मानो मेरी बोली लगाई जा रही थी…. – भाविनी केतन उपाध्याय 

Post View 338 ” तुम्हारे तो मज़े है भाई , ससुराल भी नजदीक और खुद का घर भी …. रोज़ ससुराल आना जाना लगा ही रहता होगा और मुझे लगता है कि तुम बहुत किस्मत वाले हो जो दो दो घरों का खाना खानें को मिलता है । कभी कभी हमें तुम्हारी ईर्ष्या होने लगती … Continue reading  मानो मेरी बोली लगाई जा रही थी…. – भाविनी केतन उपाध्याय