क्यों संदेह के कटघरे में हमेशा औरत ही खड़ी की जाती है – गीतू  महाजन

संध्या दफ्तर से निकली तो रात की सब्ज़ी के लिए सोचते हुए वह मेट्रो से उतर  सब्ज़ी मंडी की तरफ मुड़ गई।वहीं से हफ्ते भर की सब्ज़ियां इकट्ठी लेकर घर आई तो नीचे पास वाले घर में आई नई पड़ोसन मृदुला मिल गई।मृदुला के साथ बातचीत करते हुए उसे 10 मिनट ही बीते होंगे कि … Continue reading क्यों संदेह के कटघरे में हमेशा औरत ही खड़ी की जाती है – गीतू  महाजन