मां का जन्मदिन – शिव कुमारी शुक्ला   : hindi stories with moral

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आज उमंग का जन्मदिन था। उसकी मम्मी शची जी ने शाम को  कुछ  उसके  दोस्तों  के साथ बड़ी ही खुशी एवं मनोयोग  पूर्वक मनाया। जब सब चले गए तो तीनों बच्चे गिफ्ट खोल खोल कर देखने लगे। तभी उनकी मम्मी भी उनके पास आ बैठी  और उनकी खुशी में शामिल हो गई।

गिफ्ट देखते-देखते अचानक उमंग बोला मम्मी  आपका जन्मदिन तो आप कभी मनाती ही नहीं। आप हम सबका जन्मदिन तो इतनी खुशी-खुशी मनाती हो पर अपना क्यों  नहीं। 

 बस  ऐसे ही बेटा कहते हुए शचीजी के चेहरे पर थोड़ी उदासी तैर गई।

 तभी बड़ी  बेटी राशि बोली. बताओ न मम्मी आपका जन्मदित कब आता है, इस बार हम  मनायेंगे। 

अरे नहीं बेटा बस ऐसे ही नहीं मनाती ।

उमंग – क्या आप जब छोटी थीं तो आपकी मम्मी ने भी नहीं मनाया ।

अब शचीजीआपने को रोक नहीं पाई। उमंग ने उनकी दुखती रग पर हाथ जो रख दिया था। उनकी ऑखें भींग गईं । 

राशि बताओ न मम्मी क्या बात है। पापा भी इस बात का ध्यान नहीं रखते। उनका जन्मदिन तो आप कितने अच्छे से मनाती है। उनके मनपसन्द  का कितना खाना बनातीं हैं केक लातीं हैं। फिर पापा आपके लिए कुछ क्यों  नहीं करते।

शलभ जी भी वहीं बैठे पेपर में खोये हुए थे को किन्तु  उनके कान तो बच्चों की  बातें सुनने में लगे थे  यह सब सुन उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्हें लगा कि आज बच्चों ने उनकी आंखें खोल दी। मासूम पाँच वर्षीय वीनु की समझ में कुछ नहीं आ रहा था को वह चुप-चाप गिफ्ट उलटने पलटने लगी।

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राशि, उमंग के ज्यादा जोर देने पर अलमारी में से पुराना एलबम निकाल लाई और बच्चों को अपने जन्मदिन के फोटो दिखाने लगी।

 बाओ मम्मी, नानी कितनी जोर शोर से आपका जन्मदिन मनाती थी और आप क्यों नहीं।

सोचते हुए बोली क्योंकि बेटा यहाँ इस परिवार में वहुओं का जन्मदिन नहीं मनाया जाता था। तुम्हारी दादी को यह सब पसन्द नहीं था सो कभी नहीं मनाया कहते उनके आँसु आखिर बाँध तोडकर निकल पड़े।

उमंग – दादी ने आप को मना कर दिया और पापा ने कुछ नहीं कहा। वह चुप रही, फिर बोली शादी के बाद मेरा पहला जन्मदिन आया, मम्मी पापा भाई बहन पूरे जोश के साथ यहाँ आए कि सब एक साथ जन्म दिन मनायेंगे। दादी ने उन्हें बहुत अपमानित किया और बोली हमारे यहाँ यह सब नहीं  चलता। वहुओं का क्या जन्मदिन मनाना ।यह सब चोंचले आप अपने घर में कर चुके हैं,अब वह वहू है हमारी जैसा हम चाहेंगे वैसा ही होगा। यह सब सुन वे दुःखी होकर उल्टे पाँव लौट गए। जो सामान लाए थे वह मेरे लिए छोड़ गए किन्तु दादी ने वह केक भी नहीं खाने दिया और उठा कर कामवाली को दे दिया। तब से कभी इच्छा ही नहीं हुई और वे रोने लगीं।

बच्चों ने मम्मी को चुप कराते एलबम में तारीख देख ली थी जो एक हफ्ते बाद ही थी। एक निर्णय लेकर दो दिन बाद अपने पापा से बात की। पापा वादा करो हम जो मांगेंगे आप मना नहीं करोगे। 

वे बोले ऐसी क्या बात है। बोलो तो सही। पापा इस बार हम मम्मी का जन्मदिन भी मनायेंगे और इस काम में आप हमारी मदद करेंगे हम अभी छोटे हैं सो कमरे को सजाने में एवं केक और गिफ्ट लाने में ओर वह भी मम्मी को बताए बिना ।

 वे बोले हाँ बच्चों जरूर तुमने मेरी आँखे खोल दी जो काम मुझे करना था, वह मेरे बच्चों ने कर दिखाया।

बहाने से बाजार जा बच्चे अपने पापा के साथ सब सामान ले आए। केक पसन्द कर आर्डर दे आए। अच्छी सी साडी पसन्द कर ले आए। चुपचाप सजावट की 

 तैयारी कर रख ली अब इन्तजार था कि कब मम्मी पार्क जाएं और वह कमरा सजा दें । आज उनकी मम्मी का जन्मदिन जो था। 

पर शची जी कुछ उदास सी थीं। उमंग ने पूछा क्या हुआ मम्मी आज आप पार्क नहीं गई। नहीं बेटा आ मन नहीं कर रहा।

तभी बीनू ने सोचा कि अब क्या होगा सो वह बडे भोलेपन से बोली नहीं मम्मी आप पार्क  जाओ नहीं तो भैया कमरा कैसे  सजायेंगे आपका जन्मदिन मनाना है। उमंग और राशि उसका मुँह देखते रह गए उनके सरप्राइज़ का उसने सब गुड गोबर कर दिया। उसकी मासूमियत से कही बात सुन सब हंसे बिना  नहीं रह सके। और फिर मम्मी के सामने ही सब  तैयारी कर जन्मदिन मनाया।

शिव कुमारी शुक्ला

स्व रचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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