जानकी जी गोदी में मोनू को बिठाकर नवरात्रि में माता रानी का धन्यवाद कर रही थी।
आइए आपको जानकी जी के परिवार से मिलवाएं। जानकी जी के पति वर्मा जी सेवानिवृत सरकारी आफिसर थे। उनके परिवार में उनका बड़ा बेटा जतिन एक कंपनी में सिविल इंजीनियर, उसकी पत्नी राधिका और उनके 5 वर्ष की बेटी और 2 वर्ष का बेटा है। उनके छोटे बेटे नरेश ने हैदराबाद से ही इंजीनियरिंग करी
और वहीं सॉफ्टवेयर इंजीनियर था। उसने अपने साथ पढ़ने वाली रीना से दिल्ली में अपने माता-पिता की रजामंदी से ही विवाह किया था। रीना के माता-पिता नहीं थे उसकी मैसूर में रहने वाली बहन ने ही रीना को हॉस्टल में पढाया और विवाह करा।
वर्मा जी ने सेवानिवृत होने से पहले दिल्ली अपने घर में ऊपर भी कमरा बनवा लिए थे। वर्मा जी की बड़ी बहू राधिका सर्वगुण संपन्न थी। वह प्रत्येक तीज त्यौहार का ध्यान रखने वाली,
घर के प्रत्येक नियम को समझने वाली, सास ससुर का आदर करने वाली उन दोनों की बहुत अच्छी बहू थी। जानकी जी की इच्छा थी कि राधिका की बुआ की लड़की के साथ ही अपने छोटे बेटे नरेश का विवाह किया जाए परंतु उनको नरेश की पसंद के कारण उसका विवाह रीना के साथ करना पड़ा। रीना विवाह के कुछ समय बाद ही हैदराबाद चली गई थी।
अभी कुछ समय पहले जब नरेश ने घर में मां को बताया कि रीना भी मां बनने वाली है और वह अब खुद को बहुत अकेला महसूस करेगी इसलिए नरेश भी अपनी ट्रांसफर नोएडा में लेकर आना चाहता है।
उनके आने से भले ही राधिका का एकछत्र राज्य खत्म हो रहा हो परंतु जानकी जी की तो खुशी का कोई पारावार ही नहीं था। इस उम्र में सब बच्चों के साथ रहना बहुत बड़ा सौभाग्य होता है।
रीना भी अपनी नौकरी छोड़कर दिल्ली आ गई थी। रीना को घर के रीति रिवाज इत्यादि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी यहां तक कि उसे तो साड़ी भी पहननी नहीं आती थी। अब क्योंकि हमेशा वह हॉस्टल में ही रही है और बाद में वह जिस कंपनी में काम करते थे वहां ही अपना नाश्ता इत्यादि लिया करते थे
इसलिए उसे पारंपरिक खाना बनाना भी बहुत अच्छा नहीं आता था। परंतु उसे सैंडविच बर्गर पिज़्ज़ा पास्ता ऐसे खाना बनाने में उसे महारत हासिल थी। राधिका के दोनों बच्चों को तो उसके बनाए हुए नाश्ते इतने अच्छे लगते थे कि उन्होंने तो रोटी और सब्जी खाना ही छोड़ दिया था।
रीना का ना तो कोई उठने और सोने का नियम था और अभी तो अधिकतर वह गाड़ी लेकर नरेश के बैंक के और बाहर के काम निपटाने के लिए ही घूमती रहती थी।
जानकी जी भले ही घर की एकता के लिए चुप रह जाती थी परंतु राधिका रीना की कोई भी गलती को नजरअंदाज नहीं करती थी। समय पर नहीं उठना ,पूजा चौका नहीं करना, वेस्टर्न कपड़े पहनना यह सब उसकी नजर में गलतियां नहीं बल्कि अपराध थे। अब घर का माहौल खराब ना हो इसीलिए वर्मा जी
और जानकी जी ने केवल फैसला ही नहीं किया था अपितु अपने दोनों बेटों और बहू को समझा भी दिया था कि रीना के बच्चा होने के बाद वह दोनों बेटों को अलग कर देंगे। रीना के लिए ऊपर इंतजाम कर दिया जाएगा। गांव वाली हवेली को बेचकर उन पैसों से घर में सहूलियत के हिसाब से इंटीरियर करवा दिया जाएगा।
