क्यो कुछ बच्चो के पास अपने जन्मदाताओं के लिए इज़्ज़त की दो रोटी नही होती? – संगीता अग्रवाल

Post View 70,365 अपने कमरे मे गुमसुम बैठे अस्सी वर्षीय रामलाल जी बहुत कुछ सोच रहे थे। पास लेटी जीवनसंगिनी सुलोचना जो उनके सुख दुख की साथी रही थी आज लकवे के कारण बेबस पड़ी थी ।बेबस तो खुद रामलाल जी भी थे किसी बीमारी से ज्यादा अपनों से सताये हुए जो थे। अस्सी की … Continue reading क्यो कुछ बच्चो के पास अपने जन्मदाताओं के लिए इज़्ज़त की दो रोटी नही होती? – संगीता अग्रवाल