यह आत्मसम्मान विषय पर रची गई कहानी एक विवाह योग्य पुरुष के मन के घांवों की वेदना है।जब पीड़ा का आभास होना ही खत्म हो जाता है,तब चोटिल होता है आत्म सम्मान।
नीता के परिवार के पुराने मित्र ,जो अब स्थानांतरित होकर कोरबा में रह रहें हैं ,थॉमस परिवार।जाति में भिन्नता होते हुए भी नीता के परिवार से उनकी दोस्ती अटूट है अब तक।उनके दो बेटे हैं।उनकी मम्मी नीता को भाभी और नीता के पति को अपना भाई ही मानती थी हमेशा।उनके बच्चों ने नीता को भाभी आंटी कहना शुरू किया,तो पहले बहुत अटपटा लगा।बाद में इसमें स्नेह ज्यादा लगा नीता को।साल में एक बार जरूर वह परिवार नीता के परिवार से मिलने आते हैं।
एक परिचित की बेटी की शादी में उनका आना हुआ।बड़े बेटे की बचपन की दोस्त थी वह लड़की।रुकना नीता के घर पर ही हुआ।शिजस नाम था पति का और पत्नी का शरली।शिजस को देखकर नीता ने पूछा शरली से”भैया का चेहरा इतना बुझा -बुझा क्यों लग रहा है?कुछ है क्या गंभीर बात?”पहले तो टरका दिया उसने बेटे के सामने,बाद में बताई”हां भाभी,
बहुत टेंशन चल रही है अबू(बड़े बेटे)को लेकर।सेमिनरी की पढ़ाई के दौरान एक लड़की से दोस्ती हो गई।वो भी इसलिए कि उस लड़की को उसके पूर्व प्रेमी ने धोखा दिया।ये साहब अपना कंधा दिए रोने को,और उसी को कंधे से झुला लिया।”नीता ने खुश होकर कहा”अरे वाह!यह तो खुशी की खबर है।लड़की भी क्रिश्चियन ही है,फिर कैसी दिक्कत?”
शरली रोते हुए बोली”भाभी मलयाली नहीं है वह।सास कभी नहीं मानेंगी,ना ही उनका आज्ञाकारी बेटा मानेगा।मैं बीच में पिस रही हूं।आप अबू से बात करके देखिए ना।आपकी सुनेगा वो।थोड़ा काउंसलिंग की जरूरत है उसे।”
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नीता मौका पाकर अबू से जैसे ही कुछ कहने को हुई,वह इसके लिए तैयार था पहले से।बोला”भाभी आंटी,मैंने ज़िंदगी में पहली बार प्यार किया है इससे, अगर शादी करूंगा तो इसी से वरना नहीं करूंगा।मैं अपने दादी, पापा-मम्मी को नाराज़ करके शादी नहीं करूंगा।आप भरोसा रखिए मैं उनके मान जाने का इंतजार करूंगा।”नीता से सीधे नजर मिलाकर पहली बार अबू बात कर रहा था।उसकी आंखों में प्रेम की आसक्ति और
दृढ़ता देख दंग रह गई थी नीता।यह तो जन्मों के प्रेम का संकेत दे रहीं थीं आंखें उसकी।बातों में गजब का आत्मविश्वास।नीता ने सिर्फ इतना कहा”ईश्वर तेरे प्यार को पूरा करें।तेरी आंखों में जो समर्पण उस लड़की के लिए मैंने आज देखा,पहले कभी किसी की आंख में नहीं दिखा।”
दोनों पति-पत्नी को समझाया नीता ने”जब बेटा अपने प्यार के प्रति इतना वचनबद्ध हो,तब उससे जो भी कहोगे नहीं मानेगा।पूरी दुनिया साथ दे या ना दे, माता-पिता से तो साथ का हकदार है ना वो ।”बात बिना किसी निष्कर्ष के खत्म हो गई।मजेदार यह भी था कि वह नीता के घर में बैठकर ही अपने मम्मी पापा के सामने सामान्य होकर उस लड़की से बात कर लें रहा था।कोई झिझक नहीं,भय नहीं,और ना ही ग़लत तरीका।नीता आश्वस्त हो चुकी थी कि उसका मन बदलना बहुत टेढ़ी खीर है।