उसके बाद भले ही राधिका के मन में मनमुटाव खत्म ना हुआ हो परंतु फिर भी अपने घर को कैसे अच्छा बनाया जा सकता है इस बात पर उसका ध्यान ज्यादा लगने लगा था।
नवरात्रि में वर्मा जी जतिन को लेकर गांव की जमीन को बेचने के लिए चले गए थे। उसी समय ही नरेश को भी कंपनी के कुछ काम के लिए हेड क्वार्टर हैदराबाद जाना पड़ा। राधिका नवरात्रि में सुबह सवेरे 4:00 बजे ही पैदल कॉलोनी की कुछ सहेलियों के साथ कालकाजी माता के मंदिर जाती थी।
लगभग सुबह के 5:30 बजे होंगे सब अपने अपने कमरे में सो रहे थे कि अचानक कुछ गिरने और राधिका के दो वर्ष के बेटे मोनू के जोर-जोर से रोने की आवाज आई। जानकी जी और रीना भी अपने-अपने कमरों से बाहर निकल कर आए तो उन्होंने देखा कि राधिका के जाने के बाद दोनों बच्चे सो रहे थे और शायद मोनू की नींद खुल गई थी
और वह कमरे से निकलकर बाहर आ रहा था। तभी वह बाहर रखे छोटे लकड़ी के शो केस से टकराकर गिरा और उसके उलटने से मोनू के पैर पर शोकेस में रखा हुआ सामान गिर गया था। जल्दी से जानकी जी ने मोनू को गोद में उठाया तो देखा उसके माथे से खून निकल रहा था और पैर भी सूज रहा था।
यह सब देखकर जानकी जी बेहद घबरा गई थी। मोनू की बहन पिंकी भी आवाज सुनकर बाहर आ गई थी और अपने भाई को रोता देखकर केवल रो रही थी। तभी रीना ने जानकी जी को शांति रखने के लिए कहा और मोनू को गोदी में उठाकर बाहर गाड़ी स्टार्ट करके उसे नजदीक के अस्पताल में ले गई।
देख रहा है वो सब – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi
8:00 बजे तक जब राधिका घर आई तो उसे मोनू के बारे में पता चला । रीना अपना मोबाइल ले जाना भूल गई थी वह केवल पर्स लेकर ही भागी थी इसलिए राधिका सिर्फ परेशान हो रही थी कि तभी बाहर गाड़ी का हॉर्न बजा और रीना मोनू को लेकर आ गई। लगभग छीनते हुए राधिका
ने जैसे ही मोनू को गोद में लिया तो रीना ने बतलाया दीदी घबराने की कोई बात नहीं है थोड़ा सा पैर में मुड़ने के कारण यह कच्चा प्लास्टर लगा दिया गया है और हां क्योंकि शोकेस में रखा खिलौना इसके सर में लगा था तो खून बह रहा था इसलिए जल्दी में डॉक्टर ने दो टांके लगाए हैं। इसको टेटनेस का इंजेक्शन भी मैंने लगवा दिया है। अभी थोड़ी देर में मैं इसकी दवाई भी ले आऊंगी।आपकी माता रानी ने सब ठीक कर दिया है।
राधिका ने रीना को गले लगाते हुए कहा मैं तुम्हारे बारे में कितना गलत सोचती थी कि तुम केवल आधुनिक हो, मुझे माफ कर दो परंतु रीना ने मुस्कुराते हुए कहा मैंने तो पहली बार ही परिवार देखा है माता-पिता और भाई बहन देखे हैं आप सब ने मुझे इतना प्यार दिया है आप मुझसे ऐसे मत बोलो बस आप मुझे सदा ऐसे ही प्यार करते रहना और मेरी हर गलती को यूं ही माफ करते रहना मैं भी धीरे-धीरे सब सीख जाऊंगी।
राधिका और रीना को यूं गले लगाते देखकर जानकी जी के आंखों में भी खुशी के आंसू थे और वह माता रानी से अपने घर को सदा सुखी रहने का आशीर्वाद देने की कामना कर रही थी।
मधु वशिष्ठ, फरीदाबाद, हरियाणा
एक माफी ने सारे रिश्ते सुधार दिए प्रतियोगिता केअंतर्गत