मांँ परेशान थी ….कहांँ चला जाता है यह लड़का रोज रोज…बिना कुछ बताए निकल जाता है…. फिर घंटों तक लौटने का नाम ही नहीं लेता….मेरी तो जैसे इसे कुछ चिंता ही नहीं…. यह भी नहीं जानता कि जब तक घर नहीं आ जाता मेरी सांँसे गले में अटकी रहती है…. आने दो आज अच्छी तरह खबर लूंँगी.. न खाने पीने की सुध…. न पहनने ओढ़ने की…. पूछो तो कुछ बताता भी नहीं……।
मांँ काम किए जा रही थी… और बड़बड़ाए जा रही थी लता सब सुन रही थी और मन ही मन मुस्कुरा भी रही थी। वह जानती थी कि माँ का गुस्सा केवल दिखावा मात्र है। भाई के सामने आते ही मांँ का सारा क्रोध काफूर हो जाता है। भाई अपनी मीठी मीठी बातों से माँ को बरगला लेता है।
मनोज ने अपना काम खत्म किया और घर की ओर चल पड़ा….बस कुछ देर और…. फिर माँ और बाबूजी को सरप्राइज दूंँगा। वह सोचता हुआ तेज तेज कदमों से घर की ओर बढ़ रहा था….. इतने में सामने से आते हुए किसी वाहन से उसकी जोरदार टक्कर हुई और वह दूर जाकर गिरा। आघात से उसकी आंँखें बंद होने लगी और वह बेहोश हो गया। उसने जब होश संभाला तो अपने आप को किसी अस्पताल में पाया । सामने मांँ , बाबूजी और छोटी बहन लता बदहवास से खड़े थे ।
“मांँ”……..उसने माँ को आहिस्ते से पुकारा । फिर बाबूजी की ओर देखा जो डबडबाई आंँखों से निरंतर उसी को देख रहे थे । बाबूजी की आंँखों में आंँसू देख कर मनोज का हृदय कचोट उठा । उसने हमेशा अपने बाबूजी को एक मेहनती और सहनशील इंसान के रूप में ही देखा था ,लेकिन अपनी संतान के लिए कोई इतना कमजोर भी हो सकता है यह आज देख रहा था।हर समय मनोज पर बड़बड़ाने वाली माँ भी एकदम खामोश थी जैसे उसके मुंँह से शब्द किसी ने छीन लिए हों।
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“कैसे हो मनोज”….? इतने में मनोज के शिक्षक राघव जी ने वहांँ प्रवेश किया ।
“अब ठीक हूँ गुरुजी…मगर आप यहांँ कैसे…?
“जब तुम मेरे घर से निकले थे तो कुछ देर बाद मैं भी एक काम से तुम्हारे पीछे-पीछे ही निकल गया था । जब तुम्हारा एक्सीडेंट हुआ तो मैं वही था तुम्हारे आसपास। तुम्हें यहांँ तक मैं ही लेकर आया हूंँ….। फिर तुम्हारे माता-पिता को तुम्हारे एक्सीडेंट की सूचना भिजवाई ।
“हां बेटा…तुम्हारे गुरु जी का हम पर बहुत बड़ा एहसान है इनकी वजह से तुम्हें सही समय पर इलाज मिल सका…., नहीं तो न जाने क्या अनर्थ हो जाता…?”
“अरे ….इसमें एहसान कैसा….ये तो आपकी ही दुआओं का असर है…जो आपका बेटा आपके सामने सही सलामत है…अधिक चोट भी नहीं आई …। मनोज आप दोनों की बहुत तारीफ करता है…… । कहते हैं माँ बाप की दुआओं में भगवान के आशीर्वाद से भी बड़ी शक्ति है …..आज इसका प्रत्यक्ष प्रमाण देख भी लिया…..
.कहकर गुरुजी ने मनोज के सिर पर स्नेह से हाथ फेरा …..अब जल्दी ठीक हो जाओ बरखुरदार..…. अपनी नौकरी की खबर तुम स्वयं दोगे अपने माता-पिता को या वो भी मुझे ही देनी पड़ेगी…. कहकर गुरुजी हँस पड़े ।
” नौकरी………..।
माँ और बाबूजी दोनों ने हैरानी से पूछा……!
” हाँ माँ..….. तुम पूछती थी न…. मैं रोज रोज कहांँ जाता हूं……मैं गुरुजी के पास ही जाता था….. परीक्षा की तैयारी करने के लिए।”
” पर बेटा तू हमें बता भी तो सकता था…..।
“मैं आप दोनों को सरप्राइज देना चाहता था इसलिए मैंने आपको नहीं बताया…..।
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बेटे की नौकरी की खबर सुनकर बाबूजी की आंँखों की चमक हजार गुना बढ़ गई थी। खुशी के मारे उनका पूरा शरीर कांप रहा था। उनके मुंँह से कोई शब्द नहीं निकल चल पा रहा था। उन्होंने कंपकंपाते हाथों को जोड़कर गुरुजी को धन्यवाद किया ।माँ और लता एक दूसरे से लिपटकर रोने लगी….
मगर ये आंँसू दुख के नहीं खुशी के थे । सबको खुश देखकर मनोज अपना दुख भूल चुका था और मन ही मन अपने गुरु जी का आभार व्यक्त कर रहा था जिनके कारण आज वह अपने माता-पिता को यह खुशी दे पाया।
इतने में ही डॉक्टर साहब ने कक्ष में प्रवेश किया और उन्होंने कुछ चेकअप करने के बाद मनोज को घर जाने की परमिशन दे दी । सब ने ईश्वर को धन्यवाद दिया मगर मनोज अपने माता-पिता को श्रद्धा भरी नजरों से देख रहा था ।
नाम – एकता बिश्नोई