय ने बच्चा गोद लेने की बात सोची तो संगीता बोली मुझे कुछ समय दो। इतना बड़ा निर्णय और किसी दूसरे के बच्चे को अपनाना, मैं पहले इसके लिए अपने आप को तैयार करना चाहती हूँ।
इधर कुछ दिनों से रत्ना को बुखार आ रहा था ,जो कि दवाई लेने पर उतर तो जाता, लेकिन ठीक नहीं हो रहा था। रत्ना दिन ब दिन कमजोर होती जा रही थी। संगीता ने रत्ना को एक अच्छे डॉक्टर को दिखाने की सलाह दी। वह रत्ना के साथ अपने अपने आप भी गई।
डॉक्टर ने रत्ना के कुछ टेस्ट किए जिनकी रिपोर्ट अगले दिन आनी थी। अगले दिन दोपहर के समय रत्ना ने उसके यहां जो लड़की रहती थी उससे संगीता को बुलाकर लाने के लिए कहा। संगीता को देखते ही रत्ना उसका हाथ पकड़ कर रोने लगी। क्या हुआ दीदी ,सब ठीक तो है ना आप रो क्यों रही हैं? संगीता मैं तुम्हें अपनी जिंदगी का सच बताने जा रही हूं। मैंने नादानी में अपने प्रेमी के साथ घर से भाग जाने का निर्णय ले लिया था। उस धोखेबाज ने मेरा सारा जेवर पैसा ले लिया।
और शादी का झांसा देकर मेरा शारीरिक शोषण करता रहा। एक दिन मुझे अपने प्रेग्नेंट होने का आभास हुआ। मैंने यह बात उससे बतायी। तब वह मुझे छोड़कर पता नहीं कहां चला गया ।मैं अपने घर भी वापस नहीं जा सकती थी। तब मैंने यहां घर किराए पर लिया । यहां मुझको कोई नहीं जानता था। मैंने सबको बताया कि मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है। और अब देखो शायद मेरे बुरे कर्मों का ही फल है। डॉक्टर ने मुझे ब्लड कैंसर की लास्ट स्टेज बताई है। संगीता मैं अपने लिए नहीं अपने बेटे के लिए परेशान हूं। मेरे बाद उसका क्या होगा। संगीता क्या तुम मेरे बेटे को मां का प्यार दोगी । अगर तुमने हां की तो मैं निश्चिंत होकर इस दुनिया से जा पाऊंगी
संगीता को कुछ समझ नहीं आ रहा था। फिर उसने सोचा शायद ईश्वर की यही मर्जी है। जो इस रूप में वह मुझे मातृत्व का सुख दे रहा है। उसने रत्ना को कहा कि वह अपने बेटे की तरफ से निश्चिंत रहे । वह उसके बेटे को मां का प्यार देगी। कुछ दिनों बाद रत्ना ने प्राण त्याग दिए और उसका बेटा हमेशा के लिए संगीता की गोद में आ गया। जो हमेशा उसके साथ रहकर रत्ना की मौजूदगी का एहसास कराता था।
नीलम शर्मा