अगले दिन जाते हुए शरली और शिजस गले लगे नीता से तो उनकी आंखों में एक मूक निवेदन था बेटे को सही दिशा दिखाने का।अबू जब गले लगा तो कान में धीरे से बोली गया”भाभी आंटी आपको बहुत अच्छी लगेगी वह।मैं वीडियो कॉल में बात करवाऊंगा।”
कई दिनों तक मन उदास रहा।कुछ उपाय नहीं सूझ रहा था।लड़की से भी बात करना उचित नहीं लग रहा था।उधर शिजस और उसकी मां ने एक तरह से अबू का बहिष्कार कर दिया था।शरली रोती रहती और प्रार्थना करती।जब भी फोन आता एक ही बात कहती “भाभी,दो पुरुषों के आत्मसम्मान की लड़ाई में मैं पिस रहीं हूं।बेटे को कुछ समझाती हूं तो,उसका आत्मसम्मान आहत होता है,बाप को मनाने जाओ,तो उनका ईगो बीच में आता है।”
नीता क्या बोलकर सांत्वना देती उसे।लगभग चार महीने बाद दोनों पति-पत्नी का फोन आया।एक अरसे के बाद आवाज में इतनी खुशी महसूस कर बहुत खुश हुई नीता।उनके बोलने से पहले ही नीता बोली पड़ी”मान गई मम्मी और भैया?”शिजस भैया ने चहकते हुए कहा”ईश्वर ने हमारी प्रार्थना सुन ली।जिस लड़की के लिए अबू अपने परिवार का सम्मान दांव पर लगाने को तक तैयार था ,उस लड़की ने उसके आत्मसम्मान पर चोट करके खुद ही रिश्ता खत्म कर दी।”
नीता ने हांथ जोड़कर कहा भी कि ईश्वर सच में महान है।इतना सीधा बच्चा,और इतना संकल्पित प्रेम।लड़की ने कैसे आत्मसम्मान पर घात किया होगा?
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दोनों ने कहा “हमेशा की तरह अबू उस लड़की से सामान्य होकर बात ही कर रहा था सभी के सामने।उस लड़की के कुछ पूछने पर उसने इतना ही कहा कि मेरे मम्मी पापा जरूर मान जाएंगे।बस वेट करो थोड़ा।तो उसने सीधे ही कह दिया”मानेंगे कैसे नहीं?बुढ़ापे में अगर बेटा उन्हें ना देखे गए,गुस्से में।उनकी जिम्मेदारी ना ले तो क्या करेंगे वे लाचार रिटायर होकर?इसी स्वार्थ के लिए माने हैं।
“फोन गलती से स्पीकर पर था। मम्मी पापा लड़की की बात सुनकर रो दिए।उस दिन उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची थी।ख़ुद ही कह दिया कि हम शादी नहीं कर सकते।मेरे सामने मेरे मम्मी पापा की बेइज्जती करने वाली लड़की कल को मेरा आत्मसम्मान भी तोड़ देगी।
कुल मिलाकर अब थॉमस परिवार सच में बहुत खुश था।अबू ने मम्मी से कह दिया था लड़की अपने हिसाब से ढूंढ़ने के लिए।
पापा ने अपने सजातीय समूह में ढूंढ़ना शुरू किया।अच्छा परिवार देखकर उनकी बेटी की फोटो देखकर उसका नंबर लेकर बात किया।लड़की अच्छी लगी तो बेटे को भी नंबर देकर परस्पर बात करने के लिए कहा।आंखों में सच्चे प्रेम का आवेग लिए नए रिश्ते में ईमानदारी से जुड़ने को
इच्छुक अबू ने मारथी से बात करना शुरू किया।लगभग दो महीने बाद अचानक मारथी ने पूछा”तुम सैटल विदेश में ही होंगे ना।मेरे मामा ने मेरे लिए नौकरी ढूंढ़ी है,तुम्हारे लिए भी ढूंढ़ देंगे।भारत में रहकर हम प्रोगेस नहीं कर पाएंगे।”
