मन का अब इलाज और नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

Post Views: 4 यह आत्मसम्मान विषय पर रची गई कहानी एक विवाह योग्य पुरुष के मन के घांवों की वेदना है।जब पीड़ा का आभास होना ही खत्म हो जाता है,तब चोटिल होता है आत्म सम्मान। नीता के परिवार के पुराने मित्र ,जो अब स्थानांतरित होकर कोरबा में रह रहें हैं ,थॉमस परिवार।जाति में भिन्नता होते … Continue reading मन का अब इलाज और नहीं – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi