*मैं गुम हो रहा था* – अर्चना नाकरा
Post View 178 मैं खाली ‘लिख लिख कर’ परिवार नहीं चला सकता था.. और बिना लिखे.. जी नहीं सकता था कशमकश के उन पलों में मेरी एक दोस्त ने मुझे टैक्सी चलाने की सलाह दी ! कुछ जमापूंजी मेरी, कुछ उसकी.. ‘बस गाड़ी और सवारी चल पड़ी थी’ पढ़ा लिखा लेखक ‘हिन्दी दिवस’ पर भीतर … Continue reading *मैं गुम हो रहा था* – अर्चना नाकरा
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