“ममता की छाँव” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
Post Views: 86 बहुत सालों बाद भतीजे की शादी में वह गांव आई थी। माँ बाबूजी के गुजरने के बाद आने का कोई प्रयोजन ही नहीं था । ऐसा नहीं है कि भाई भाभी ने बुलाया नहीं था। पर इच्छा ही नहीं होती थी या यूं कहें कि बिन माँ का मायका कैसा ! जैसे … Continue reading “ममता की छाँव” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा
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