अबू ने समझाया”तुरंत तो नहीं जा पाएंगे। मम्मी पापा दोनों इसी साल रिटायर होने वाले हैं।केरल में घर जमीन है हमारी।दादी की भी बहुत इच्छा है हम सब साथ रहें।बाद में चलेंगे विदेश।मैं तो केरल में जॉब कर ही रहा हूं।”
मारथी ने साफ शब्दों में शादी से यह कह कर मना कर दिया कि उसकी यही शर्त है।अबू अभी यह शर्त नहीं मान सकता था,सो बात बनी नहीं।कुछ दिनों में ही केरल से एक और लड़की का रिश्ता आया।अबू ने पापा से पहले ही कहलवा दिया था कि अभी विदेश में सैटल नहीं हो पाएगा।लड़की के मम्मी पापा सहमत हो गए।लड़की(रीटा)भी यहीं रहने को राजी हो गई।फोन पर बातें भी होने लगी।
प्रेम से भरा मन समर्पित हो गया दोबारा पूरी तरह से।एक दिन बातों-बातों में अपने अतीत के बारे में पूछ लिया रीटा ने”देखो,अबू मैं तीन साल रिलेशनशिप में थी जॉन के साथ।अब हम अलग हो गएं हैं।तुम्हारा कोई पुराना रिश्ता हो तो छुपाना मत प्लीज़।”
अबू ने पूरी ईमानदारी और सच्चाई से अपने अतीत के प्रेम संबंध की बात बताई।तीन साल तक तो वह लड़की करती रही है प्रेम उससे।तभी मारथी ने एक अप्रत्याशित प्रश्न पूछ लिया”क्या तुम दोनों में शारीरिक संबंध हुए थे?
अबू ने अब भी सच ही कहा” कि वह शादी से पहले ऐसे संबंधों को पाप मानता है।उन दोनों के बीच कभी भी ऐसा कुछ नहीं हुआ।”
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रीटा मानने को तैयार ही नहीं थी।अबू जितनी बार उसे यकीन दिलाने की कोशिश करता ,वह और भड़क उठती।आख़िर उसने भी अबू के आत्मसम्मान पर चोट करते हुए कहा “कहीं तुम गे तो नहीं?”अब और सुनना अबू के लिए संभव नहीं था।उसने रीटा से उसी समय संबंध तोड़ लिया ।
आज सुबह लगभग ग्यारह बजे फोन पर बोला अबू”भाभी आंटी, ईमानदारी और सच्चाई की सज़ा क्यों मिलती है मुझे हमेशा?आप तो कहती थीं कि जिस लड़की की ज़िंदगी में तू आएगा,वह प्रेम से बंध जाएंगी।यहां तो एक -एक करके मेरे मन पर घाव ही दिए जा रहीं हैं लड़कियां।अब इनको और हील करना मेरे बस में नहीं।अपनी वफादारी के प्रमाणपत्र के रूप में मैं कौन सा एफिडेविट दूं उन्हें?”
नीता ने भी उसके आहत आत्मसम्मान को बिना ठेस पहुंचाए कहा”अबू ,अब जो लड़की तेरी ईमानदारी और सच्चाई पर विश्वास कर सके,उसे ही आने देना अपने मन में। बार-बार छलनी मत होने देना मन।तन के घाव तो दिख भी जातें हैं और मलहम भी लगाए जा सकतें हैं।मन चोटिल हो तो सबसे पहले मरता है आत्मसम्मान।”
“थैंक यू भाभी आंटी।सच कहा आपने मैं बेस्ट डिजर्व करता हूं।मेरे लिए ईश्वर ने किसी को तो चुन कर रखा ही होगा।वही मिलवाएगा।मैं चाहता हूं कि वह मेरा आत्मसम्मान बचाए रखे,मैं उसका सदा सम्मान करूंगा।रखता हूं अब।जब वह लड़की मिल जाएगी,तभी आपसे बात करवाऊंगा उसकी।”
नीता भी सोचने पर विवश हुई कि विवाह की शर्त इतनी कठिन हो कैसे जा रहीं हैं लड़कियों की?नारी सशक्तीकरण की बात का डंका बजाने वाली लड़कियों को क्या रीढ़विहीन लड़के चाहिए शादी करने के लिए?
शुभ्रा बैनर्जी
#आत्मसम्मान