सखियों तुम सबको आना है ,आज मेरी ,बेटी कलिन्दी की सगाई है,कोई भी मना मत करना “”” आना ,सभी मांसी मां को आना है,,,मोबाइल पर गुरूप मे वीको मैसेज पढकर ,गुरूप के सभी ,सदस्य ,सकते मे थे! य ये अचानक, निशा को ,कलिन्दी के विवाह की जरूरत कैसे आन पडी,,,
ये बहन ,छोरी अच्छी भली पढ रही है,क्यूँ उसे अभी से बंधक बना रही है”अभी सच रहा की भी पूरी नही हुई “”
न रे शुभा,छोरा अच्छा मिल गया, तो पक्की कर दी””
हद करती है यार ,तू खुद पढ लिखकर ,इतनी दकियानूसी बाते करती है,अगला वीको,वैशाली का था!
सब अपनी अपनी तरह से ,निशा को समझाने की कोशिश कर रहे थे! पर निशा किसी की बात नही सुन रही थी!
बहाना मत बनना कोई ,मै किसी की नही सुनूंगी “””
इतना बोलकर ,गुरूप से बाहर हो गयी निशा””
सगाई मे तो कोई ही जा पाया,पर जो तस्वीरें समूह मे डाली गयी,सब खुश दिखाई दे रहे थे!
खासकर कलिन्दी””””सबसे खुश नजर आयी!
फिर एक दिन,अरे निशा,तू””
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हा अपनी कलिंदी के विवाह की कुंकुम पत्रिका सबको देने आयी हूं”निशा के चेहरे पर मुस्कान फैल गयी थी!
उसकी खुशी देखकर सरिका चुप रह गयी”
चल सभी के घर आमांत्रित करके आते है ,सरिका दी”””
देख निशा तू कुछ ज्यादा जल्दी नही कर रही,पहले ठीक से पता कर ले,सरिका ने एकबार फिर छोटी बहेन निशा को समझाने की कोशिश की”‘
दी ,अपनी कलिंदी बहुत खुश है””‘
जैसे जैसे विवाह की तारीख पास आ रही थी ,निशा की बैचेनी बढती जा रही थी””शादी की पहली रस्म, के दिन”
अचानक मोबाइल बजा”””
कौन, मै ,विनय की मांसी आज हम शगुन लेकर नही आ सकते””
पर क्यूँ, निशा ने पूछा “”
दूर के मामाजी की डेथ”””फोन कट””निशा ने बहुत कोशिश की पर किसी ने फोन न उठाया, रंग मे भंग पड चुका था!
निशा की आंखों मे ,आंसू तिर गये”””पर कालिन्दी की मुस्कान देखकर वो अपने आंसू पी गयी!
रात अचानक, किसी की सिसकी से निशा की नीदं टूट गयी””
वो बिस्तर से उठकर,””‘उधर चल पडी,जिधर से आवाज आ रही थी!
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अरे ये तो ,कलिन्दी की आवाज है,वो किसी से बात करके रो रही थी! निशा, उसके पीछे खडी होकर सुनने की कोशिश करने लगी!
विनय मेरी बात सुनो,अब सारे मेहमान आ गये है,हम सबकी इज्जत मिट्टी मे मिल जाऐगी”””
ये ,तो तुम्हें पहले सोचना था,,विनय बोला””
प्लीज विनय “””
ठीक है शायद विनय को उसपर तरस आ गया!
कल अपनी मम्मी से बोलो मुझसे बात करे”””
विनय तुम सब सम्भाल “”बात पूरी भी न हुई फोन कट गया!!
कलिन्दी ,घुटनों मे मुहं छुपाकर रोने लगी””
उसकी ऐसी हालत देखकर ,निशा तडप उठी””उसने लपक कर कलिन्दी को सीने से लगा लिया “‘
क्या हुआ बच्चे”” कलिन्दी के सिर पर ,हाथ फेरते हुए बोली निशा”””
मां ,अब छुपाने से मतलब नही ,मै प्रेगनेंट हूं!
क्या “” सुनकर ,निशा अवाक् रह गयी!!
उस रात दोनों मां बेटी एक दूसरे से लिपट कर रोती रही””
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अगले दिन ब्युटी पार्लर के बहाने ,हास्पिटल जाकर ,अजन्मे भ्रूण को “विलीन कर आयी!!
फिर अचानक से विनय का कॉल, आया”‘कलिंदी यार सॉरी मै तुमसे ही प्यार करता हूं,परन्तु एक शर्त है,
क्या कलिन्दी खुश होकर बोली””” विवाह मे बहुत ही कम लोग होना चाहिये, और हा प्लीज मम्मी जी को समझाना, की घर के बजाय रिसोर्ट बुक कर ले””
इतनी जल्दी कैसे,,,
दिन की शादी रख लेगें”””
पर विनय”””
अरे यार मामा जी की डेथ ,हुई है,अच्छा लगेगा क्या, ,,कुछ समझती नही हो,,तुम्हे चाहता हूं,इसलिए विवाह टाल नही रहा”””हम मुश्किल से बीस लोग आऐगें”
क्या हुआ कलिंदी, किसका मामा जी ने पूछा “‘
विनय जी का फोन है”
लाओ मेरी बात कराओं आखिर समास्या क्या है””कलिंदी के हाथ से मोबाइल छीनते हुऐ मामा जी बोले””
विनय जी क्या तामाशा है,आखिर हुआ क्या,,निशा भी परेशान
मामा जी प्रणाम “””
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खुश रहो””
विनय ने अपनी स्थिति स्पष्ट की,,पर पचास का परिवार तो हमारा ही है!
मामा जी आप सभी पूरे परिवार के साथ आईऐ , बस हमलोग बीस ही आ पाऐगे”परिवार मे गम का महल है,अच्छा नही लगेगा, ,,!
ठीक है””
अगले दिन, इमेरजैंसी मे रिसोर्ट बुक किया गया, सभी को वर कक्ष की स्थिति बता दी गयी”
अगले दिन ही सपरिवार, विनय हल्दी लेकर आ पहुंचा “
हल्दी मेहदी, फिर विवाह सब कुछ अच्छे से सपन्न हो गया”
कलिंदी को विदा करते समय सबकी आंखे भर आयी!!
अगली सुबह,,,
कलिंदी कैसी है बेटा “”
अच्छी हूं मां”‘
और विनय,,
मां वो तो बहुत ही अच्छे है,,,,सुनकर निशा के मन को तसल्ली मिली!
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मां पता है मम्मी जी दीदी सभी लोग अच्छे है”‘
मां आज एक खुशखबरी है, मम्मी जी मुहं दिखाई मे मुझे ,न छोटा सा बंग्लो दे रही है ,
करे वाह ,खुश रहे मेरी बिटिया रानी “”
मां मै बाद मे कॉल करती हूं “”
ठीक है तू अपना ध्यान रखना “””
चार महिने गुजर चुके थे”””
अचानक निशा का मोबाइल बजा””
मां,,,कलिन्दी की घबराई हुई आवाज गूंजी””
क्या हुआ “‘
मां वो जो बंग्लो न,मेरे नाम था,वो अनलीगल है”
क्या,,निशा के पैरो के नीचे से जमीन खिसक गयी!
चल फोन रख मै आती हूं! !
अगले दिन कलिन्दी के घर में,
दमाद जी और बाकी लोग कहां है,नजर नही आ रहे””
वो सब ,गांव गये है,
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कब तूने बताया नही,
दो हप्ता हो गया,,,,
दो हप्ते से तू अकेली है,चल समधन जी को फोन लगा “
नही मां रहने दो”
सच सच बता तू मुझसे कुछ छुपा रही है न “
निशा की बात सुनकर फफक उठी कलिन्दी “”
मां वो सब मुझे कुछ भी,बिना बताऐ चले गये,मुझे कुछ पता नही कहां गये,सभी नम्बर बंद है,कलिन्दी के आंसू रूकने का नाम नही ले रहे थे!
चल अभी मेरे साथ चल ,निशा जी धैर्य बंधाती हुई बोली””
मां क्या मै इतनी बुरी हूं!
नही मेरी बच्ची”तू नही ये सब बुरे है,,
मां सब मेरी गलती है,मैने ही गलत व्यक्ति को चुन लिया, सुबक कर बोली कलिन्दी “”
निशा जी कलिन्दी को लेकर विनय के रिश्तेदारों के घर जा पहुंची”””विनय पहले से ही शादीशुदा था!
अब क्या करूं,मै”””विनय को सामने बैठाकर पूछा निशा ने
आपकी बेटी ने मुझे फसाया है,सब उसकी गलती है,ले जाओ वापस आज से मुझसे मिलने की गलती मत करना””
निशा और कलिंदी एक दूसरे का मुहं देखती रही””
विनय जी मै नही चाहती,एक छोटी सी बात से ,मेरी बच्ची का भविष्य खराब हो,कही न कही मेरी ही गलती है”आपको चुनकर मैने गलती की,उससे भी बडी गलती बेटी के मोह मे आकर तुमसे मिलने आकर की ,कान खोलकर सुन लो,मै तुम्हे जेल पहुंचाकर मानूंगी,मेरी बेटी की हक की लडाई मै,खुद लडूंगी याद रखना, अभी मै जा रही हूं,जल्दी ही वापस आऊंगी”””निशा जी कलिन्दी का हाथ थामे,पूरे विश्वास के साथ,पुलिसचौकी की ओर बढ गयी!
समाप्त
लेखक –
रीमा महेंद्र ठाकुर “
राणापुर झाबुआ मध्यप्रदेश भारत
#मैं नहीं चाहती ये छोटी सी बात कोई बड़ा रूप ले ले और सब रिश्ते बिखर जाएँ