मां मैं तेरी ही परछाई – रश्मि पीयूष 

Post View 378 जब मैं बहुत छोटी थी,मां को हमेशा पढ़ते देखा । जब भी उन्हें काम से फुर्सत मिलती, उनके हाथों में कोई पत्रिका, कोई उपन्यास,या कभी और कुछ नहीं तो अख़बार ही होती। कभी कभी उन्हें लिखते हुए भी देखती । एक बार मैंने चुपके से उनकी डायरी पढ़ी। मुझे विश्वास ही नहीं … Continue reading मां मैं तेरी ही परछाई – रश्मि पीयूष