माधवी एक सुशिक्षित अच्छी नौकरी करने वाली लड़की थी। थउसके घर में मां आशा देवी, पापा विनायक जी ,भाई आदित्य भाभी शोभा और उनका प्यारा सा बेटा अभी था । यह परिवार आगरा में रहता था।अभी अपनी बुआ को बहुत प्यार करता था और बुआ अभी को देखने वाले यही कहते शादी हो जाएगी तो कैसे रहोगी।
घर में सब एक दूसरे का बहुत ख्याल रखते थे।माधवी के लिए उसके माता पिता ने रिश्ते देखने शुरू कर दिए थे परंतु कही बात नहीं जम रही थी ।आशा देवी को बड़ी चिंता होती विनायक जी समझाते जहां संयोग होगा वहा रिश्ता हो जाएगा। आदित्य की बुआ जी जो दिल्ली में रहतीथी ।अगले माह उनके बेटे की शादी में सबको दिल्ली जाना था ।
पहले माधवी को छुट्टी ना मिलने की वजह से वो और आशा जी नहीं जाने वाले थे पर एन टाइम पर छुट्टी मिलने से सब सपरिवार शादी में पहुंच गए।शादी बड़ी अच्छी हुई वहां फूफा जी के दोस्त भी आए थे रामप्रसाद जी उन्हें अपने छोटे बेटे के लिए माधवी पसंद आगई।
उन्होंने इस बात का जिक्र फूफा जी से किया नंद किशोर हमें आपके साले की बेटी बहुत पसंद है अपने दिवाकर के लिए तुम बात चलाओ। नंदकिशोर जी ने विनायक जी से बात की और सब लोग आगरा पहुंच गए । नंदकिशोर जी के परिवार में दो बेटे और बेटियां थे ।
बेटियों का और बड़े बेटे हितेश का विवाह हो चुका था सबको माधवी बड़ी पसंद आई और वो सगाई कर शादी अगले महीने की पक्की कर चले गए ।सब खुश थे कि जान पहचान में रिश्ता हुआ है।और माधवी शादी होकर दिल्ली आ गई। यहां का माहौल उसके घर से अलग था
सब साथ बैठकर खाना नहीं खाते थे जिसको जैसी भूख लगती वो खाता नौकर खाना बनाते भाभी और उसकी सास लता जी किटी पार्टी में मशगूल रहती ।भाभी की बेटी पायल को भी मेड देखती।उन्होंने उसे भी कहा कि तुम भी हमारे साथ क्लब चलो पर माधवी ने अपनी।
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ट्रांसफर दिल्ली करवा ली थी तो वो ऑफिस में बिजी रहती और शाम को वो और दिवाकर घूमने चले जाते कई बार वो पायल के साथ भी वक्त बिताती पायल अपनी मां।को। बहुत मिस करती पर शाम होते ही भाभी और सास गायब बच्ची घर में अकेली। माधवी को अपने जेठ हितेश का व्यवहार भी समझ ना आता
उसका देखने का तरीका उसे जरा भी पसंद ना था उसने इस बारे में एक दो बार दिवाकर को भी कहा उसने कहा तुम्हारा वहम होगा।फिर एक दिन दिवाकर ऑफिस के काम से मुंबई गया था सास और नंदकिशोर जी बनारस गए थे शादी में और बड़ी बहु क्लब में घर पर पायल और माधवी थे
आज उसका जेठ हितेश जल्दी घर आगया और माधवी को बोला मेरे लिए चाय बना दो माधवी चाय लेकर आई तो वो हॉल में नहीं था उसने उसे आवाज लगाई तो हितेश बोला इधर कमरे में दे दो माधवी चाय देने गई तो हितेश ने उसका हाथ पकड़ लिया और बतमीजी करने लगा ।
माधवी चिल्लाई उसके चिलाने की आवाज सुनकर पायल वहा भागी आई और गिर गई माधवी हाथ छुड़ाकर भागी और पायल को उठाया हितेश ने भी आगे बढ़ने की कोशिश की पर माधवी चिल्लाई आप को तो रिश्तों का पास नहीं रहा पर मैं इस घर को मैदान नहीं बनाना चाहती में नहीं चाहती
कि यह बात बड़ा रूप लेले और रिश्ते बिखर जाए आपको तो शर्म नहीं आई और वो पायल को लेकर बाहर आ गई । अगले दिन वो अपने मायके चली गई और तभी वापस आई जब दिवाकर मुंबई से आया और अच्छी बात यह हुई कि।दिवाकर को प्रमोशन मिला और उसे मुंबई ट्रांसफर मिल गई और वो मुंबई शिफ्ट हो गए और बात वही दब गई वरना इस बात के भेट कई।रिश्ते चढ़ जाते।
माधवी हितेश की शकल भी नहीं देखना चाहती थीं।
सच है दोस्तो जब रिश्ते अपनी मर्यादा भूलने लगे तो क्या किया जाए।
स्वरचित
आपकी
खुशी
कहानी कैसी लगी कमेंट में बताएगा।