लालिमा बिखेरता सूरज – डा.मधु आंधीवाल

Post View 257 आज इस सयुंक्त परिवार में जैसे हंसी को लकवा लग गया हो जहां पूरे समय हंसी के ठहाके बाहर तक सुनाई देते हो वहां ये सन्नाटा अजीब लग रहा था । लाला जी  अपनी पत्नी ,पांच बेटों ,चार बहुयें व नाती पोतों के साथ रहते थे । बहुत बड़ा व्यापार था । … Continue reading लालिमा बिखेरता सूरज – डा.मधु आंधीवाल